हरियाणा में पैदा हुए, खेले फिर भी भेदभाव क्यों
फौगाट परिवार ने खेल नीति में बदलाव के प्रस्तावों को अनुचित माना
सत्यखबर, चरखी दादरी (विजय कुमार) – हरियाणा सरकार द्वारा खेल नीति में बदलाव के प्रस्तावों को फौगाट परिवार ने अनुचित मानते हुए खिलाडिय़ों के साथ भेदभाव होने की बात कही है। गोल्डन गर्ल विनेश फौगाट ने नई नीति को खिलाडिय़ों के लिए इस तरह का भेदभाव को हानिकारक बताते हुए कहा कि हरियाणा में पैदा हुए, खेले फिर भी भेदभाव क्यों। ऐसे में तो खिलाडिय़ों के हौंसले पस्त हो जाएंगे।
कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 किलोग्राम भारवर्ग में देश को गोल्ड दिलाने वाली विनेश फौगाट ने अपने निवास मां प्रेमलता के साथ अपना दर्द बयां किया। विनेश ने कहा कि खिलाड़ी अपनी मेहनत से पदक लाए हैं। सरकार का प्रयास होना चाहिए कि खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन मिले, लेकिन यह सरकार इस कोशिश में है कि खिलाडिय़ों को किसी तरीके से नकद ईनाम राशि न देना पड़े। हरियाणा सरकार द्वारा रेलवे की ओर से खिलाडिय़ों को मिलने वाली राशि काटकर देने के मामले पर विनेश ने कहा कि वो तिरंगे के लिए खेली है और देश व हरियाणा के लिए मेडल लाई हैं। वह हरियाणा की निवासी हैं तो हरियाणा को भी गर्व हो। दो साल पुरानी खेल नीति में बदलाव करना गलत है। ऐसे खिलाडिय़ों का हौंसला नहीं बढ़ जाएगा।
खिलाडिय़ों के लिए सरकार द्वारा समान नीति बनानी चाहिए। रेलवे उन्हें क्या दे रहा है, इसको सरकार द्वारा महत्व नहीं देना चाहिए। बदलाव के प्रस्तावों को अनुचित मानते हुए कहा कि राज्य नीति को अपनी खेल नीति को पहले घोषित करना होगा। यह कहना गलत है कि उसके अलावा अन्य चार खिलाड़ी हरियाणा से नहीं हैं। वे राज्य के लिए पैदा हुए, खेले और पदक जीतकर लाए हैं। इसमें गलत क्या है, जब हरियाणा सरकार द्वारा उन्हें एक उपयुक्त नौकरी नहीं दी तो वे रेलवे में गई। सरकार अगर उन्हें एक उपयुक्त नौकरी देती तो उसे रेलवे में जाने की जरूरत ही नहीं होती। पिछले कांग्रेस के नेतृत्व में राज्य सरकार के पहलवान सुशील कुमार और अन्य खिलाडिय़ों का सम्मान करने का फैसला किया, जो स्पष्ट रूप से अन्य राज्यों से संबंधित थे लेकिन हरियाणा से कुछ संबंध थे। इसलिए हरियाणा के खिलाडिय़ों को सम्मानित करने में क्या गड़बड़ है।
वहीं विनेश की मां प्रेमलता ने कहा कि बच्चों के साथ सरकार को भेदभाव नहीं करना चाहिए। कड़ी मेहनत के बूते पर मैडल जीता और हरियाणा का नाम रोशन किया है। ऐसे में सरकार को इनाम राशि व नौकरियों में ऐसे खिलाडिय़ों को तवज्जों दें। ताकि खिलाडिय़ों का हौंसला भी कायम रह सके।
वहीं महाबीर फौगाट ने फोन पर बताया कि खिलाडिय़ों के साथ इस तरह का भेदभाव होने से उनके हौंसले बुलंद नहीं होंगे। यदि आप चाहते हैं कि शीर्ष खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो उन्हें अच्छी नौकरियां दें। हरियाणा में नौकरियां पाने में भी गीता और बबीता राजनीति का शिकार बन गए हैं। गीता ने बाद में अदालत से संपर्क किया और हरियाणा में डीएसपी के रूप में पदभार प्राप्त किया। बबीता अभी भी एक सब-इंस्पेक्टर हैं, हालांकि कुछ खिलाडिय़ों को कम उपलब्धियां भी डीएसपी के पद पर उतर गई हैं।