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PM Narendra Modi ने साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी पर जताई चिंता, पुलिसिंग में तकनीकी सुधार की बात की

PM Narendra Modi ने रविवार को ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित पुलिस प्रमुखों के 59वें वार्षिक सम्मेलन में डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराध पर गहरी चिंता व्यक्त की। यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर चिंता जताई हो। इससे पहले भी प्रधानमंत्री कई बार डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराध और एआई तकनीक से जुड़े खतरों पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साइबर अपराध और डिजिटल गिरफ्तारी जैसे अपराध, साथ ही डीपफेक जैसी तकनीकों के दुरुपयोग से समाज और परिवारिक जीवन पर गंभीर असर पड़ेगा।

साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी के खतरे

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि साइबर अपराध के बढ़ते मामलों से सिर्फ व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि समाज और देश की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी, फर्जी खबरें और डीपफेक जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से न सिर्फ लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो रही है, बल्कि समाज में भ्रम और डर का माहौल भी बन सकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे अपराधों के कारण लोगों का विश्वास डिजिटल दुनिया से उठ सकता है, जिससे सामाजिक जीवन में अव्यवस्था और मानसिक तनाव बढ़ेगा।

PM Narendra Modi ने साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी पर जताई चिंता, पुलिसिंग में तकनीकी सुधार की बात की

पुलिसिंग में तकनीकी उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता

प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में पुलिस की कार्यशैली में तकनीकी उपयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस को अधिक प्रभावी और संवेदनशील बनाने के लिए इसे स्मार्ट और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना होगा। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि पुलिस थानों को संसाधनों के आवंटन के केंद्र बिंदु के रूप में देखा जाना चाहिए, ताकि वहां पर काम करने वाले पुलिसकर्मियों का काम बोझिल न हो और उन्हें आधुनिक तकनीक का पूरा लाभ मिल सके।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हर पुलिस पहल को 100 शहरों में एक साथ लागू किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने स्मार्ट पुलिसिंग के विचार को 2014 में गुवाहाटी में आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया था। इसका उद्देश्य भारतीय पुलिस को आधुनिक, संवेदनशील, प्रशिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है।

आतंकवाद, नक्सलवाद और अन्य सुरक्षा चिंताएं

सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, नक्सलवाद, और अन्य सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पाकिस्तान और बांगलादेश की सीमाओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने कहा कि शहरी पुलिसिंग को भी प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने वाले पोस्टों का मुकाबला किया जा सके।

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने सीमाई सुरक्षा, तटीय सुरक्षा, नशीली दवाओं की तस्करी और आर्थिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा की। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे इन समस्याओं से निपटने के लिए समन्वय और रणनीति के साथ काम करें।

डिजिटल धोखाधड़ी और एआई तकनीक के खतरों से निपटने की रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में डिजिटल धोखाधड़ी और एआई तकनीक के खतरों पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें इन खतरों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने एआई तकनीक के उपयोग से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय पुलिस हैकथॉन आयोजित करने का सुझाव भी दिया। यह हैकथॉन पुलिस विभाग को नई तकनीकी समाधानों के लिए प्रेरित करेगा, जो समाज में हो रही अपराधों की जड़ तक पहुंचने में मददगार साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि एआई तकनीक का सही उपयोग पुलिस को अधिक प्रभावी और संवेदनशील बनाने में मदद करेगा। साथ ही, यह अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

पुलिस की आधुनिकता और भविष्य की कार्ययोजना

प्रधानमंत्री मोदी ने पुलिस अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने काम में आधुनिकता लाने के लिए हमेशा तत्पर रहें और विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप अपनी कार्यशैली को पुनःसंगठित करें। उन्होंने पुलिस को रणनीतिक, सूक्ष्म, अनुकूल, विश्वसनीय और पारदर्शी होने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को समग्र दृष्टिकोण से कार्य करना होगा, जिससे समाज में सुरक्षा का माहौल बने और नागरिकों का विश्वास पुलिस पर बढ़े।

सम्मेलन में अन्य महत्वपूर्ण चर्चाएं

सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई। इन बिंदुओं में प्रमुख थे:

  • बांगलादेश और म्यांमार सीमा पर उभरती सुरक्षा चिंताएं।
  • शहरी पुलिसिंग और सोशल मीडिया पर गलत सूचना को नियंत्रित करने के उपाय।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद, नक्सलवाद, और तटीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान।
  • पुलिस अधिकारियों के लिए स्मार्ट पुलिसिंग और तकनीकी दृष्टिकोण।
  • भविष्य के लिए पोर्ट सुरक्षा और साइबर अपराध से लड़ने की रणनीति।

इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन के माध्यम से पुलिस विभाग की कार्यशैली में सुधार और उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

सम्मेलन का आयोजन

यह सम्मेलन दिल्ली से बाहर आयोजित किया गया है और यह 2014 से प्रधानमंत्री मोदी के शासन में नियमित रूप से आयोजित हो रहा है। इससे पहले यह सम्मेलन गुवाहाटी, धोरडो (रन ऑफ कच्छ), केवडिया, पुणे, लखनऊ और जयपुर जैसे स्थानों पर आयोजित हो चुका है। इस बार इसे भुवनेश्वर में आयोजित किया गया है।

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में लगभग 250 पुलिस अधिकारी, डायरेक्टर जनरल और इंस्पेक्टर जनरल स्तर के अधिकारी उपस्थित थे, जबकि 750 से अधिक अधिकारियों ने वर्चुअली भाग लिया। इस सम्मेलन ने पुलिस विभाग के भीतर आधुनिकता लाने और उभरती सुरक्षा चिंताओं के समाधान के लिए एक मंच प्रदान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन के माध्यम से पुलिस विभाग को और अधिक प्रभावी, तकनीकी रूप से सक्षम और संवेदनशील बनाने का आह्वान किया है। डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराध और एआई तकनीक के बढ़ते खतरों के मद्देनजर उन्होंने पुलिस को इन चुनौतियों से निपटने के लिए न केवल रणनीति तैयार करने की बात की, बल्कि इन चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए भी प्रेरित किया। यह सम्मेलन पुलिस विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो भविष्य में भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा।

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