सत्य खबर, नई दिल्ली
असदुद्दीन ओवैसी ने हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का जोरदार विरोध किया है। हैदराबाद के सांसद ने कहा है कि यह फैसला मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि इसके चलते मुस्लिम महिलाओं को टारगेट किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि आधुनिकता का मतलब धार्मिक प्रथाओं को रोकना नहीं है। उन्होंने यहां तक सवाल किया है कि आखिर हिजाब पहनने में दिक्कत क्या है। गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने आज हिजाब विवाद पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि ‘हिजाब इस्लाम के धार्मिक प्रथाओं का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।’ लेकिन, कई सियासी दल और खासकर मुस्लिम नेता इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
फैसला मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- ओवैसी हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर तिलमिलाए हुए लग रहे हैं। उन्हें हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं माने जाने का अदालत का फैसला नागवार गुजरा है। उन्होंने कहा है, ‘फैसला (हिजाब विवाद पर) धर्म, संस्कृति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आर्टिकल-15 के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इससे मुस्लिम महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, उन्हें टारगेट किया जाएगा। आधुनिकता का मतलब धार्मिक प्रथाओं को रोकना नहीं है। कोई हिजाब पहनती है तो इसमें दिक्कत क्या है।’
हाई कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं माना दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुनाया है, जिसे उसने सुनवाई पूरी करने के बाद पिछले 25 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था। अपने फैसले में अदालत ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक रीति नहीं है। इसने स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म के निर्धारण को सही माना है। कोर्ट के मुताबिक इस संबंध में आदेश जारी करने का सरकार के पास अधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता कोई ऐसा तथ्य नहीं दे सके जिससे कि सरकार ने इसे मनमाने तरीके से लागू किया है।
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