गुरुग्राम जिला की बादशाहपुर, गुरुग्राम व सोहना- तावडू सीट पर तीनों भाजपा प्रत्याशियों को है, भीतरघात का है, खतरा
सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा होते ही प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में खलबली मची हुई है, जहां पहले चुनाव लड़ने की तैयारी करें नेताओं में टिकट लेने को असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, वही अब भाजपा की एक लिस्ट आने से कई नेता नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे हैं, जिससे चुनाव काफी रोचक दिनों दिन होता जा रहा है। प्रदेश में वर्ष 2009 नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट प्रदेश में सबसे बडा क्षेत्र है। जिससे पहली बार पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह जीतकर सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे, वहीं अब इस सीट पर दूसरी बार प्रेशर पॉलिटिक्स से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसके पहले राव नरबीर सिंह हर बार चुनाव अलग-अलग विधानसभा से लड़ते आए हैं। काफी उतार-चढ़ाव व विरोधियों के लाख प्रयास के बावजूद प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए BJP से टिकट तो हासिल कर ली है, लेकिन उनके लिए यह सीट निकालना काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है, क्योंकि यहां भीतरघात होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं यही चर्चाएं जिले की गुरुग्राम , सोहना तावडू सीट पर भी है। क्योंकि गुरुग्राम से जहां भाजपा नेता जीएल शर्मा, पंजाबी नेता बोधराज सिकरी, विवादित रहे यशपाल बत्रा और नवीन गोयल ने बगावती सुर अपना लिए हैं, वहीं सोहना तावडू से भी मंत्री संजय सिंह ने घोषित भाजपा प्रत्याशी तेजपाल तंवर पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं।
हालांकि गुरुग्राम से भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा बोल चुके हैं जो भी रूठे हैं उनको मनाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे, वहीं गोयल बंधुओ ने तो पार्टी से त्यागपत्र देकर पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए बैठकर करना शुरू कर दी है। जबकि जीएल शर्मा और यशपाल बत्रा पार्टी छोड़ने का मन बना रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा हाईकमान अपने रूठो को किस तरह मना कर पार्टी को गुरुग्राम से जीताने में कामयाब होती है। शहर में राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि भाजपा ने अनदेखी कर टिकट तो वितरण कर दी है लेकिन जिनको टिकट मिला है वे प्रत्याशी सीट निकल भी पाएंगे या नहीं इस पर यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।
हालांकि स्वामी धर्मदेव सार्वजनिक तौर पर पत्रकारों से यह कह चुके हैं कि गुरुग्राम से भाजपा ने पंजाबी समुदाय को टिकट देनी थी। क्योंकि गुड़गांव सीट का निर्णय पंजाबी समाज ही करता आया है। उनका संगठन अवश्य मजबूत है लेकिन वह निर्दलीय चुनाव लड़ने के हाथ में नहीं है, मगर निर्णायक भूमिका अवश्य अदा करेगा। उन्होंने बाततो ही बातों में गुरुग्राम के भाजपा प्रत्याशी का समर्थन भी कर दिया है। वहीं बात करें तो बादशाहपुर सीट की जहां से प्रेशर पॉलिटिक्स के चलते सीट तो लेने में कामयाब हो गए हैं मगर भीतर का उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है क्योंकि 2019 चुनाव में पूर्व मंत्री को भाजपा ने टिकट नहीं दी थी और वहां से मनीष यादव को मैदान में उतारा था जिसके साथ भी भीतर घात हुआ था। उसे समय यह भी चर्चा थी कि पूर्व मंत्री ने भाजपा का खुलकर साथ नहीं दिया है। जिससे निर्दलीय उम्मीदवार स्वर्गीय राकेश दौलताबाद बाजी मार गए थे, इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब की बार पूर्व मंत्री के साथ भी भीतरघात की स्थिति बन सकती है। यही अंदाजा सोहना- तावडू सीट पर भी लगाया जा रहा है, जहां पर मंत्री संजय सिंह राजपूत समाज से आते हैं, और तेजपाल टावर गुर्जर समुदाय से आते हैं जिनकी बराबर की टक्कर है, वहीं चुनाव मैदान में पूर्व अधिकारी नरेंद्र सिंह यादव भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बात अगर कांग्रेस की करें तो भी उसमें भी गुटबाजी और टिकट के दावेदार काफी हैं। अभी हम केवल भाजपा को ही लेकर चल रहे हैं, भाजपा हाई कमान ने पटौदी विधानसभा से अभी किसी भी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतरा है, उस पर भी गर्म गर्मी चल रही है।