Stubble burning case: किसानों ने प्रशासन को खुली चुनौती दी, अमृतसर का AQI पहुँचा खराब श्रेणी में
Stubble burning case: पंजाब में पराली जलाने की प्रक्रिया को रोकने के लिए सरकार की सख्ती के बावजूद किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। रविवार को मनसा के 20 एकड़ में किसानों ने पराली जला कर प्रशासन को खुली चुनौती दी। किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई, तो वे मजबूत विरोध का सामना करने के लिए तैयार हैं।
किसानों का प्रदर्शन
किसान नेताओं जगदेव सिंह, जुगराज सिंह और रुबल सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से पराली जलाने की समस्या का कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने लंबे समय से राज्य सरकार से पराली के निपटान के लिए प्रति क्विंटल 500 रुपये मुआवजे की मांग की है, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है। इसी कारण किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
रविवार को मंसा में भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धुपुर) के नेताओं ने खिल्लान गांव में 20 एकड़ की पराली को आग लगा दी। पुलिस की सूचना पर मौके पर पहुंची और आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस के लौटते ही किसानों ने फिर से आग लगा दी।
पराली जलाने के नए मामले
राज्य में पराली जलाने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। रविवार को राज्य में पराली जलाने के 138 नए मामले सामने आए। अब तक कुल 1,995 मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। अमृतसर में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं, जहां अब तक 480 मामले सामने आ चुके हैं।
महज एक महीने में 15 सितंबर से 26 अक्टूबर के बीच, CREAMS के अनुसार, पराली जलाने के 3,434 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से पंजाब में सबसे अधिक 1,857 मामले सामने आए हैं, जबकि हरियाणा में 700 और उत्तर प्रदेश में 865 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
अमृतसर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)
अमृतसर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अब खराब श्रेणी में पहुंच चुका है। सोमवार को यहां AQI 306 दर्ज किया गया। यह स्थिति वायु प्रदूषण के साथ-साथ पराली जलाने की गतिविधियों का नतीजा है।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखी, तो उनका संघर्ष और भी तेज हो जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पराली जलाने की समस्या का कोई समाधान नहीं होने के कारण ही वे इस मार्ग को अपनाने पर मजबूर हैं।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने पराली जलाने को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सका है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उनके लिए उचित मुआवजा और निपटान के लिए बेहतर विकल्प नहीं मिलते, तब तक वे पराली जलाने से नहीं रुकेंगे।
पराली जलाने की समस्या का समाधान
पराली जलाने की समस्या न केवल पंजाब बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी गंभीर बनी हुई है। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि इस समस्या का समाधान केवल सरकारी मदद और किसानों के साथ उचित संवाद के माध्यम से ही किया जा सकता है।
किसान संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वे पराली निपटान के लिए मशीनरी उपलब्ध कराएं और किसानों को आर्थिक सहायता दें। इससे न केवल पराली जलाने की समस्या का समाधान होगा, बल्कि इससे वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।
आगामी कदम
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले और एक ठोस समाधान प्रदान करे।
किसान संगठनों का कहना है कि अगर प्रशासन ने उनकी बातों को समझने की कोशिश की, तो वे पराली जलाने से बचने के लिए अन्य उपायों को अपनाने के लिए तैयार हैं।
कृषि मंत्रालय की पहल
कृषि मंत्रालय ने भी इस समस्या को लेकर कुछ उपाय किए हैं, लेकिन किसानों की वास्तविकता और जरूरतों को समझना आवश्यक है। मंत्रालय को चाहिए कि वह किसानों के साथ बैठकर एक ठोस योजना तैयार करे जो उन्हें पराली जलाने से रोक सके।
राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को सभी आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान की जाए ताकि वे पराली जलाने के बिना अपने कृषि कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।
पराली जलाने की समस्या पंजाब के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इस मुद्दे का समाधान न केवल किसानों की भलाई के लिए जरूरी है, बल्कि यह पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
राज्य सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाए और एक ऐसा वातावरण तैयार करे जहां किसान अपने कृषि कार्य को बिना पराली जलाए कर सकें। इसके लिए सरकार को किसानों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि एक स्थायी समाधान निकाला जा सके।
किसानों का विरोध इस बात का संकेत है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है। इसलिए, सभी संबंधित पक्षों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा।