ताजा समाचार

Supreme Court’s strictness: पंजाब-हरियाणा के चीफ सचिवों को बुलाया, पराली जलाने पर कार्रवाई की कमी पर सवाल

Supreme Court’s strictness: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के चीफ सचिवों को तलब किया और पूछा कि राज्यों में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों में एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है, जबकि केवल nominal जुर्माना लगाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई का कारण

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह सवाल उठाया कि पंजाब और हरियाणा सरकारें violators के खिलाफ कार्रवाई क्यों करने से हिचकिचा रही हैं। न्यायालय ने कहा, “पिछले तीन वर्षों में आपने एक भी व्यक्ति के खिलाफ अभियोग नहीं चलाया। केवल nominal जुर्माना लगाया गया है। इसके संबंध में कुछ भी क्यों नहीं किया गया?”

Supreme Court's strictness: पंजाब-हरियाणा के चीफ सचिवों को बुलाया, पराली जलाने पर कार्रवाई की कमी पर सवाल

पराली जलाने की समस्या

पराली जलाना हर वर्ष एक गंभीर समस्या बन जाती है, खासकर अक्टूबर से दिसंबर के बीच। यह मुख्यतः धान की कटाई के बाद होता है, जब किसान अपने खेतों में फसल के अवशेषों को जलाते हैं। इससे वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, विशेष रूप से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में, जहां यह प्रदूषण पूरे क्षेत्र को प्रभावित करता है।

PSL 2025: मोहम्मद रिजवान की टीम जीत के लिए तरस रही! प्लेऑफ में पहुंचना मुश्किल
PSL 2025: मोहम्मद रिजवान की टीम जीत के लिए तरस रही! प्लेऑफ में पहुंचना मुश्किल

CAQM का गठन और उद्देश्य

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) का गठन 2020 में किया गया था, जिसका उद्देश्य NCR और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक रणनीति तैयार करना है। इसे यह जिम्मेदारी दी गई थी कि यह रिसर्च, समस्या पहचान और वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं को सुलझाए। हालाँकि, CAQM की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, विशेषकर इस मुद्दे पर कि किसानों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की चिंताएँ

सुप्रीम कोर्ट ने CAQM की कार्रवाई के अभाव पर भी चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा कि CAQM को वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अधिक सक्रिय होना चाहिए। इस संदर्भ में, CAQM ने हाल ही में जिला मजिस्ट्रेटों को पराली जलाने के नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने का अधिकार दिया है।

किसानों पर जुर्माने का मुद्दा

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों पर लगाए गए nominal जुर्माने पर सवाल उठाया था। अदालत ने कहा कि जब इस गंभीर समस्या के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, तो जुर्माना लगाने का क्या औचित्य है।

पंजाब और हरियाणा की स्थिति

पंजाब और हरियाणा, जो भारत के प्रमुख कृषि उत्पादन राज्य हैं, पराली जलाने के मुद्दे के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि, राज्य सरकारों की ओर से उचित कदम नहीं उठाए जाने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। अदालत के समक्ष यह सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकारें केवल जुर्माने लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं, जबकि उन्हें अधिक ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।

RVUNL JE Result 2025: RVUNL JE और जूनियर केमिस्ट परीक्षा परिणाम घोषित, चेक करें अपना स्कोर
RVUNL JE Result 2025: RVUNL JE और जूनियर केमिस्ट परीक्षा परिणाम घोषित, चेक करें अपना स्कोर

वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव

पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण को प्रभावित करता है, बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। अत्यधिक धुंध और प्रदूषित वायु से लोगों में सांस संबंधी बीमारियाँ, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। इस समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ताकि लोगों की सेहत और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।

भविष्य की दिशा

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक महत्वपूर्ण संकेत है कि अब समय आ गया है कि सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से लें और किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। किसानों को भी यह समझने की आवश्यकता है कि पराली जलाना न केवल उनके लिए बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।

Back to top button