किसानों को मुफ्त में मक्का का बीज बांट कर वापस वसूली में जुटी भाजपा सरकार के खिलाफ जेजेपी ने उठाई आवाज
सत्यखबर चंडीगढ़, (ब्यूरो रिपोर्ट) – किसानों को मुफ्त में मक्का का बीज बांट कर वापस उसकी कीमत वसूली की तैयारी में जुटी भाजपा सरकार के खिलाफ जननायक जनता पार्टी ने आवाज उठाते हुए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। जेजेपी प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह ने कहा कि सरकार किसानों को राहत देने की बजाय बेतुके व तुगलगी फरमान जारी करके उन पर दोहरी चोट मार रही है।
सरदार निशान सिंह ने बताया कि भाजपा सरकार ने धान की बिजाई के समय गिरते भू-जल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए किसानों को धान की बजाय मक्का फसल बीजने के लिए फ्री में बीज बांटे थे लेकिन अब जिन किसानों की बाढ़, बारिश आदि कारणों से मक्का की बोई फसल खराब हो गई या किसी अन्य कारणवश मजबूरन किसानों को धान की फसल बोनी पड़ी, अब उनसे सरकार वापस बीज की कीमत वसूलने की तैयारी कर रही है।
जेजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने भाजापा सरकार के नए तुगलकी फरमान का जिक्र करते हुए बताया कि ‘जल ही जीवन’ को आधार बनाकर सरकार कभी किसानों पर धान की खेती करने पर रोक लगाती है, कभी धान की बजाय मक्का, अरहर, बाजरा जैसी अन्य फसलों को बीजने की नसीहत देती है। उन्होंने कहा कि जब भोले-भाले किसान सरकार की बातों में आकर इन फसलों को बीजने की ओर सरकार के साथ कदम मिलाकर चलते है तो सरकार उन्हीं के साथ खेल खेलने में लगी हुई है।
उन्होंने सरकार के नए आदेश के बारे में बताया कि शासन-प्रशासन फ्री में मक्का का बीज लिए किसानों का ब्यौरा लेने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर चुकी है। इसके मुताबिक अधिकारी खेत में मक्का की फसल नहीं होने पर किसानों से वापस बीज की वसूली करेगी।
निशान सिंह ने कहा कि इस भाजपा का ये कोई पहला किसान विरोधी कदम नहीं है बल्कि इससे पहले भी सरकार ने किसानों की सरसों और गेहूं की फसल बेचने के पूर्व ऑनलाइन पंजीकरण करवाने के आदेश दिए थे और बिना पंजीकरण वाले किसान की फसल सरकारी रेट पर न खरीदने के आदेश दिए थे। इतना ही नहीं पंजीकरण करवाने वाले किसान की 25 क्विंटल सरसों अथवा 6 एकड़ में सरसों की फसल खरीदने का तुगलकी फरमान जारी किया था और जिसका प्रदेशभर में किसानों ने विरोध किया लेकिन सरकार किसानों की बात सुनने की बजाय अपने बेतुके फरमान को मजबूत साबित करने में लगी रही।
जजपा प्रदेशाध्यक्ष ने राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार किसानों पर ऐसे तुगलकी फरमान जारी करके किसानों को दबाने की बजाय उनकी मांगे सुनकर उनके उत्थान के लिए उचित कदम उठाए, न कि किसानों को दोषी ठहरा कर उन पर अपनी विफलताओं का ठिकरा फोड़े।