हरियाणा

गुरुग्राम निगम क्षेत्र की सड़कों को चमकाने की जटायु मशीन का 2 बार उद्घाटन के बाद भी सड़कों से गायब?

सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

गुरु द्रोणाचार्य की नगरी की सड़काें व गलियारों को चमकाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर मंगाई गई दो जटायु मशीन निगम अधिकारियों की लापरवाही के चलते केवल शोपीस बनकर रह गई है। जबकि जटायु मशीन को निगम बेड में शामिल हुए करीब 3 महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन किसी भी अधिकारी का इस तरफ कोई ध्यान ही नहीं है, जबकि इसका दो दफा उद्घाटन भी किया जा चुका है। जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।
जहां पहले अभी तक शहर में सफाई के लिए कर्मचारियों पर ही निर्भर होना पड़ता था। अब शहर में सड़कों की सफाई जटायु मशीनों की मदद से होने की उम्मीद थी। लेकिन 3 महीने के बाद भी जटायु मशीन पूरी तरह सड़कों पर नहीं उतारी गई है।

हालांकि जब जटायु मशीन 29 अगस्त को निगम बेड़े में शामिल हुई थीं तो लोगों को उम्मीद थी कि अब तो गुरुग्राम की सड़के दुबई की सड़कों की तरह चमकेगी। जिसका विधिवत उद्घाटन भी कर दिया गया था। वहीं जटायु मशीन का दोबारा भाजपा विधायक मुकेश शर्मा को खुश करने के लिए दिल्ली रोड सेक्टर 12 में एक दिन चलवा कर कराया गया था। जिसका विधायक ने भी बड़ा भाषण देकर लोगों के बीच अपनी पीठ थपथपाने का श्रेय लिया था। लेकिन शहर की सड़कों का हाल दिनों दिन सुधारने की बजाय बदतर होता जा रहा है। ऊ

क्या है जटायु मशीन और कैसे कार्य करती है

जटायु मशीन में एक बड़ा वैक्यूम क्लीनर लगा होता है, जो सड़क पर पड़े कूड़े को अंदर खींचता है। इसमें कचरा भरने के लिए बैग लगे हैं। जब एक बैग भरता है तो दूसरे बैग को लगा दिया जाता है। निगम अधिकारी के मुताबिक, जटायु मशीन एक सुपर सीरीज की हैवी-ड्यूटी वैक्यूम उपकरण है। इसके वैक्यूम हाईप्रेशर से लंबे समय डंप हुए कचरे को समेटने में मदद मिलेगी। बताया गया कि नगर निगम के प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी जटायु मशीन को संचालित करेंगे। इसको चलाने के लिए केवल एक ही कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। लेकिन एक ही दिन के बाद जटायु मशीन का कहीं कोई आता पता नहीं है।
वहीं सूत्रों से जानकारी मिली है कि निगम में कुछ अधिकारी कांग्रेसी विचारधारा के हैं जिसके चलते भाजपा सरकार की छवि को खराब करने के लिए ही मशीन को सड़कों पर नहीं उतार रहे हैं, वहीं एक निगम अधिकारियों ने दबी जबान में बताया कि जटायु मशीन का ड्राइवर व उसमें तेल नहीं डलवाने की वजह से मशीनों को सेक्टर 42 कार्यालय में खड़ा करवा दिया गया है। वहीं एक मशीन की कीमत 48 लाख के करीब बताई गई है वहीं निगम में जटायु की दो मशीन मंगवाई गई थी। जो कि इन दिनों शोपीस बनी हुई है।

क्या कहते हैं निगमायुक्त सीट पर बैठते ही रंग?

जब इस मामले पर नवनियुक्त निर्मयुक्त अशोक कुमार गर्ग से उनके मोबाइल पर बार-बार संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका।

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