फ्लोर टेस्ट से पहले मांझी ने मांगा पथ निर्माण विभाग, गरमाई बिहार की सियासत
सत्य खबर/ पटना.
बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अब फ्लोर टेस्ट को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच साल में दूसरी बार एनडीए के साथ नई सरकार बनाई है। उनके साथ शपथ लेने वाले 8 मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है. लेकिन सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है.
पहले सिर्फ एक मंत्री पद मिलने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अब अपने सहयोगियों के सामने नई मांग रख दी है. उनके बेटे संतोष कुमार सुमन को नई एनडीए सरकार में शामिल किया गया है, उन्हें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण और आईटी विभाग दिए गए हैं, जो अपेक्षाकृत हल्के विभाग माने जाते हैं। अब इसी बात को लेकर मांझी नाराज हैं.
हमें बड़ा विभाग क्यों नहीं दिया जाता- जीतन मांझी
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हमें (HAM) को कोई बड़ा विभाग या मंत्रालय क्यों नहीं दिया जाता है. जब मैं मंत्री था तब भी एससी/एसटी मंत्रालय दिया गया था, अब मेरा बेटा सुमन मंत्री है तो उसे भी यही विभाग दिया गया है. मांझी ने आगे पूछा कि क्या हम पथ निर्माण एवं भवन निर्माण विभाग का काम नहीं कर सकते? मुझे इस बात का दुःख है.
जीतन मांझी की ताजा मांग पर फिलहाल एनडीए के दो बड़े सहयोगी जेडीयू और बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. आपको बता दें कि पिछली महागठबंधन सरकार में जब जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन मंत्री थे, तब उनके पास अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग भी था. इसे लेकर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की थी. जिसके बाद ही उनका महागठबंधन से मोहभंग हो गया और उन्होंने उसे छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया.
मांझी एक और मंत्री पद चाह रहे हैं
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी खुद और उनके बेटे समेत उनकी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के चार विधायक हैं. वे वर्तमान सत्तारूढ़ एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी घटक पार्टी हैं। निर्दलीय सुमित कुमार सिंह को मंत्री बनाए जाने से नाराज उन्होंने कहा कि इस हिसाब से उनकी पार्टी के कोटे से कम से कम दो लोगों को मंत्री बनाया जाना चाहिए. इसको लेकर मांझी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.
इतना ही नहीं कांग्रेस और राजद भी उन पर हमला बोलने से नहीं कतरा रहे हैं. दबाव की राजनीति करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री यह भी कहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री और उनके बेटे को उपमुख्यमंत्री बनने का ऑफर मिला है, लेकिन इसके बावजूद वह एनडीए में बने हुए हैं. हालांकि, बीजेपी और जेडीयू के रुख से साफ है कि वे मांझी की नाराजगी को ज्यादा चिंता का विषय नहीं मान रहे हैं. अब सबकी निगाहें 12 फरवरी यानी फ्लोर टेस्ट के दिन पर टिकी हैं.