सत्य खबर , हरियाणा
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मार्च में बजट सत्र के दौरान सीएम की सुरक्षा में लगी सेंध और मुख्यमंत्री पर हमले की कोशिश मामले में डीजीपी को अब विशेषाधिकार हनन कमेटी का सामना करना होगा। ने यह पूरा मामला विशेषाधिकार हनन कमेटी को सौंप दिया है। मनोज यादव हरियाणा से रिलीव होने वाले हैं, लेकिन इस केस में उलझने के चलते अब उन्हें कमेटी के बुलाने पर व्यक्तिरूप से पेश होना होगा।
यादव इस पूरे केस में इसलिए उलझे हैं क्योंकि स्पीकर उनकी जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। बजट सत्र के दौरान सीएम जब विधानसभा कैम्पस में मीडिया से बात कर रहे थे तो पंजाब में अकाली के 9 विधायकों व इतने ही अकाली नेताओं ने सीएम का घेराव कर उन पर हमले की कोशिश की थी। स्पीकर ने इस पर कड़ा नोटिस लेते हुए तीनों राज्यों – हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के आला पुलिस अफसरों के साथ बैठक की।
हरियाणा सीआईडी की विफलता सामने आई। डीजीपी मनोज यादव को पूरे मामले की जांच सौंपी। उन्हें विधानसभा में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी भेजी गई। डीजीपी ने पहली रिपोर्ट में माना कि एसएसपी (सिक्योरिटी) पंकज नैन सहित नौ पुलिस जवानों ने लापरवाही बरती। स्पीकर इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने डीजीपी को नये सिरे से जांच करके रिपोर्ट देने को कहा। दूसरी रिपोर्ट और भी कमजोर थी। इसमें आईपीएस पंकज नैन को क्लीन-चिट दे दी और महज तीन पुलिस कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की सिफारिश की।
इससे भड़के स्पीकर ने पूरा मामला विशेषाधिकार हनन कमेटी को सौंप दिया। हिसार विधायक डॉ़ कमल गुप्ता इस कमेटी के चेयरमैन हैं। विशेषाधिकार कमेटी के बुलावे पर अब पुलिस महानिदेशक को विधानसभा में हाजिर होकर मुख्यमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक पर अपना जवाब देना होगा।
स्पीकर का कहना है कि सीएम पर हमला करने से लेकर उन्हें सुरक्षित गाड़ी में पहुंचने का पूरा वाक्या साढ़े आठ मिनट का है। सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना कैद है। उस समय सिक्योरिटी इंचार्ज पुलिस अधिकारी मौके पर न होकर विधानसभा के वीआईपी कक्ष में बैठे थे।
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