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सीएम स्टालिन ने PM Vishwakarma Yojana में संशोधन की मांग की, जातिवाद आधारित भेदभाव का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर, 2023 को शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को राज्य में लागू करने से मना कर दिया है और इसके मौजूदा रूप में इसे लागू करने के बजाय इसके संशोधन की मांग की है। सीएम स्टालिन ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री जितेंद्र राम मांझी को एक पत्र लिखकर इस योजना के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की है।

तमिलनाडु का स्पष्ट विरोध

सीएम स्टालिन ने अपनी चिट्ठी में कहा कि तमिलनाडु सरकार प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को राज्य में लागू नहीं करेगी, क्योंकि इस योजना में जातिवाद आधारित भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने तय किया है कि वह एक समावेशी और सामाजिक न्याय आधारित योजना तैयार करेगी, जो हर कारीगर को जाति के आधार पर भेदभाव किए बिना लाभ प्रदान करेगी।

सीएम स्टालिन का कहना है कि यह योजना कारीगरों के लिए एक सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने का उद्देश्य रखती है, लेकिन वर्तमान रूप में यह योजना कारीगरों के पारंपरिक व्यापारों को जातिवाद आधारित मान्यता देती है, जिससे समाज में पहले से मौजूद भेदभाव को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु सरकार ने पहले ही प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर 4 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर इस योजना में बदलाव की मांग की है।

सीएम स्टालिन ने PM Vishwakarma Yojana में संशोधन की मांग की, जातिवाद आधारित भेदभाव का आरोप

पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया था, का उद्देश्य कारीगरों को सम्मानित करना और उनके कौशल को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत कारीगरों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कारीगरों को उनके कौशल के उन्नयन के लिए प्रशिक्षण, उपकरणों पर ₹15,000 तक की प्रोत्साहन राशि, ₹3,00,000 तक का ऋण सहायता और डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाता है।

यह योजना कारीगरों को अधिक सशक्त बनाने के लिए है, जिनमें पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े लोग शामिल हैं। इसके तहत कारीगरों को स्वरोजगार की दिशा में एक मजबूत कदम उठाने की प्रेरणा दी जाती है, और उन्हें उनकी मेहनत और कला के लिए मान्यता मिलती है।

तमिलनाडु सरकार का रुख

सीएम स्टालिन ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु सरकार इस योजना को वर्तमान रूप में लागू नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कारीगरों के विकास के लिए एक समावेशी योजना तैयार करेगी, जो सभी कारीगरों को उनके जाति या पारिवारिक व्यवसाय से ऊपर उठकर समान अवसर देगी। इस योजना के तहत कारीगरों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और अन्य सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी, जो उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं।

तमिलनाडु सरकार ने इस योजना में कुछ संशोधनों की आवश्यकता महसूस की है, खासकर उस प्रावधान को लेकर जिसमें यह अनिवार्य किया गया था कि आवेदक का परिवार पारंपरिक व्यापारों से जुड़ा होना चाहिए। राज्य सरकार ने इसे हटाने की सिफारिश की है और इसके बजाय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी कारीगर, जो पारंपरिक व्यापारों से जुड़ा है या नहीं, इस योजना का लाभ उठा सके।

तमिलनाडु में समावेशी योजना का प्रस्ताव

तमिलनाडु सरकार ने एक समिति गठित की है, जो पीएम विश्वकर्मा योजना की समीक्षा करेगी और राज्य के कारीगरों के लिए एक समावेशी और व्यापक योजना तैयार करेगी। यह योजना हर कारीगर को समान अवसर देने पर केंद्रित होगी, जिसमें कोई जाति आधारित भेदभाव नहीं होगा। इस योजना का उद्देश्य कारीगरों को वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण, उन्नत तकनीकी शिक्षा, और डिजिटल लेन-देन में प्रोत्साहन देना है, ताकि वे अपने कौशल को और बेहतर बना सकें और अपनी आजीविका में सुधार कर सकें।

सीएम स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार इस योजना को लागू करने के लिए एक नया रूप तैयार करेगी, जो अधिक समावेशी और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाला होगा। इस योजना के तहत कारीगरों को पारंपरिक व्यवसायों से ऊपर उठकर अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति करने का अवसर मिलेगा।

जातिवाद आधारित व्यवसाय प्रणाली पर सवाल

सीएम स्टालिन का कहना है कि पीएम विश्वकर्मा योजना में पारंपरिक व्यवसायों को जाति आधारित रूप में प्रमोट किया गया है, जो समाज में पहले से मौजूद जातिवाद को और बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस योजना से कारीगरों को उनके पारंपरिक व्यवसायों में ही फंसा दिया जाएगा और उन्हें अन्य व्यवसायों में बदलाव करने का अवसर नहीं मिलेगा।

इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि आवेदनकर्ता के परिवार के पारंपरिक व्यापार से जुड़ी अनिवार्यता को हटाया जाए। इसके बजाय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन कारीगरों को भी इस योजना का लाभ मिल सके, जो किसी पारंपरिक व्यवसाय से नहीं जुड़े हैं, लेकिन उनके पास पारंपरिक कौशल है और वे इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं।

तमिलनाडु में योजना का कार्यान्वयन

तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि इस योजना को लागू करने में कोई भी स्थानीय भेदभाव नहीं होगा। राज्य में कारीगरों के लाभ के लिए एक मजबूत और समावेशी योजना तैयार की जाएगी, जो न केवल जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करेगी बल्कि सभी कारीगरों को समान अवसर भी प्रदान करेगी। इस योजना के तहत कारीगरों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, और उपकरण जैसे प्रोत्साहन मिलेंगे, ताकि वे अपने व्यवसाय को सशक्त बना सकें और बेहतर जीवन जी सकें।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों के कौशल और समग्र विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इस योजना को जातिवाद आधारित भेदभाव को बढ़ावा देने वाली बताया है। राज्य सरकार ने एक समावेशी योजना तैयार करने का निर्णय लिया है, जो हर कारीगर को समान अवसर देगी और जातिवाद के खिलाफ खड़ी होगी। अब देखना यह होगा कि अन्य राज्य सरकारों का रुख इस योजना के बारे में क्या होगा और केंद्र सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।

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