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Haryana : चिकित्सकों की शादियों में सावधान रहने की हिदायत,जानिए किससे और क्यों

सत्य खबर, हिसार ।
देवउठनी एकादशी से पहले खच्चर में मिली ग्लैंडर्स बीमारी से प्रदेश भर में हड़कंप मच गया है। हिसार के गांव सुल्तानपुर में एक खच्चर ग्लैंडर्स बीमारी से पॉजिटिव मिला है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग ने घोड़े की प्रजातियों से जुड़े सभी पशुओं की आवाजाही पर तत्काल रोक लगा दी है।

बीमार होने पर हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस खच्चर के खून के सैंपल लिए थे। इसके साथ ही उसे क्वारंटीन कर दिया था। अब ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद खच्चर का इलाज होना संभव नहीं है।

यह बीमारी कैंसर से भी खतरनाक मानी जाती है। इनके संपर्क में रहने वाले इंसानों को भी इससे संक्रमित होने का खतरा रहता है। आने वाले दिनों में शादियों का सीजन है, इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में इसका हाईअलर्ट जारी कर दिया है।

हिसार अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है। यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक बैक्टीरिया से फैलती है। इस बीमारी से पॉजिटिव होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है। जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर उपचार करते हैं, उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप-निदेशक डॉ. सुभाष चंद्र जांगड़ा ने बताया कि अश्व जाति के पशुओं की दौड़, मेले, प्रदर्शनी, खेल आदि आयोजन और एकत्रित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है।

दूसरे पशुओं के साथ इंसान भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इस प्रजाति में घोड़ा ऐसा पशु है, जिसमें ग्लैंडर्स रोग जल्दी फैलता है। पूरे प्रदेश से घोड़ों की जांच शुरू कर दी गई है। इसलिए इसको लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है।

इस बीमारी के खतरे को देखते हुए भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डीएएचडी मत्स्य मंत्रालय की तरफ से भी गाइडलाइंस जारी की गई हैं। जिनके मुताबिक ही हिसार जिले को अश्व प्रजाति के पशुओं में ग्लैंडर्स बीमारी से बचाव, नियंत्रण के लिए नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही घोड़े, गधे, खच्चर और अश्व प्रजाति के पशुओं की जिले से अन्य स्थान पर आवाजाही को पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।
हरियाणा में देवउठनी ग्यारस पर विवाह समारोह शुरू हो जाते हैं। शादियों में घोड़ी पर बारात निकालना आम बात है। ऐसे में दूल्हा जिस घोड़ी पर सवार होता है, वह ग्लैंडर्स से ग्रसित तो नहीं है। इसके लिए एहतियात बरती गई है, क्योंकि ग्लैंडर्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो पशुओं से इंसानों में भी फैल सकती है।

हिसार और रोहतक में मामले मिलने के बाद सैंपलिंग बढ़ा दी गई है। हिसार स्थित अश्व अनुसंधान केंद्र न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में अश्व रोगों पर शोध करता है। ऐसे में अगर देश में कहीं भी ऐसी बीमारी फैलती है तो इसकी जानकारी इस केंद्र तक पहुंचती है और यहां के वैज्ञानिक इस पर काम करते हैं।

शादियों के सीजन में हिसार में मिले ग्लैंडर्स के मामले घोड़ा बग्गी मालिकों के लिए भी परेशानी का सबब बन गए हैं। अब कमाई के सीजन में उन्हें जांच के दायरे में आना पड़ेगा

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