राष्‍ट्रीय

Jammu and Kashmir में 10 साल बाद चुनाव, नेताओं की सीटें बदल गईं, कौन बनेगा उम्मीदवार?

Jammu and Kashmir में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, और इस बार कई रंग बदलते नजर आ रहे हैं। परिसीमन के कारण कई नेताओं की सीटें बदल गई हैं, और कुछ नेताओं ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। चुनाव में अब अलग-अलग बदलाव देखने को मिल रहे हैं, और कई महत्वपूर्ण नेता जो पहले चुनाव में प्रभावी थे, अब जेल में हैं।

Prashant Kishore का बड़ा बयान! लालू यादव से क्या सीखना चाहते हैं वे? प्रशांत की बिहार चुनाव में अनोखी प्रतिक्रिया
Prashant Kishore का बड़ा बयान! लालू यादव से क्या सीखना चाहते हैं वे? प्रशांत की बिहार चुनाव में अनोखी प्रतिक्रिया

क्या बदल गया है इस बार?

  1. कौन चुनाव नहीं लड़ेगा, कौन नहीं लड़ा पाएगा:
    पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में उमर ने स्वतंत्र उम्मीदवार से हार का सामना किया था। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है और कहा है कि जब तक कश्मीर को 370 अनुच्छेद और पूर्ण राज्य का दर्जा वापस नहीं मिलता, वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।
    दूसरी ओर, कई नेता जिनकी सीटें अब बदल गई हैं, वे चुनाव लड़ने के लिए हिचकिचा रहे हैं। प्रमुख नामों में से एक अलगाववादी नेता यासिन मलिक हैं, जिन्हें 2022 में जीवन कारावास की सजा मिली है।
  2. इन राजनीतिक दलों का चुनाव में कोई हिस्सा नहीं रहेगा:
    जम्मू और कश्मीर में अब शब्बीर शाह की पार्टी जम्मू और कश्मीर फ्रीडम पार्टी और नईम खान की पार्टी जम्मू और कश्मीर नेशनल फ्रंट चुनावी मैदान में नहीं आ सकेंगी। दोनों दलों को 2023 में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।
    शब्बीर शाह और नईम खान दोनों ही वर्तमान में जेल में हैं। नईम के भाई मुनिर ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में भाग लिया, लेकिन उन्हें केवल दो हजार वोट मिले।
  3. इन नेताओं की सीटें आरक्षित कर दी गई हैं:
    नजीर अहमद खान, जो बारामुला के गुरेज क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं, अब इस सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि यह सीट अब आदिवासियों के लिए आरक्षित कर दी गई है। इसी प्रकार कंगन, कोकेमाग, राजौरी, बुढ़ल, सुंरकोट और मेंधार सीटें भी आदिवासियों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं।
    चुनाव आयोग ने इन सीटों को आदिवासियों के लिए आरक्षित कर दिया है, और अब नेताओं को नई सुरक्षित सीटें ढूंढनी पड़ रही हैं।
  4. इस बार 87 की बजाय 90 सीटों पर होंगे चुनाव:
    2014 में चुनाव 87 सीटों के लिए हुए थे, जहां बहुमत के लिए 44 सीटें चाहिए थीं। इस बार चुनाव 90 सीटों पर होंगे। बहुमत के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को 46 सीटें जीतनी होंगी। जम्मू क्षेत्र में 43 विधानसभा सीटें हैं और कश्मीर क्षेत्र में 47 सीटें हैं। इस बार दोनों क्षेत्रों की भूमिका सरकार गठन में महत्वपूर्ण होगी।
  5. सरकार बनेगी, लेकिन सीमित शक्ति के साथ:
    इस बार चुनाव के बाद जम्मू और कश्मीर में सरकार बनेगी, लेकिन इसकी शक्ति पहले जैसी नहीं होगी। कश्मीर वर्तमान में एक केंद्र शासित प्रदेश है और लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास कई शक्तियां हैं। कोई भी निर्णय लेफ्टिनेंट गवर्नर के आदेश के बिना नहीं लिया जा सकता।

Jammu and Kashmir में 10 साल बाद चुनाव, नेताओं की सीटें बदल गईं, कौन बनेगा उम्मीदवार?

इन नेताओं का भविष्य क्या होगा?

  1. उमर अब्दुल्ला: उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है, लेकिन वे नेशनल कॉन्फ्रेंस के चेहरे के रूप में प्रचार कर सकते हैं। उनकी पार्टी घाटी में 37-40 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और कांग्रेस के साथ गठबंधन है।
  2. महबूबा मुफ्ती: उन्होंने 370 अनुच्छेद की बहाली तक चुनाव नहीं लड़ने की कसम खाई है, लेकिन अतीत में उन्होंने कई वादे तोड़े हैं। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि वह अपने वादों को तोड़ सकते हैं और चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।
  3. गुलाम नबी आजाद: पूर्व में कांग्रेस में रहे गुलाम नबी आजाद ने अपनी पार्टी बनाई है। हालांकि, उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया। विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है।
  4. शब्बीर शाह: वे वर्तमान में जेल में हैं, इसलिए उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं कम हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी स्थिति पर कोई घोषणा नहीं की गई है।
  5. फारूक अब्दुल्ला: जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस बार विधानसभा चुनाव में भाग लेने की घोषणा की है। फारूक ने कहा है कि अगर वे चुनाव जीतते हैं, तो वे मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं।

Salman Khurshid: देशभक्ति और कांग्रेस भक्ति क्यों नहीं हो सकते साथ? Salman Khurshid के विवादित बयान की सच्चाई
Salman Khurshid: देशभक्ति और कांग्रेस भक्ति क्यों नहीं हो सकते साथ? Salman Khurshid के विवादित बयान की सच्चाई

Back to top button