सत्यखबर, चढ़ीगढ़
बता दे की हरियाणा के कालका से विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा की सदस्यता खतरे में आ गई है। हिमाचल प्रदेश की एक निचली अदालत ने कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को आपराधिक मामले में तीन साल की सजा सुनाई है। इससे उनकी विधानसभा सदस्यता पर तलवार लटक गई है। नियमानुसार दो साल से अधिक सजा पर दोषी की संसद और विधानसभा की सदस्यता खत्म करने का प्रावधान है। हालांकि चौधरी को अभी तत्काल जेल नहीं जाना पड़ेगा। वह एक महीने के भीतर सेशन कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा सितंबर 2014 में मनोज नरूला बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुनाए फैसले के अनुसार अगर किसी सांसद या विधायक को कोर्ट द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा (1), (2) एवं (3) में दोषी घोषित किया जाता है तो उन्हेंं धारा (4) में अपने पद के कारण किसी प्रकार की विशेष रियायत प्राप्त नहीं होगी। दोषी को अपनी संसद या विधानसभा सदस्यता से तत्काल हाथ धोना पड़ेगा।हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के निर्णय से पहले ऐसे सांसद-विधायकों को उक्त कानून की धारा 8 (4 ) में तीन माह की रियायत मिल जाती थी जिससे वह ऊपरी अदालत में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले पर स्टे ले लेते थे। इससे उनकी सदन की सदस्यता बच जाती थी, परंतु अब ऐसा संभव नहीं है।
बता दे की पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी के मामले में उनके कारावास की अवधि तीन वर्ष है जो धारा 8(3) में उल्लेखित दो वर्ष की अवधि से ऊपर है। इसलिए उन्हेंं भी हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर उन्हेंं सीधे भी सदन से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अगर उन्हें सेशन कोर्ट से स्टे मिल भी गया तो पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए फैसलों के अनुसार उनकी विधानसभा सदस्यता नहीं बचती।
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