Kisan Andolan 2.0: 10 महीने में तेज हुआ संघर्ष, डल्लेवाल की भूख हड़ताल बनी नई चुनौती
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Kisan Andolan 2.0: किसान आंदोलन 2.0 आज 10 महीने पूरा कर चुका है और इस बीच किसान नेताओं ने सरकार से अपनी लंबित मांगों को लेकर लगातार दबाव बनाना जारी रखा है। इस आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल , जो खनौरी सीमा पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं, की तबीयत बिगड़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वे डल्लेवाल की भूख हड़ताल को तोड़ने के लिए बल का उपयोग न करें, जब तक उनकी जान खतरे में न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों सरकारें उन्हें जरूरी चिकित्सा सहायता प्रदान करें।
किसान संघर्ष को तेज करने की घोषणा
किसान आंदोलन में बढ़ते आक्रोश के बीच किसानों ने अपने संघर्ष को और तेज करने का ऐलान किया है। 16 दिसंबर को देश भर के तहसील और जिला स्तरों पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा, जिसमें पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में यह मार्च होगा। इसके बाद, 18 दिसंबर को ट्रेनें रोकी जाएंगी। ट्रैक्टर मार्च के बाद, अधिकारियों को डल्लेवाल द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र की एक प्रति सौंपी जाएगी।
मोदी को रक्त से साइन किया पत्र भेजा
किसान नेता डल्लेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रक्त से साइन किया एक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने मोदी से अपील की है कि वे किसानों की बाकी सभी मांगों को पूरा करें, जिसमें एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है। डल्लेवाल ने पत्र में लिखा है कि वे 17 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं और यह उनका पहला और आखिरी पत्र है। उन्होंने मोदी से सवाल किया है कि अब यह तय करें कि क्या वे एमएसपी की गारंटी देंगे या फिर ऐसे एक किसान की जान की बलि लेंगे।
किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और पंजाब के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लखोवाल शुक्रवार को डल्लेवाल की तबीयत का हाल लेने के लिए खनौरी सीमा पर पहुंचने वाले हैं।
डल्लेवाल की भूख हड़ताल खत्म करने की याचिका
डल्लेवाल की भूख हड़ताल को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि डल्लेवाल 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं और उनका वजन 12 किलो घट चुका है, जिससे उनकी जान को खतरा है। इस याचिका को वकील वीरश शंदिल्या ने दायर किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि डल्लेवाल को कैंसर है और खराब सेहत के कारण उनके किडनी फेल होने का खतरा भी है।
किसान नेता की सेहत को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए, पंजाब विधानसभा अध्यक्ष की अपील
पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे किसानों के साथ बातचीत शुरू करें और इस गतिरोध को समाप्त करें। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि आंदोलन खत्म हो सके। संधवां ने डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि केंद्रीय सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता मिल सके ताकि उनकी जान बचाई जा सके।
अंबाला डीसी ने संग्रूर डीसी को लिखा पत्र
हरियाणा प्रशासन भी किसान नेता डल्लेवाल की सेहत को लेकर सतर्क हो गया है। अंबाला के उपायुक्त (DC) ने संग्रूर के उपायुक्त को पत्र लिखकर डल्लेवाल को उचित चिकित्सा सहायता देने की अपील की है। पत्र में डल्लेवाल के वजन में भारी कमी आने का उल्लेख किया गया है, जो उनकी सेहत के लिए चिंता का विषय बन चुका है।
किसान आंदोलन के प्रमुख मुद्दे
किसान आंदोलन 2.0 की शुरुआत 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुई थी, जिन्हें बाद में सरकार ने वापस ले लिया। हालांकि, किसान नेताओं की मुख्य मांग एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी को लेकर अब भी अधूरी है। डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार उनकी बाकी मांगों को पूरा नहीं करती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसान संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी कीमत पर एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने तक आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। इसके अलावा, किसान यूनियनें कृषि से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी सरकार से जवाबदेही की मांग कर रही हैं, जिसमें कृषि उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता, किसानों की कर्ज माफी, और कृषि उपकरणों की सस्ती दर पर उपलब्धता शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और विरोध
किसान आंदोलन को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी समर्थन मिल रहा है। कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में बसे भारतीयों ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में रैलियां आयोजित की थीं। कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस आंदोलन को व्यापक कवरेज दिया और इसे किसानों की न्याय की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत किया।
वहीं, सरकार की ओर से भी लगातार इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की गई, लेकिन किसान नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकार बताते हुए आंदोलन को शांतिपूर्वक जारी रखने का संकल्प लिया है।
किसान आंदोलन 2.0 अब 10 महीने पूरे कर चुका है, और इस दौरान किसानों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष को तेज किया है। डल्लेवाल की भूख हड़ताल ने आंदोलन को नया मोड़ दिया है, और अब यह केवल एक राज्य का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा बन चुका है। पंजाब और केंद्र सरकार के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें किसानों की मांगों पर ध्यान देना ही होगा।
अब यह देखना होगा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी किसानों की मांगों को मानेंगे और इस लंबे चल रहे संघर्ष का समाधान होगा या फिर यह आंदोलन और तेज होगा, जिससे देश में बड़े स्तर पर अशांति फैल सकती है।