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TB havoc in Chandigarh: दो सालों में 278 मौतें, 12606 लोग संक्रमित; इन उपायों से करें बचाव

TB havoc in Chandigarh: देशभर में जहां केंद्रीय सरकार और स्वास्थ्य विभाग टीबी को समाप्त करने के लिए निरंतर अभियान चला रहे हैं, वहीं चंडीगढ़ में टीबी ने एक घातक रूप धारण कर लिया है। पिछले दो वर्षों में शहर में टीबी के कारण 278 लोगों की जान जा चुकी है और 12606 लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। 2023 में 149 मौतें हुईं और 2024 के अक्टूबर तक 129 लोगों की टीबी के कारण मौत हो चुकी है। यह आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राजयसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में सामने आए हैं।

टीबी का सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों को

स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों में टीबी का खतरा सबसे अधिक है। इसके साथ ही, 46 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में भी टीबी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 0 से 14 वर्ष तक के बच्चों में टीबी का संक्रमण 3.2 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।

टीबी के पूर्व राज्य टीबी अधिकारी डॉ. अनिल गर्ग ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा समय तक खांसी रहती है और खांसी के साथ बलगम या खून आता है, छाती में दर्द, कमजोरी या थकान की समस्या होती है, तो यह टीबी का संकेत हो सकता है। ऐसे लक्षणों को गंभीरता से लेना और तुरंत इलाज कराना बहुत जरूरी है।

टीबी के कारण मौतों की मुख्य वजह जानकारी की कमी

विशेषज्ञों के अनुसार, टीबी से मौतों का मुख्य कारण लोगों में बीमारी के बारे में जानकारी की कमी है। लोग टीबी के लक्षणों को नजरअंदाज कर सामान्य दवाइयां ले लेते हैं और समय पर जांच नहीं कराते। अंततः जब बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है, तब वे जांच करवाते हैं, लेकिन तब तक बीमारी असाध्य हो चुकी होती है।

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इसके साथ ही, विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में टीबी का खतरा अधिक होता है। चंडीगढ़ में बढ़ते प्रदूषण के कारण टीबी के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।

टीबी उन्मूलन का लक्ष्य अब भी दूर

भारत सरकार ने 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया था और इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2025) लागू की थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की शुरुआत की थी, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत चल रहा है। बावजूद इसके, सरकार के सभी प्रयासों के बावजूद, टीबी उन्मूलन का लक्ष्य अब भी दूर नजर आता है।

चंडीगढ़ में टीबी की स्थिति – स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार

वर्ष मृत्यु संक्रमित मरीजों की संख्या
2023 149 6721
2024 (अक्टूबर तक) 129 5885

टीबी के मरीजों की स्थिति – आयु वर्ग के अनुसार

रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न आयु वर्गों में टीबी के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है।

आयु वर्ग 2023 में मरीजों की संख्या (%) 2024 में मरीजों की संख्या (%)
0-14 वर्ष 1.6% 1.0%
15-30 वर्ष 2.4% 1.1%
31-45 वर्ष 4.1% 2.2%
46-60 वर्ष 7.0% 4.2%
60 वर्ष से ऊपर 11.5% 10.2%

टीबी से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

टीबी को फैलने से रोकने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपायों को अपनाना जरूरी है।

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  1. बीसीजी वैक्सीनेशन: बच्चों को जन्म के एक महीने के भीतर बीसीजी वैक्सीनेशन लगवाना चाहिए, जिससे टीबी के संक्रमण से बचाव होता है।
  2. टीबी मरीजों से दूरी बनाए रखें: टीबी के मरीज को दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना चाहिए।
  3. सुरक्षात्मक मास्क पहनना: टीबी के मरीज को दूसरों से मिलने से पहले एक सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके।
  4. टीबी मरीज को थूकने से रोकें: टीबी के मरीज को कहीं भी थूकने से बचना चाहिए।
  5. स्वस्थ आहार और योग: एक स्वस्थ आहार और नियमित योग से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है, जिससे टीबी जैसे संक्रमणों से बचाव होता है।
  6. हाथों की सफाई: हाथों को बार-बार धोने से संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है।
  7. लक्षणों पर ध्यान दें: यदि टीबी के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं।

टीबी, जो पहले एक सामान्य बीमारी मानी जाती थी, आज के समय में एक गंभीर समस्या बन गई है। चंडीगढ़ में बढ़ते टीबी के मामलों और मौतों ने सभी को चेतावनी दी है कि इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा टीबी को समाप्त करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें साकार करने के लिए हमें सभी को मिलकर काम करना होगा। इसके साथ ही, समाज में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और सही समय पर इलाज कराना टीबी के उन्मूलन के लिए आवश्यक कदम हैं।

अगर समय रहते टीबी का इलाज शुरू कर दिया जाए और उचित सावधानियां बरती जाएं, तो इस बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है। इसलिए, हमें टीबी के लक्षणों पर ध्यान देना और जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए।

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