भोपाल में आयोजित हुआ 8वां नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन 2024, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह रहे मुख्य अतिथि
सत्य खबर, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल में शहर काजी मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में 8वीं नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन 2024 का आयोजन किया गया। यह आयोजन भोपाल के रविन्द्र भवन में शुक्रवार को एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स की ओर से आयोजित हुआ, जिसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले देश भर के शिक्षाविदों और डॉक्टरों का सम्मान किया गया।
वहीं, कार्यक्रम में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. फुरकान कमर, भोपाल मध्य विधायक आरिफ मसूद, उत्तर विधायक आतिफ अकील, छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मो. वाजिद अंसारी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह देश सबका है। आज भी आबादी के केवल 74% मुस्लिम साक्षर हैं। महिलाएं करीब 60% से कम हैं। यदि इसे शेड्यूल कास्ट (SC) और शेड्यूल ट्राइब (ST) से देखेंगे, तो उनके लगभग बराबर हो जाता है, लेकिन सरकारी नौकरियों में SC और ST से मुस्लिम बहुत नीचे हैं। उन्होंने कहा, मुस्लिम की बड़ी आबादी इंटेलेक्चुअल है, जिनका समाज में योगदान भी अच्छा रहा है। उन्हें विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए कि अधिक लोगों को प्रोफेशनल एजुकेशन की तरफ ले जाएं।
स्कूल, कॉलेजों में कॉन्ट्रैक्ट वाले टीचर क्या क्वालिटी दे पाएंगे
दिग्विजय ने कहा- किसी भी देश को तरक्की करना है, तो शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहिए, क्योंकि भविष्य इस पर निर्भर करता है। आज देख रहे हैं कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में पद खाली पड़े हैं। कॉन्ट्रैक्ट पर शिक्षक अपॉइंट किए जा रहे हैं। प्रोफेसर की पोस्ट खाली हैं। अब जो कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, वह क्या पढ़ाएंगे? क्या क्वालिटी दे पाएंगे? सरकार ने एक्सेस प्रोवाइड कर दिया, लेकिन जब तक उसमें क्वालिटी ऑफ एजुकेशन नहीं आएगी, तब तक प्रतियोगिता में कहां तक पहुंच पाएंगे?
सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजना चाहता
दिग्विजय ने कहा- हालात यह हैं कि सरकारी स्कूलों में कोई बच्चे भेजना पसंद नहीं करता। उस समय जब मैं मुख्यमंत्री था, तब बड़ी चुनौती थी कि सरकारी बच्चे मेरिट लिस्ट में नहीं आते थे। हमने कहा कि हर जिले में एक विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर शुरू करेंगे। उसमें कलेक्टर को अध्यक्ष बनाकर डिसेंट्रलाइज कर दिया। कहा कि वहां सबसे बेहतरीन टीचर को पोस्ट करें। उसमें छात्र-छात्राओं का चयन भी उसी हिसाब से होना चाहिए। दो-तीन साल बाद ही कई बोर्ड की मेरिट लिस्ट में आने लगे। तब से विद्वान कॉन्ट्रैक्ट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं। जुलाई से सत्र चालू हो गया, लेकिन अभी तक नियुक्तियां नहीं हो पाईं।
कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी IIM के डायरेक्टर को नहीं हटाया
दिग्विजय ने कहा- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के डायरेक्टर जिनका एजुकेशनल क्वालिफिकेशन वाइस चांसलर होने के लायक नहीं है, जब हाई कोर्ट में मामला गया, तो उसमें भारत सरकार ने लिखकर दिया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता पूरी न होने से यह अपॉइंटेड हैं, लेकिन वह हटाए नहीं गए।
कॉन्ट्रैक्चुअल अपॉइंटमेंट टीचर्स, प्रोफेसर्स और भविष्य के लिए खतरा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि जिन टीचर्स का चयन करना है, तो स्वाभाविक है कि वह उनका करियर इस प्रकार कर रहा है, लेकिन आज से 15 साल बाद अगर इसी तरह चलता रहा, तो कौन से अतिथि को हम अवार्ड दे पाएंगे। बात यह है कि शिक्षा पर जितना ध्यान देने की जरूरत है, उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। कॉन्ट्रैक्चुअल अपॉइंटमेंट टीचर्स और प्रोफेसर्स और आने वाले