हरियाणा

बीजेपी की चुनाव को लेकर हरियाणा में यह चल रही है तैयारी

सत्य खबर,चंडीगढ़ ।

3 राज्यों में बंपर जीत के बाद अब हरियाणा बीजेपी भी ‘मोदी मैजिक’ मांगने लगी है। राज्य में संगठन से लेकर सरकार तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की मांग होने लगी है। ये दोनों चुनाव अगले साल यानी 2024 में ही होने है। 18वीं लोकसभा के चुनाव मई या जून और हरियाणा विधानसभा चुनाव नवंबर में होंगे। सरकार से लेकर बीजेपी संगठन तक समय से पहले ही विधानसभा भंग कर चुनाव के लिए राजी नजर आ रहे हैं।

हरियाणा बीजेपी ऐसा क्यों चाह रही
इसकी मुख्य वजह राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को मिली जीत है। असल में इन तीनों राज्यों में भाजपा ने कोई CM चेहरा नहीं दिया। मध्यप्रदेश के मौजूदा CM शिवराज चौहान तक को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया गया।। भाजपा के चेहरे के रूप में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। खुद PM मोदी ने कहा कि आप कमल (बीजेपी का चुनाव चिन्ह) को वोट दें। वह वोट सीधे मोदी को आएगा। यही हरियाणा भाजपा की इच्छा है। भाजपा नेता चाहते हैं कि मोदी के नाम पर लोकसभा के साथ विधानसभा में भी वोट मिल जाएं।

हरियाणा में बीजेपी की टेंशन
हरियाणा में भाजपा 10 साल से सरकार चला रही है। 2014 में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में एंटी इनकंबेंसी का झटका लगा। भाजपा बहुमत के 46 के जादुई आंकड़े के मुकाबले 40 पर रह गई। हालांकि भाजपा ने 10 सीटें जीतने वाली जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया और अब सरकार बना ली।

हालांकि इसके बदले में भाजपा को डिप्टी CM के अलावा 2 मंत्री पद उन्हें देने पड़े। मगर इस बार स्थिति अलग है। भाजपा को विधानसभा चुनाव में 10 साल की एंटी इनकंबेसी झेलनी पड़ेगी। फिर गठबंधन सरकार में सहयोगी जजपा के साथ गठजोड़ को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

also read: Just how Data Influenced Solutions May also help Your Company Attain Its Desired goals Faster

मई-जून में लोकसभा चुनाव में जजपा से गठजोड़ न हुआ तो नवंबर में विधानसभा में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। यह बात अलग है कि भाजपा अकेले चुनाव लड़ने की बात जरूर कहती रहती है।

कांग्रेस को पटखनी देने का दांव
अगर हरियाणा बीजेपी की बात मानी गई तो इससे कांग्रेस को भी झटका लगेगा। 3 राज्यों में कांग्रेस को लोकल लीडरशिप से ज्यादा PM मोदी के प्रचार का झटका लगा। इन राज्यों में कांग्रेस की पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) से लेकर तमाम तरह की गारंटी फेल होकर रह गईं। हिमाचल में जीत के बाद कांग्रेस इसी को जीत का ट्रंप कार्ड मान रही थी लेकिन सब फेल होकर रह गई।

Back to top button