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Farmer Protest: राजा वारिंग पहुंचे खनौरी बॉर्डर, डल्लेवाल से मुलाकात; केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप

Farmer Protest: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  का खनौरी बॉर्डर पर अनशन आज 21वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस बीच, पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, विधायक गुरप्रीत सिंह कोटली और अन्य कांग्रेस नेता उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए पहुंचे। उन्होंने डल्लेवाल  के साथ समय बिताया और केंद्र सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए।

केंद्र सरकार से किसानों की मांगों पर कोई पहल नहीं

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  ने सरकार से अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाए रखा है, लेकिन 24 घंटे बाद भी केंद्र सरकार से उनकी बातचीत के लिए कोई निमंत्रण नहीं आया। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव और केंद्रीय प्रतिनिधि मयंक मिश्रा भी डल्लेवाल  के स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए पहुंचे थे, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

Farmer Protest: राजा वारिंग पहुंचे खनौरी बॉर्डर, डल्लेवाल से मुलाकात; केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप

डल्लेवाल  की हालत गंभीर

सोमवार को डल्लेवाल  के स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर डॉक्टरों ने गंभीर चिंता जताई। डल्लेवाल  का रक्तचाप 130/87 था, नाड़ी 74 थी, ऑक्सीजन स्तर 98 था और तापमान 97.3 था। डॉक्टरों ने उनकी हालत को बेहद गंभीर बताया और उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। डल्लेवाल  ने यह साफ किया कि वह अपनी जान की परवाह नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य किसानों के भविष्य के लिए संघर्ष करना है।

किसानों के भविष्य की चिंता जताई

डल्लेवाल  ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “मेरे जीवन की चिंता मत करो, बल्कि किसानों के भविष्य के बारे में सोचो। केंद्र सरकार को हमारी मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि किसानों के जीवन को बचाया जा सके। यदि सांसद और विधायक मिलकर काम करें, तो सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।” उनका यह बयान केंद्र सरकार से और अधिक बातचीत की मांग करता है, ताकि उनकी समस्या का समाधान हो सके।

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केंद्र सरकार पर आरोप और कांग्रेस की प्रतिक्रिया

अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी ने संसद में किसानों का मुद्दा उठाने की कोशिश की थी, लेकिन केंद्र सरकार इस पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब किसान अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, तो सरकार को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

राजा वारिंग ने यह भी कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस मुद्दे पर त्वरित प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए और किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए।”

MSP गारंटी कानून पर केंद्र सरकार की स्थिति पर सवाल

राजा वारिंग ने कहा कि अगर सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने का वादा करती है, तो इसे कानूनी रूप से गारंटी क्यों नहीं बनाती? उन्होंने केंद्र सरकार की तानाशाही रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार किसानों से बात करने को तैयार नहीं है, जबकि यह बिल्कुल गलत है। वह संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही वह सभी राजनीतिक पार्टियों की बैठक बुलाने का प्रयास भी करेंगे।

किसान आंदोलन के बढ़ते प्रभाव

किसान आंदोलन ने न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में किसानों की स्थिति को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया है। सोमवार को अन्य राज्यों में भी ट्रैक्टर मार्च निकाले गए और तमिलनाडु में 15 स्थानों पर रेल रोको आंदोलन किया गया। पंजाब में 18 दिसंबर को तीन घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन का आयोजन किया जाएगा। यह आंदोलन यह दिखाता है कि किसानों का संघर्ष अब एक व्यापक जनांदोलन बन चुका है, जो न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में किसानों की समस्याओं को उजागर कर रहा है।

भविष्य में क्या होगा?

किसान आंदोलन की स्थिति अब बेहद गंभीर हो गई है। जहां एक ओर किसान नेता अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल पंजाब बल्कि देशभर के किसानों के लिए चिंताजनक है।

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आने वाले दिनों में इस आंदोलन के और बढ़ने की संभावना है। यदि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे अपनी लड़ाई को और भी तेज करेंगे। यह आंदोलन अब सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि पूरे देश में इसका असर देखने को मिल सकता है।

किसान आंदोलन का भविष्य और समाधान की दिशा

किसान आंदोलन का समाधान सरकार और किसानों के बीच संवाद से ही संभव है। अगर केंद्र सरकार किसान नेताओं से बैठकर उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करती है, तो इस आंदोलन का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकता है। वहीं, किसानों को भी अपने संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखते हुए सरकार से अपनी मांगों के लिए ठोस कार्रवाई की उम्मीद करनी चाहिए।

किसान आंदोलन, खासकर जगजीत सिंह डल्लेवाल  के अनशन के कारण, अब एक गंभीर मोड़ पर पहुँच चुका है। जहां किसान अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस आंदोलन का समाधान निकाल पाती है, या फिर यह संघर्ष और गहरा होगा।

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