हरियाणा

गुरुग्राम लोकसभा सीट पर नतीजा कहीं 1971 जैसा ना हो जाए, मुख्य टक्कर राज V राजा

सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

बढ़ती गर्मी के साथ-साथ ही लोकसभा चुनाव की सरगर्मी भी दिनों दिन तेज होती जा रही है। जिसके लिए जिला उपायुक्त ने जिले वासियों से लु व गर्मी से बचाव के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है।

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लेकिन फिर भी गुरुग्राम लोकसभा सीट पर दिनों दिन चुनाव प्रचार तेजी से चल रहा है। जहां कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने कमरकस रखी है वहीं भाजपा के इंद्रजीत भी जोरों पर चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। वहीं जजपा के राहुल फाजिलपुरिया व बहुजन समाज पार्टी के विजय सरपंच भी पिछे नहीं है।
वहीं अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी अपनी अपनी तरह से वोटरों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। मगर मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी व भाजपा में ही देखने में आ रहा है। जहां कांग्रेस प्रत्याशी फिल्म स्टार राज बब्बर को हर जगह समर्थन मिल रहा है और उनके चुनाव प्रचार में भी अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि भीड़ के साथ-साथ ही लोगों को अपने पक्ष में वोट देने के लिए वह कहां तक कामयाब हो पाते हैं, यह तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा। वहीं सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी भी चुनाव में अच्छी खासी भीड़ लेकर अपने साथ चल रहे हैं, मगर फिर भी अधिकतर क्षेत्रों में उनका विरोध भी हो रहा है। वहीं उनके बयान बाजी भी उनके लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। हालांकि मेवात क्षेत्र में तो वह वोटरो के सामने काफी गिड़गिड़ाते नजर आ रहे हैं। वहीं अहीर बाहुल्य क्षेत्र में भी लोगों के कोप का शिकार हो रहे हैं, लोगों का कहना है कि वह तो जीतने के बाद गांव में आते ही नहीं है, वहीं रेवाड़ी के कालू वास गांव के लोगों ने तो उनके खिलाफ काफी जहर उगला। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी भी कई विवादित बयान देकर कटघड़े में खड़े हुए हैं। जिनके खिलाफ भी पुलिस में शिकायत दी जा चुकी है। जबकि अन्य उम्मीदवार भी जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के बीच ही होता नजर आ रहा है। जहां बीजेपी के साथ लंबी चौड़ी कार्यकर्ताओं की भीड़ है, वही सीनियर स्तर के नेता और चाहने वाले उनको देखने वाले लोगों की भीड़ नजर आ रही है। जबकि उनकी पुत्रियां भी अपने-अपने पिता को जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दोनों ही नेता गुरुग्राम में विकास कराने का आश्वासन देकर वोट मांग रहे हैं। चर्चाएं यह भी चल रही है कि जहां कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में एक पूर्व विवादित मंत्री लगे हुए हैं वहीं बीजेपी के प्रत्याशी के साथ में भूमाफियाओं की लंबी चौड़ी टीम काम कर रही है। जिनमें नगर निगम गुरुग्राम के कई विवादित भ्रष्ट पार्षद भी शामिल है। जिस वजह से क्षेत्र के वोटर भी उनसे काफी खफा हैं। वहीं अन्य उम्मीदवारों का कोई खास इस सीट पर जनाधार नहीं है, इसलिए मतदाताओं का रुझान तो इन्हीं दोनों उम्मीदवारो पर ही है। चाहे जीत का अंतर बहुत ही कम हो लेकिन कांटे की टक्कर भाजपा और कांग्रेस में ही है। वहीं लोगों में यह भी चर्चा है कि गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कहीं 1971 जैसा ही माहौल न बन जाए। जिसमें जब पंजाब से अलग राज्य बनने के बाद दूसरी बार 1971 में गुरुग्राम लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ था। जिसमें पूर्व सीएम बीरेंद्र सिंह ने क्रिकेटर मंसूर अली खान (नवाब पटौदी) काे चुनावी मैदान में उतारा था। उनके प्रचार में उस समय भी मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर सहित अन्य फिल्मी सितारे उनके चुनाव प्रचार में आए थे जिन्होंने काफी भीड़ भी जुटाई थी । मगर फिर भी मंसूर अली चुनाव हार गए थे। तथा उस समय के कांग्रेस प्रत्याशी और मेवात के दिग्गज नेता तैय्यब हुसैन विजयी रहे थे।
राव विरेन्द्र ने उस समय अपनी अलग पार्टी बना ली थी। वे स्वयं महेंद्रगढ़ लोस से चुनाव लड़े थे और गुरुग्राम से युवा क्रिकेटर मंसूर अली खां पटौदी को मैदान में उतारा। 1971 के इस चुनाव में राव बीरेंद्र सिंह ने वीएचपी से महेंद्रगढ़ लोकसभा का चुनाव जीता, लेकिन मंसूर अली खां उर्फ टाइगर पटौदी गुरुग्राम लोस से चुनाव हार गए थे। उस समय गुरुग्राम और फरीदाबाद एक ही जिला था। वहीं उस समय फरीदाबाद के उद्योगपति नंदा भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। उस समय समीकरण व परिस्थितियां कुछ और थी और इस समय कुछ अलग है। अब यह तो चुनाव नतीजा आने की बात हुई स्पष्ट हो पाएगा की जनता का जनाधार किस तरफ है।

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