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शिक्षक दिवस पर Manish Sisodia का बयान: ‘शिक्षकों की सैलरी IAS अधिकारियों से अधिक होनी चाहिए’

शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित ‘शिक्षक सम्मान समारोह’ में पूर्व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री Manish Sisodia ने कहा कि भारत में शिक्षकों की सैलरी IAS अधिकारियों से अधिक होनी चाहिए। सिसोदिया का मानना है कि यदि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनना चाहता है, तो शिक्षकों की सैलरी को IAS अधिकारियों से अधिक रखा जाना चाहिए। इस बयान ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है।

शिक्षकों की सैलरी और IAS अधिकारियों की सैलरी का तुलनात्मक अध्ययन

Manish Sisodia ने अपने भाषण में उदाहरण देते हुए कहा कि अधिकांश विकसित देशों में शिक्षकों को ब्यूरोक्रेट्स से अधिक वेतन मिलता है। उन्होंने जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में पांच वर्षों के अनुभव वाले शिक्षक, पांच वर्षों के अनुभव वाले IAS अधिकारी से अधिक वेतन प्राप्त करते हैं। उनका कहना है कि यह वेतन संरचना समाज में शिक्षा के महत्व को दर्शाती है और यह भारत के लिए एक आदर्श हो सकता है।

शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान की आवश्यकता

सिसोदिया ने कहा, “भारत के 2047 की कल्पना आज के बच्चों और शिक्षकों पर निर्भर है। अगर हमें एक विकसित देश बनना है, तो हमें शिक्षकों की स्थिति और वेतन को सम्मान देना होगा। शिक्षकों को न केवल समाज में एक विशेष स्थान मिलना चाहिए, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी उनके महत्व के अनुसार होनी चाहिए।”

सिसोदिया का जेल अनुभव और शिक्षा पर अध्ययन

सिसोदिया ने अपने जेल अनुभव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने तिहाड़ जेल में रहते हुए प्रतिदिन 8-10 घंटे किताबें पढ़ने और विभिन्न देशों की शिक्षा प्रणाली के बारे में जानने में बिताए। उन्होंने बताया कि यह समय उनके जीवन का सबसे कठिन समय था, लेकिन इस समय के दौरान उन्होंने शिक्षा के महत्व और विभिन्न देशों की शिक्षा प्रणालियों के बारे में बहुत कुछ सीखा।

शिक्षक दिवस पर Manish Sisodia का बयान: 'शिक्षकों की सैलरी IAS अधिकारियों से अधिक होनी चाहिए'

सिसोदिया ने कहा, “जेल में रहते हुए मैंने शिक्षा प्रणाली के बारे में बहुत अध्ययन किया। मैंने भारत की शिक्षा प्रणाली और अन्य देशों की शिक्षा प्रणालियों के बारे में किताबें पढ़ीं। इस कठिन समय में मैंने सीखा कि शिक्षकों द्वारा सिखाए गए पाठ कितने महत्वपूर्ण होते हैं।”

मनीष सिसोदिया की जेल यात्रा

मनीष सिसोदिया को दिल्ली के तिहाड़ जेल में दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित धनशोधन मामले में 17 महीने के लिए बंद किया गया था। उन्हें पिछले महीने जमानत पर रिहा किया गया। जेल में रहते हुए उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने इस समय को अपने ज्ञान को बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा।

शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता

सिसोदिया के अनुसार, शिक्षकों को समाज में उच्च सम्मान और बेहतर वेतन मिलना चाहिए। यह न केवल उनके मेहनत और योगदान को मान्यता देने का तरीका है, बल्कि यह समाज में शिक्षा के महत्व को भी दर्शाता है। उनका मानना है कि अगर शिक्षकों को उचित सम्मान और वेतन मिलता है, तो यह भारतीय शिक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत बना सकता है और देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक हो सकता है।

उपसंहार

मनीष सिसोदिया का यह बयान शिक्षकों की भूमिका और उनकी आर्थिक स्थिति के महत्व को उजागर करता है। यदि भारत को एक विकसित देश बनना है, तो शिक्षा और शिक्षकों को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। सिसोदिया के विचार यह दिखाते हैं कि शिक्षकों के प्रति सम्मान और उनकी सैलरी में सुधार केवल उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज की समग्र भलाई और शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भी आवश्यक है।

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