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हरियाणा से राज्यसभा में जाने के लिए यह नेता है दौड़ में,जानिए किसकी लगा सकती है लॉटरी

सत्य खबर, कैथल ।

हरियाणा में कृष्ण लाल पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद उनकी जगह पर सीट खाली हो गई है। कृष्ण लाल पंवार SC कोटे से राज्यसभा गए थे। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि SC कोटे से ही नेता राज्यसभा में भेजा जाएगा।

 

हालांकि भाजपा अभी चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव घोषणा की तारीख का इंतजार कर रही है। मगर जिस तरफ से नेताओं की दिल्ली दौड़ रही है उससे साफ जाहिर है कि नेता राज्यसभा जाने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

 

राज्यसभा के लिए पूर्व CM चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, पूर्व सांसद रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया, सत्य प्रकाश जरावता दौड़ में शामिल हैं। इसके अलावा खिलाड़ियों के नाम भी विचार चल रहा है। अब आने वाले समय में पता चलेगा कि भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाती है।

 

2014 के चुनाव में इनेलो से टिकट कटने के बाद बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ने वाले कृष्ण लाल पंवार को भाजपा ने राज्यसभा भेजा था। कृष्ण लाल पंवार 2014 में इसराना विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधायक बने।

 

बीजेपी ने उन्हें परिवहन, आवास एवं कारावास मंत्रालय दिया। 2019 में वे फिर इसराना विधानसभा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद बीजेपी ने उनको राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद 2024 में इसराना से तीसरी बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। राज्यसभा से इस्तीफा देकर हरियाणा सरकार में मंत्री बने।

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हरियाणा में खाली हो रही राज्यसभा सीट के लिए अब कुलदीप बिश्नोई ने लॉबिंग शुरू कर दी है। बिश्नोई परिवार फिर से अपनी राजनीतिक जमीन बनाने में जुट गया है। 11 अक्टूबर को दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी।

 

उनके साथ पूरा परिवार भी मौजूद था। इस दौरान हरियाणा विधानसभा चुनाव और आगामी राजनीति को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी से हरियाणा भवन में मुलाकात की और बाहर मीडिया में बयान दिया कि वह राज्यसभा के लिए दौड़ में नहीं है। वह किसी पद के लालच में नहीं है।

 

बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बिश्नोई परिवार के हिस्से 3 सीटें आईं। 3 में से 2 सीटों पर नजदीकी हार हुई और 1 सीट नलवा पर कुलदीप के दोस्त रणधीर पनिहार जीत गए। बेटे की हार से उन्हें झटका लगा। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा आदमपुर से चुनाव जीतकर सरकार में मंत्री बने। मगर ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए वह अब राज्यसभा के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

 

 

कौन-कौन राज्यसभा की दौड़ में

 

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कुलदीप बिश्नोई: पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे हैं। 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। 3 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। पूर्व में विधायक और सांसद रह चुके हैं। पत्नी और बेटा भी विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में और राजस्थान में बिश्नोई वोटरों पर पकड़ हैं। भाजपा ने चुनाव में चुनाव कैंपेन समिति का प्रदेश संयोजक बनाया था। बेटे के पास भाजयुमो में पद है। ऐसे में इनके चेहरे पर पार्टी में विचार चल रहा है।

 

सत्य प्रकाश जरावता: भाजपा के पुराने नेताओं में से हैं। अहीरवाल में पुराना SC चेहरा हैं। दिल्ली में बड़े नेताओं के करीबी हैं। दावेदारी इसलिए भी मजबूत है क्योंकि 2019 में विधायक चुनने के बाद भाजपा ने 2024 में पटौदी से टिकट काटकर बिमला चौधरी को टिकट दे दिया। इससे पहले पार्टी ने 2019 में बिमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। अब भाजपा इनको राज्यसभा भेजकर दलित वोटों को मैसेज दे सकती है।

 

सुनीता दुग्गल: सुनीता दुग्गल सिरसा से सांसद रही हैं। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर कांग्रेस से आए अशोक तंवर को दे दिया, मगर वह हार गए। सुनीता दुग्गल को रतिया से हाल ही में विधानसभा चुनाव में टिकट मिला, मगर वह हार गईं। सिरसा-फतेहाबाद की 8 विधानसभा में कोई विधायक नहीं है। ऐसे में भाजपा क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के लिए सुनीता दुग्गल को राज्यसभा भेजने पर विचार कर सकती है।

 

बंतो कटारिया: पूर्व सांसद स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया इस बार अंबाला से लोकसभा चुनाव हार गई। अंबाला एससी रिजर्व सीट है। यहां एससी वोटरों को साधने के लिए बंतो कटारिया को राज्यसभा भेजा जा सकता है। स्व. रतन लाल कटारिया नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में बंतों कटारिया को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। हालांकि बंतो राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं है।

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