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Dead Butt Syndrome: क्या आप भी घंटों एक ही जगह पर बैठते हैं? डेड बट सिंड्रोम आपको बना सकता है शिकार!

Dead Butt Syndrome: क्या आप जानते हैं कि लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठने से आपकी कूल्हे की मांसपेशियाँ काम करना भूल सकती हैं? यह स्थिति आपको थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन इसे चिकित्सा की भाषा में डेड बट सिंड्रोम कहा जाता है। आजकल, घर से काम करने या ऑफिस में बैठकर लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने की संस्कृति बढ़ गई है। यदि आप भी इसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो सावधान रहें, क्योंकि आप भी इस सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं।

डेड बट सिंड्रोम क्या है?

डेड बट सिंड्रोम को ग्लूटियल अम्नेशिया भी कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठता है, तो उसके कूल्हे की मांसपेशियाँ सक्रिय रहना बंद कर देती हैं। इस स्थिति में, कूल्हे और उसके आसपास का हिस्सा कुछ समय के लिए काम करना बंद कर सकता है, जिससे ग्लूटेन मीडियस नामक एक बीमारी भी हो सकती है। इसके कारण सामान्य कार्य करना भी मुश्किल हो जाता है। इस समस्या में, कूल्हे की हड्डी (ग्लूटियस मीडियस) में सूजन हो सकती है, जो रक्त परिसंचरण रुकने के कारण होती है।

डेड बट सिंड्रोम के लक्षण

  1. कमर, घुटनों और टखनों में तेज दर्द – लंबे समय तक बैठने से ये हिस्से प्रभावित होते हैं।
  2. कूल्हों में खिंचाव – कूल्हों की मांसपेशियाँ काम नहीं कर पाती हैं, जिससे खिंचाव होता है।
  3. कूल्हों के निचले हिस्से में झनझनाहट – यह संवेदनशीलता खोने का संकेत हो सकता है।
  4. कूल्हों के आसपास सुन्नता, जलन और दर्द – यह संकेत करता है कि आपके कूल्हे की मांसपेशियाँ सक्रिय नहीं हो रही हैं।

Dead Butt Syndrome: क्या आप भी घंटों एक ही जगह पर बैठते हैं? डेड बट सिंड्रोम आपको बना सकता है शिकार!

डेड बट सिंड्रोम से बचने के उपाय

इस सिंड्रोम से बचने के लिए कुछ सरल उपाय किए जा सकते हैं:

  1. ऑफिस में लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें – यह आपके शरीर को सक्रिय रखने में मदद करता है।
  2. हर 30-45 मिनट में अपनी सीट से उठें और स्ट्रेच करें – इससे रक्त संचार बेहतर होता है और मांसपेशियाँ सक्रिय रहती हैं।
  3. आड़ी-तिरछी स्थिति में बैठना फायदेमंद हो सकता है – इससे कूल्हों पर दबाव कम पड़ता है।
  4. रोजाना कम से कम 30 मिनट चलें – यह मांसपेशियों को मजबूत रखने में मदद करता है।
  5. ऑफिस में थोड़ी देर चलने का प्रयास करें जब भी समय मिले – यह छोटी-छोटी गतिविधियाँ आपके लिए फायदेमंद होंगी।

डेड बट सिंड्रोम एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करके आसानी से रोका जा सकता है। इस सिंड्रोम से प्रभावित होने से बचने के लिए अपने बैठने के समय का ध्यान रखें और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में शामिल हों। यदि आप पहले से ही इसके लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो विशेषज्ञ से संपर्क करना न भूलें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और एक सक्रिय जीवनशैली अपनाएं।

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