हरियाणा

पुलिस की मिलीभगत से सेक्सटॉर्शन और रैप मामलों में चलता है बड़ा खेल, IPC 228A का हो रहा उलंघन

With the connivance of the police a big game is being played in sextortion and rape case

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज : भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा ईजाद किया गया सेक्सटॉर्शन शब्द बलात्कार पीड़ितों से पैसे ऐंठने का एक धारदार हथियार है। हाल ही में दिल्ली,गुरुग्राम, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के कुछ शहरों में गैंग रैप, शादी का झांसा देकर बलात्कार,लिव इन रिलेशनशिप, नशीली दवा पिलाकर रैप के अनेकों मामले सामने आ चुके हैं, खासकर जब पुलिस को बलात्कार की कोई शिकायत मिलती है तो पुलिस अधिकारी आमतौर पर आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता कराकर लाभ उठाने के लिए 24-48 घंटों के भीतर मामला दर्ज नहीं करती हैं।तकनीकी तौर पर पुलिस यह नियम जानती है कि 72 घंटे के बीत जाने के बाद मेडिकल में रेप साबित नहीं होता है। इसी बात का फ़ायदा उठाते हुए ही

Panipat News: बिजली की टूटी तार से गन्ने की पांच एकड़ फसल जलकर राख! दमकल के पहुंचने से पहले खेत की पूरी फसल स्वाहा
Panipat News: बिजली की टूटी तार से गन्ने की पांच एकड़ फसल जलकर राख! दमकल के पहुंचने से पहले खेत की पूरी फसल स्वाहा

पुलिस अधिकारी रेप की एफआईआर दर्ज करने में देरी करते हैं। फिर वे पीड़िता को प्रताड़ित करने के लिए बार-बार महिला पीड़िता को बुलाते हैं और उसे परेशान और अपमानित करने के लिए बार-बार उस भयानक अनुभव को दोहराने के लिए मजबूर करते हैं। पुलिस अधिकारी पीड़ित महिला को अजीब स्थिति में डालकर उससे पूछताछ करते हैं। फिर वे पीड़ित महिला पर समझौता करने के लिए दबाव बनाते हैं। महिला जांच अधिकारी की जगह पर पुरुष अधिकारी पुछताछ करते हैं लोक लाज का भय दिखाते हैं। जब पीड़िता समझौते के लिए तैयार हो जाए। जब पुलिस अधिकारियों द्वारा उसे जबरन वसूली करने वाली कहना शुरू कर दिया जाता है। वहीं देखने में आया है कि गुरुग्राम में कुछ मामलों में पुलिस ने अपना हिस्सा (रिश्वत) प्राप्त किया और पीड़ित के खिलाफ जबरन वसूली के लिए क्रॉस केस भी दर्ज किए है।

वहीं पुलिस अधिकारी समझौता राशि को ही रंगदारी मांगने के लिए वसूली के रूप में दिखा देते हैं। ऐसे मामलों में सबसे हैरानी की बात यह है कि कानून की स्पष्ट जानकारी होने के बावजूद भी बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना आईपीसी की धारा 228 ए के तहत अपराध है, फिर मई भ्रष्ट पुलिस अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बलात्कार पीड़ितों महिला की पहचान सार्वजनिक करके उन्हें बदनाम कर रहे हैं। जबकि रिश्वतखोरी और झूठी FIR दर्ज कराना भी अपने आप में एक अपराध है। वहीं देखने में यह भी आ रहा है कि कुछ तथाकथित एनजीओ कार्यकर्ताओं ने बिना किसी एनजीओ के पंजीकरण के बिना ज्ञान यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बलात्कार पीड़ितों के बारे में पोस्ट करना शुरू कर दिया जा रहा है, जबकि उन्हें स्पष्ट जानकारी होती है कि यह भारतीय दंड संहिता के अनुसार एक दंडनीय अपराध है, और इन मामलों पर जब तक कोई निर्णय नहीं दिया जा सकता है। लेकिन अक्सर आजकल यह देखने में आ रहा है कि यूट्यूबर युटुब पर विडीयो डालकर लोगों पर दबाव बनाकर सुविधा शुल्क के चक्कर में भारतीय कानून का उल्लंघन करके मोटी कमाई कर रहे हैं और पुलिस उनपर कोई कार्रवाई नहीं करती क्योंकि पुलिस अधिकारियों को भी वसूली के पैसे से अपना हिस्सा मिलता है। इसी तरह गुरुग्राम में भी कई यूट्यूबर सक्रिय है, जिनकी पुलिस में अच्छी सेटिंग है और वे खुद को पत्रकार भी बताती है, हालांकि मीडिया से कोई भी उन्हें नहीं जानता क्योंकि वह एक ब्लैकमेलर और जबरन वसूली करने वाली रैकेट का हिस्सा है। और 228ए आईपीसी का खुले तौर पर उल्लंघन करके बलात्कार पीड़ितों के ब्लैकमेलिंग और मानहानिकारक संपादित वीडियो पोस्ट करके बलात्कार के आरोपियों को नकली सबूत प्राप्त करने में मदद करती है।

Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस में राहुल गांधी का ऑपरेशन क्लीन! गुटबाज़ नेताओं पर बड़ी कार्रवाई की चेतावनी
Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस में राहुल गांधी का ऑपरेशन क्लीन! गुटबाज़ नेताओं पर बड़ी कार्रवाई की चेतावनी

फिर वह बलात्कार पीड़ितों से पैसे वसूलती है और साथ ही उसे बलात्कार के आरोपियों से भुगतान भी मिलता है और आश्चर्य की बात यह है कि बलात्कार के आरोपियों के द्वारा उसे मासिक पैकेज भी मिलता है। जिसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को भी होती है। लेकिन कोई भी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है, क्योंकि उनके पास भी इस तरह की काली कमाई का हिस्सा पहुंचता है। इस तरह के मामले में कई बुद्धिजीवि सरकार से सख्त से सख्त कानून बनने की मांग उठा चुके हैं।

Back to top button