Prime Minister Modi का लाओस दौरे का दूसरा दिन, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लेंगे हिस्सा
Prime Minister Modi अपने लाओस दौरे के दूसरे दिन 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit) में भाग लेंगे। इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के 10 सदस्य देश और 8 साझेदार देश – ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका हिस्सा ले रहे हैं। ASEAN की स्थापना 1967 में हुई थी, और इसके सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और ब्रुनेई दारुस्सलाम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय लाओस दौरे पर गुरुवार को पहुंचे थे, जहां वे ASEAN-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस गए हैं। यह दौरा लाओ पीडीआर (Lao PDR) के प्रधानमंत्री सोनसाई सिफानडोन के निमंत्रण पर हो रहा है, और इस समय लाओस ASEAN का अध्यक्ष है। लाओस के गृह मंत्री विलायवोंग बौद्दाखम ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत हवाई अड्डे पर किया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और ASEAN की भूमिका
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक ऐसा मंच है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच रणनीतिक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम करता है। इस शिखर सम्मेलन में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा की जाती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत इस शिखर सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण सदस्य देश है और क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपनी अहम भूमिका निभाता है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की चर्चा ASEAN के बैनर तले होती है। ASEAN का गठन 1967 में क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए हुआ था। यह संगठन दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत और ASEAN के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, और दोनों पक्ष व्यापार, सुरक्षा, संस्कृति और संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
एक्ट ईस्ट नीति के दस साल पूरे
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लाओस दौरे से पहले एक बयान में कहा कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के 10 साल इस वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने इस नीति को भारत के लिए अत्यंत लाभकारी बताया और कहा कि इस दौरे के दौरान वह लाओ पीडीआर के नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं।
‘एक्ट ईस्ट’ नीति का उद्देश्य भारत और पूर्वी एशियाई देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देना है। यह नीति पूर्वी एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए बनाई गई थी। इस नीति के तहत भारत ने पिछले एक दशक में ASEAN के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है और क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए एक अहम भूमिका निभाई है।
लाओस में मोदी का स्वागत और द्विपक्षीय संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाओस दौरा भारत और लाओस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का अवसर प्रदान कर रहा है। लाओस इस समय ASEAN का अध्यक्ष है और इस भूमिका में वह क्षेत्रीय विकास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करेगी, खासकर व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक संबंधों के क्षेत्र में।
प्रधानमंत्री मोदी ने लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री सोनसाई सिफानडोन के साथ बैठक की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। भारत और लाओस के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, और दोनों देश व्यापार, ऊर्जा, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।
भारत और ASEAN के बीच संबंध
भारत और ASEAN के बीच संबंध हमेशा से ही मजबूत रहे हैं, और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत यह संबंध और भी गहरे हुए हैं। ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन में भारत और ASEAN के नेताओं के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर विचार किया जाएगा। व्यापार, निवेश, सुरक्षा और क्षेत्रीय संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए भारत और ASEAN के बीच पहले से ही कई समझौते और योजनाएं चल रही हैं।
भारत ने ASEAN के साथ मिलकर क्षेत्रीय विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और ASEAN के बीच संबंध और भी मजबूत होंगे, जो दोनों पक्षों के लिए आर्थिक और राजनीतिक लाभदायक साबित होंगे।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के मंच पर भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यह शिखर सम्मेलन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख मंच है। भारत ने हमेशा क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए शांति और सहयोग का समर्थन किया है। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत की भूमिका और दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेंगे।
भारत पूर्वी एशिया के देशों के साथ न केवल आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहा है, बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ा रहा है। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत, देश ने पूर्वी एशिया के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया है और यह शिखर सम्मेलन इन संबंधों को और भी गहरा करने का अवसर प्रदान करेगा।