Farmers protest: शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, किसानों की बैठक और आगे की रणनीति पर चर्चा
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Farmers protest: किसान आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार शंभू बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन को लेकर एक महत्वपूर्ण सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली है। इस मामले में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें शंभू बॉर्डर समेत सभी राष्ट्रीय और राज्य मार्गों को खोलने और प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि किसानों और किसान संघों ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर अवैध रूप से मार्गों पर कब्जा कर लिया है, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: याचिका में क्या है मांग?
आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों की जाम को हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि किसानों द्वारा इन मार्गों पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है, और यह पूरे प्रदेश में यातायात के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह आंदोलन सार्वजनिक मार्गों और आम लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है, और इसे तुरंत हटाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई आंदोलन की स्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि इस मामले में पहले भी कई बार सुर्खियां बनीं हैं। यह देखना होगा कि अदालत इस याचिका पर क्या निर्णय लेती है और क्या किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए सरकार को कोई आदेश देती है।
शंभू बॉर्डर पर किसानों की बैठक: आगे की रणनीति क्या होगी?
इस बीच, शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान आंदोलनकारी अब अपनी आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। किसानों ने पहले ही दिल्ली मार्च को फिलहाल टाल दिया है, और आज वे एक महत्वपूर्ण बैठक में जुटेंगे। इस बैठक में किसानों का उद्देश्य यह तय करना है कि भविष्य में उनका आंदोलन किस दिशा में जाएगा और क्या वे किसी अन्य तरह की कार्रवाई करेंगे।
किसान नेताओं ने बताया कि 8 दिसंबर को हुई प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट्स चलाने से 6 से 8 किसान घायल हो गए थे। इनमें से एक किसान को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया है। किसानों का कहना है कि पुलिस की इस कार्रवाई ने आंदोलन को और तेज करने के लिए उन्हें मजबूर किया है, और वे इस पर बैठक में विचार करेंगे।
शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसान मार्च की दूसरी कोशिश भी नाकाम
शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसानों के मार्च की दूसरी कोशिश भी रविवार को विफल हो गई। किसानों का एक समूह, जिसमें 101 किसान शामिल थे, दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए तैयार था, लेकिन जैसे ही वे हरियाणा बॉर्डर तक पहुंचे, वहां तैनात सुरक्षा बलों ने उनका स्वागत किया। पुलिस ने किसानों को चाय और बिस्किट पेश किए और उन्हें वापस लौटने की अपील की। लेकिन जब किसानों ने पुलिस की बात नहीं मानी, तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
इस कार्रवाई के दौरान चार किसान घायल हो गए, जिनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती किया गया। घायल किसानों के इलाज के बाद, किसानों ने दिल्ली मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया और फिलहाल आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए शंभू बॉर्डर पर वापस लौट गए।
किसान नेताओं ने यह भी कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनती है, तो वे आगामी दिनों में फिर से दिल्ली की ओर मार्च करने का निर्णय ले सकते हैं। किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मुख्य मांगें पूरी नहीं होतीं।
किसानों की मुख्य मांगें क्या हैं?
किसान आंदोलन की मुख्य मांगें अभी तक वही हैं जो पहले थीं। सबसे पहले, किसानों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है, जिनके खिलाफ उन्होंने विरोध शुरू किया था। इसके अलावा, किसानों का कहना है कि उनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दी जानी चाहिए, ताकि वे अपनी फसल का सही मूल्य प्राप्त कर सकें।
इसके अलावा, किसान कृषि कार्यों के लिए सरकार से बेहतर समर्थन और सुरक्षा की भी मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि बिना उचित समर्थन के उनकी स्थिति खराब हो रही है, और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ेगा।
प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच तनाव
किसान और सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, सरकार ने पहले ही किसानों से बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। किसानों का कहना है कि सरकार उनके साथ सही तरीके से बातचीत नहीं कर रही है, और इसके कारण उनका आंदोलन जारी है।
वहीं, सरकार का कहना है कि कृषि कानूनों से किसानों को लाभ होगा, और वे किसी भी प्रकार की अव्यवस्था की स्थिति में सख्ती से कार्रवाई करेंगे। इस पर किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे।
किसान आंदोलन का भविष्य
यह कहना मुश्किल है कि किसान आंदोलन का भविष्य क्या होगा। इस आंदोलन में अब तक कई उतार-चढ़ाव आए हैं, और अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और किसानों की बैठक के बाद यह स्पष्ट होगा कि आने वाले दिनों में क्या बदलाव होगा। किसानों ने अपने आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया है, और सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की सख्ती से उनकी प्रतिक्रिया में वृद्धि हो सकती है।
इस बीच, किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और उनकी मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसान आंदोलन एक बार फिर पूरे देश का ध्यान खींच रहा है। शंभू बॉर्डर पर चल रहे इस प्रदर्शन का आज सुप्रीम कोर्ट में मामला है, और इसके बाद यह तय होगा कि क्या सरकार और किसानों के बीच कोई समझौता होता है या नहीं। वहीं, किसानों की बैठक और आगे की रणनीति पर फैसला भी आंदोलन की दिशा तय करेगा। अब यह देखना होगा कि किसान और सरकार के बीच जारी यह संघर्ष कब समाप्त होगा और इसका समाधान किस रूप में सामने आता है।