भाजपा के पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह फर्जी डिग्री मामले की सुनवाई आज, सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा कि केस चलने योग्य है या नहीं।
सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने के लिए छात्रों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। जिसकी सुनवाई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी। जिससे उनकी परेशानी एक बार फिर से बढ़ती नजर आ रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा भाजपा सरकार में मंत्री रहे राव नरबीर सिंह की शैक्षणिक योग्यता से जुड़े मामले की सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी के समक्ष होगी।
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई संस्थान यूजीसी द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त पाया जाता है, तो ऐसे संस्थान से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले छात्र पर डिग्री प्राप्त करने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि छात्र को इस बात की जानकारी नहीं थी कि संस्थान गैर-मान्यता प्राप्त है। याचिकाकर्ता ने अब इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिका के अनुसार, विश्वविद्यालय, हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद/प्रयाग, जहां से छात्र ने कथित तौर पर अपनी डिग्री प्राप्त की थी, को कई अदालतों ने फर्जी घोषित किया है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया।
याचिका में आगे कहा गया है कि हाईकोर्ट यह समझने में विफल रहा कि प्रतिवादी/आरोपी ने चुनाव नामांकन के दौरान तीन अलग-अलग मौकों पर जानबूझकर और जानबूझकर झूठे हलफनामे दायर किए थे, जबकि उसे स्पष्ट रूप से पता था कि उसकी शैक्षणिक डिग्री के बारे में घोषणाएं झूठी थीं।
याचिकाकर्ता ने हरियाणा के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नरबीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी ने 2005 और 2014 के चुनावों के दौरान अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में प्रस्तुत हलफनामों में विरोधाभासी जानकारी दी थी।
आरटीआई के माध्यम से, याचिकाकर्ता ने पाया कि हलफनामों में उल्लिखित विश्वविद्यालय अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग और बाद में ट्रायल कोर्ट से आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की।
याचिका में कहा गया है कि “अलग-अलग समय पर कथित स्नातक की अलग-अलग तिथियां प्रदान करना केवल लिपिकीय त्रुटि नहीं कहा जा सकता है, बल्कि यह मतदाताओं को धोखा देने और धोखा देने, अधिक शैक्षणिक रूप से योग्य होने का गलत प्रभाव पैदा करने और संसद सदस्य/विधानसभा सदस्य के लिए निर्धारित मौद्रिक भत्ते प्राप्त करने का एक जानबूझकर और जानबूझकर किया गया प्रयास है”।
हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट आरटीआई एक्टिविस्ट की क्रिमिनल रिवीजन को खारिज कर दिया था। आदेश में कहा गया था कि आज भी देश में संसद सदस्य या विधान सभा सदस्य के पदों पर चुनाव लड़ने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि राव नरबीर सिंह हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा सीट गुरुग्राम बादशाहपुर से भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव में मतदाताओं पर इस केस का क्या असर पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। जिनकी टक्कर कांग्रेस के वर्धन यादव के साथ है जो पहली दफा चुनाव मैदान में उतरे हैं। दोनों ही यादव समाज से संबंधित है। जिनका इस सीट पर काफी दबदबा है।