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Employment opportunities: भारत में श्रमिकों की घरेलू प्रवासन दर में गिरावट, रोजगार अवसरों में वृद्धि का संकेत

Employment opportunities: भारत में पिछले 12 वर्षों में श्रमिकों के दूसरे राज्यों में काम के लिए जाने की संख्या में अभूतपूर्व गिरावट आई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जैसे-जैसे राज्यों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, वैसे-वैसे लोगों का दूसरे राज्यों में प्रवास कम हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, लोग अब अपने ही घरों में रोजगार की संभावनाओं के कारण बाहर जाने के बजाय अपने ही क्षेत्रों में रहकर काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

माइग्रेंट श्रमिकों की संख्या में 12 प्रतिशत की कमी

2011 में भारत में माइग्रेंट श्रमिकों की संख्या 45.57 करोड़ थी, जो 2023 में घटकर 40.20 करोड़ हो गई है। इस प्रकार, माइग्रेंट श्रमिकों की संख्या में 12 प्रतिशत की कमी आई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबरोय ने इस घटते प्रवासन का कारण भारत में बेहतर सेवाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी के प्रसार को बताया है।

उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि यह गिरावट बेहतर आर्थिक अवसरों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के कारण है, जिससे लोग अपने गृह राज्य में ही काम करने को प्राथमिकता देने लगे हैं।”

भारत में घरेलू प्रवासन की दर में कमी

बिबेक देबरोय ने आगे लिखा कि यह प्रवासन में गिरावट इस बात का संकेत है कि देश में आर्थिक अवसरों का विस्तार हो रहा है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में प्रवासन दर 37.64 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है। इसका मतलब है कि अब भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा अपने घर से दूर जाकर काम करने की बजाय अपने ही राज्य या शहर में रोजगार पा रहा है।

Employment opportunities: भारत में श्रमिकों की घरेलू प्रवासन दर में गिरावट, रोजगार अवसरों में वृद्धि का संकेत

यह रिपोर्ट भारतीय रेलवे के अनरिजर्व्ड टिकट सिस्टम, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के घूमें-फिरने के आंकड़े और जिला स्तर के बैंकिंग आंकड़ों का उपयोग करके प्रवासी श्रमिकों के रुझान का मूल्यांकन करती है।

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प्रवासन के रुझान और प्रवासी श्रमिकों के आंकड़े

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों से श्रमिक दूसरे राज्यों में काम के लिए जाते हैं, विशेषकर मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर और कोलकाता के आसपास के जिलों से।

रिपोर्ट के अनुसार, 2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक श्रमिक दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में जाते हैं। इन पांच राज्यों में 48 प्रतिशत माइग्रेंट श्रमिकों का योगदान है, जिसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं।

प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रमुख गंतव्य राज्य

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में काम के लिए जाने वाले श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है। इन राज्यों में आने वाले श्रमिकों का कुल 48 प्रतिशत योगदान है। यह आंकड़ा राज्य के भीतर होने वाले प्रवासन को भी शामिल करता है, जैसे शादी के कारण होने वाले बदलाव।

उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों से भी काम के लिए बाहर जाने की प्रवृत्ति देखी जाती है, हालांकि असम को छोड़कर अधिकांश उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोग अपने निकटवर्ती राज्यों में काम के लिए जाते हैं।

हिल स्टेट्स से श्रमिकों का प्रवास

हिल स्टेट्स यानी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर से भी बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में काम के लिए जाते हैं। इन राज्यों के श्रमिकों में बाहरी राज्यों में काम करने का एक मजबूत रुझान देखा गया है।

दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवास

दिल्ली को छोड़कर अन्य केंद्र शासित प्रदेशों से भी लोग काम के लिए बाहर जाते हैं, हालांकि दिल्ली में बाहरी राज्य से आने वाले श्रमिकों की संख्या अधिक है। इसके साथ ही, हिल स्टेट्स और उत्तर-पूर्वी राज्यों के श्रमिकों के बाहर जाने की प्रवृत्ति में भी वृद्धि देखी जाती है।

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रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि भारतीय श्रमिक अब अधिकतर अपने घरेलू राज्यों या उसके आसपास के क्षेत्रों में रोजगार पा रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, और अन्य सरकारी सेवाओं में सुधार है। इसके अलावा, आर्थिक अवसरों का बढ़ना और राज्यों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन भी इस बदलाव का मुख्य कारण है।

इससे यह संकेत मिलता है कि भारत के राज्यों में आर्थिक विकास हो रहा है, और लोग अब ज्यादा पलायन नहीं कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति का लाभ न केवल उन राज्यों को हो रहा है, जिनमें यह प्रवासी श्रमिक आ रहे हैं, बल्कि यह आर्थिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्यों में रहने वाले लोगों को रोजगार मिल रहा है और साथ ही स्थानीय विकास को बढ़ावा मिल रहा है।

भारत में प्रवासियों की संख्या में कमी का यह आंकड़ा इस बात का प्रतीक है कि देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और लोग अपने ही राज्य में काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है, जो बताता है कि भारत के विभिन्न राज्यों में आर्थिक और सामाजिक सुधार हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक नई दिशा और प्रगति की ओर इशारा करती है।

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