Punjab by-election से पहले कांग्रेस में विवाद, बाजवा और वड़िंग आमने-सामने, पूर्व विधायक दलवीर गोल्डी को लेकर बढ़ी तनातनी
Punjab by-election: पंजाब में आगामी उपचुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद खास तौर पर पूर्व विधायक दलवीर गोल्डी को लेकर है, जिन्होंने हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) को छोड़ दिया था। गोल्डी के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं को लेकर पार्टी के भीतर ही मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा और प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वॉरिंग के बीच गोल्डी को लेकर तनातनी साफ तौर पर सामने आ रही है।
बाजवा का गोल्डी को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध
दलवीर गोल्डी के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर प्रताप सिंह बाजवा नाखुश हैं। बाजवा का कहना है कि गोल्डी को कांग्रेस में शामिल करने से पहले उनका अनुमोदन आवश्यक है। बाजवा ने मंगलवार को होशियारपुर के चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र के कोट फतूहि गांव में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में गोल्डी का नाम लिए बिना कहा कि जो भी किसी के लिए प्रचार करना चाहता है, वह कर सकता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति बिना मेरी अनुमति के पार्टी में शामिल नहीं हो सकता। उन्होंने अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी में मेरी अहम भूमिका है और मैं इसके बारे में अंतिम निर्णय लूंगा।
रवनीत बिट्टू ने बाजवा के बयान को किया समर्थन
इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी विवाद और तेज हो गया है। वहीं, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने बाजवा के बयान को समर्थन दिया है और इसे इंस्टाग्राम पर ‘शाबाश’ कहकर साझा किया है। बिट्टू का कहना था कि बाजवा का पार्टी में मजबूत असर है और उन्होंने पहले भी अपनी स्थिति को स्पष्ट किया था। हालांकि, इस बयान के बाद यह सवाल भी उठने लगा कि कांग्रेस के भीतर नेतृत्व को लेकर यह शक्ति संघर्ष पार्टी की एकता पर कितना प्रभाव डालेगा।
राजा वॉरिंग की गोल्डी को लेकर योजना
वहीं दूसरी ओर, पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वॉरिंग ने गोल्डी को लेकर एक संदेश दिया है। भले ही राजा वॉरिंग ने गोल्डी को आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल नहीं किया है, लेकिन इंस्टाग्राम पर उनके साथ फोटो शेयर कर यह स्पष्ट किया है कि वे गोल्डी को उपचुनाव के बाद पार्टी में शामिल करने की योजना बना सकते हैं। इसके चलते गोल्डी तीन दिनों से गिद्दरबाहा में वॉरिंग की पत्नी अमृता वॉरिंग के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
कांग्रेस के अंदर की कलह फिर से उभर कर सामने आई
गोल्डी के गिद्दरबाहा में प्रचार करने के बाद कांग्रेस के अंदर की कलह फिर से उजागर हो गई है। पार्टी के बड़े नेता गोल्डी के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, और यह संघर्ष कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। जब तक कांग्रेस इस विवाद का समाधान नहीं करती, तब तक पार्टी की एकजुटता और प्रभावशीलता पर सवाल उठते रहेंगे।
कांग्रेस में पहले भी हो चुका है अंदरूनी विवाद
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस में इस प्रकार का विवाद उभरा है। इससे पहले भी कांग्रेस के भीतर सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रताप सिंह बाजवा के बीच विवाद सामने आ चुका है। उस वक्त रंधावा ने पार्टी से बाहर गए नेताओं को वापस पार्टी में लेने के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी, जबकि बाजवा का मानना था कि पार्टी को मजबूत करने के लिए इन नेताओं को वापस लाना जरूरी है। इस प्रकार के अंदरूनी संघर्ष कांग्रेस के लिए कई बार हानिकारक साबित हो चुके हैं।
पार्टी में बिखराव का खामियाजा भुगत सकती है कांग्रेस
कांग्रेस में नेताओं के बीच का यह विवाद पार्टी के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है। जब पार्टी के बड़े नेता ही एक-दूसरे से असहमत होते हैं, तो इसका असर न केवल पार्टी की छवि पर पड़ता है, बल्कि आगामी चुनावों में भी पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। विशेष रूप से पंजाब जैसे महत्वपूर्ण राज्य में कांग्रेस के लिए यह समय की कसौटी पर खरा उतरने का है। यदि कांग्रेस के नेता अपनी अंदरूनी कलह को जल्द सुलझाते हैं और पार्टी को एकजुट रखते हैं, तो ही वे आगामी चुनावों में सफलता की उम्मीद कर सकते हैं।
गोल्डी का कांग्रेस में प्रवेश: क्या आगे आएगा विवाद?
गोल्डी के कांग्रेस में प्रवेश को लेकर अब यह देखना होगा कि पार्टी के अंदरूनी मतभेद किस दिशा में बढ़ते हैं। राजा वॉरिंग की योजना और बाजवा का विरोध दोनों ही पार्टी की एकजुटता के लिए खतरे की घंटी हैं। यदि कांग्रेस के भीतर यह विवाद सुलझ नहीं पाता है तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी भ्रम और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो कि चुनावी माहौल में नुकसानदायक साबित हो सकती है।
कांग्रेस के अंदरूनी विवाद अब सार्वजनिक रूप से उभर कर सामने आ गए हैं, और यह पार्टी की आगामी उपचुनावों में सफलता के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। पार्टी के भीतर गोल्डी को लेकर उत्पन्न विवाद ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या कांग्रेस अपने आंतरिक मतभेदों को हल कर सकेगी या फिर यह पार्टी के लिए और मुश्किलें पैदा करेगा।