ISRO’s ‘SPADEX’ mission: अंतरिक्ष डॉकींग तकनीक में नया इतिहास रचने की तैयारी
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ISRO’s ‘SPADEX’ mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और नई ऐतिहासिक सफलता की ओर बढ़ रहा है। शनिवार को, ISRO ने अपने स्पेस डॉकींग प्रयोग (SPADEX) सैटेलाइट्स का पहला दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इस मिशन के तहत, ISRO ने सैटेलाइट्स को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के पहले लॉन्च पैड पर रखा है। ISRO के अनुसार, इस स्पेस डॉकींग प्रयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यानों (PSLV-C60) के डॉकिंग (एक वाहन को दूसरे से जोड़ना) और अंडॉकिंग (दोनों जुड़े हुए यानों का पृथक करना) के लिए आवश्यक तकनीकी विकास करना है।
डॉकींग तकनीक का प्रदर्शन
ISRO ने इस सूचना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा किया। ISRO ने एक पोस्ट में कहा, “लॉन्च वाहन का एकत्रीकरण पूरा हो चुका है और अब इसे पहले लॉन्च पैड पर ले जाया गया है, ताकि सैटेलाइट्स को उस पर स्थापित किया जा सके और लॉन्च के लिए तैयार किया जा सके।” ISRO के अनुसार, SPADEX मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करेगा, जिसमें दो छोटे अंतरिक्ष यान PSLV द्वारा लॉन्च किए जाएंगे।
भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक
ISRO ने कहा कि यह तकनीक भारत के चंद्र मिशन, चंद्रमा से नमूने लाने, और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (BAS) के निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है। जब कई रॉकेटों को एक सामान्य मिशन उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए लॉन्च करना होता है, तो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक आवश्यक हो जाती है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
SPADEX मिशन के तहत, दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम) PSLV-C60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ लॉन्च किए जाएंगे, जो 470 किमी के वृत्ताकार कक्षा में 55 डिग्री के झुकाव पर जाएंगे। इन यानों का स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन होगा।
🚀 SpaDeX Mission: A Leap Towards India’s Space Ambitions 🌌
ISRO’s SpaDeX mission, launching with PSLV-C60, will demonstrate in-space docking using two small spacecraft. This groundbreaking technology is key to future lunar missions, building Bharatiya Antariksh Station (BAS),… pic.twitter.com/hEHZ7M0zi2
— ISRO (@isro) December 21, 2024
PSLV-C60 के माध्यम से लॉन्च
इस मिशन को PSLV-C60 के माध्यम से इस महीने के अंत तक लॉन्च किया जाएगा। ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पहले ही कहा था कि PSLV-C60 मिशन अंतरिक्ष डॉकींग प्रयोग का प्रदर्शन करेगा, जिसे ‘SPADEX’ नाम दिया गया है। यह मिशन संभवतः इसी दिसंबर में पूरा हो सकता है।
‘स्पेस डॉकींग’ क्या है और इसका उद्देश्य
‘स्पेस डॉकींग’ एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा दो अंतरिक्ष यान आपस में अंतरिक्ष में ही जुड़ सकते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष यानों को एक दूसरे से जोड़ने की अनुमति देती है, ताकि इंसान एक यान से दूसरे यान में जा सकें। स्पेस डॉकींग तकनीक अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉकींग में, अंतरिक्ष यान अपने आप अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ सकते हैं।
यह तकनीक, जिसे दो अलग-अलग चीजों को अंतरिक्ष में जोड़ने के रूप में देखा जा सकता है, भारत के लिए कई महत्वपूर्ण मिशनों में सहायक होगी। विशेष रूप से, यह तकनीक भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद करेगी।
स्पेस डॉकींग तकनीक का महत्व
स्पेस डॉकींग तकनीक का महत्व अंतरिक्ष मिशनों के विभिन्न पहलुओं में निहित है। उदाहरण के लिए, जब विभिन्न रॉकेटों को एक साथ लॉन्च करके एक मिशन के उद्देश्य को पूरा किया जाता है, तो एक यान को दूसरे से जोड़ने के लिए डॉकींग तकनीक आवश्यक होती है। यह तकनीक न केवल अंतरिक्ष यात्रा को सुगम बनाती है, बल्कि यह अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और संचालन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत के लिए यह तकनीक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। भारत ने पहले ही चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशनों के साथ चंद्रमा पर कदम रखा है, और अब चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद, चंद्रयान-4 परियोजना पर काम चल रहा है। इसके अलावा, भारत का लक्ष्य अपने अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण भी है, और इस उद्देश्य के लिए डॉकिंग तकनीक की आवश्यकता होगी।
SPADEX मिशन और भविष्य की योजनाएं
SPADEX मिशन ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे अंतरिक्ष डॉकींग तकनीक की नींव रखी जाएगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अनिवार्य होगी। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत न केवल अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक के क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाएगा, बल्कि यह भारत को अन्य देशों के साथ सहयोग करने और संयुक्त मिशनों में भाग लेने के अवसर भी देगा।
SPADEX के माध्यम से भारत, अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा, जिससे भविष्य में कई अंतरिक्ष मिशन सरल और सस्ते होंगे। इसके साथ ही, इस मिशन के सफल होने से भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम और भी मजबूत होगा और यह दुनिया के अन्य प्रमुख अंतरिक्ष देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगा।
ISRO का SPADEX मिशन एक बड़ा कदम है, जो भारत को अंतरिक्ष डॉकींग तकनीक में अग्रणी बनाएगा। यह तकनीक भविष्य के मिशनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से चंद्रयान-4 परियोजना और भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में। ISRO की इस उपलब्धि से न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश मिलेगा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इस मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष में एक नई पहचान दिलाएगी और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नए आयाम तक ले जाएगी।