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Punjab news: चंडीगढ़ नगर निगम में कांग्रेस, बीजेपी और AAP के बीच तीखी बहस, अनील मसीह को कहा गया ‘वोट चोर’

Punjab news: चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में मंगलवार को उस समय हंगामा मच गया जब कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच डॉ. भीमराव अंबेडकर के मुद्दे को लेकर तीखी बहस हुई। इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच झड़प हुई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। नवनियुक्त पार्षद अनील मसीह ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय हेराल्ड मामले को लेकर हमला किया और कहा कि राहुल गांधी जमानत पर हैं।

इस बीच, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सदस्य आपस में भिड़ गए। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया और उनकी इस्तीफे की मांग की, जबकि बीजेपी के पार्षदों ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह नेहरू के समय में डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान करने की कोशिश कर रहे थे।

अनील मसीह को चोर कहे जाने के बाद हुआ हंगामा

अनील मसीह गुस्से में आ गए जब उन्हें “वोट चोर” कहा गया। इस पर हंगामा बढ़ गया और पार्षदों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। मसीह ने कहा कि राहुल गांधी, संजय गांधी और अरविंद केजरीवाल सभी जमानत पर हैं। इसके बाद मसीह ने कांग्रेस पार्षद के हाथ से पोस्टर छीन लिया और उसे फाड़ दिया। इससे हंगामा और बढ़ गया।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में वीडियो हुआ था वायरल

चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान अनील मसीह का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में मसीह को बैलट पेपर में छेड़छाड़ करते हुए देखा गया था। वह कैमरे की ओर देख कर कुछ लिख रहे थे और इससे ऐसा प्रतीत होता था जैसे वह कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हों। वीडियो में नजर आ रहा था कि मसीह मौजूदा अधिकारी की ओर देख रहे थे, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि वह कुछ गड़बड़ करने की कोशिश कर रहे थे।

इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बैलट पेपर में छेड़छाड़ की गई है और अनील मसीह के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इस वीडियो के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मसीह से सवाल किए थे।

कांग्रेस का देशभर में विरोध प्रदर्शन

कांग्रेस पार्टी आज देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है, जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में डॉ. भीमराव अंबेडकर पर किए गए बयान के खिलाफ है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के सभी नेताओं को निर्देश दिया है कि वे देशभर के हर जिले में “बाबा साहेब अंबेडकर सम्मान मार्च” आयोजित करें। विपक्षी दलों ने अमित शाह पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है और उनके इस्तीफे की मांग की है।

कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ अन्य दलों ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। अंबेडकर के सम्मान में विरोध स्वरूप देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कांग्रेस के अनुसार, अमित शाह का बयान अंबेडकर के योगदान को नकारने जैसा है और यह एक सुनियोजित प्रयास है ताकि उनकी नीतियों को धूमिल किया जा सके।

बीजेपी का पलटवार

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए उन पर hypocrisy (द्वारमता) का आरोप लगाया। सोमवार को बीजेपी नेता रवि शंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पूर्व विधि और न्याय मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर की धरोहर और अनुसूचित जाति/जनजाति समुदायों के संरक्षण के मामले में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। प्रसाद ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान अंबेडकर को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था और उनके द्वारा स्मारक निर्माण पर भी अड़चन डाली गई थी।

बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की यह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति केवल लोगों को गुमराह करने के लिए है और पार्टी की नीतियों का यह हिस्सा नहीं है। पार्टी का दावा है कि डॉ. अंबेडकर के सम्मान में बीजेपी हमेशा सक्रिय रही है और पार्टी ने उनके योगदान को सही मायनों में सम्मानित किया है।

आने वाले दिनों में स्थिति

चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में हुए इस हंगामे ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर से तीखी बहसों को जन्म दिया है। इस विवाद ने कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच की खाई को और गहरा किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर पार्टी के वरिष्ठ नेता क्या कदम उठाते हैं और क्या यह मामला और बढ़ेगा या शांत हो जाएगा।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच का यह संघर्ष अब केवल चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे देश में डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान के मुद्दे पर व्यापक बहस का कारण बन गया है। इस बीच, बीजेपी अपनी ओर से यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि उसने अंबेडकर के योगदान को सही तरीके से सम्मानित किया है, जबकि कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी के नेता अंबेडकर की विरासत को कमजोर कर रहे हैं।

इस विवाद ने न केवल चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक को प्रभावित किया है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत कर चुका है। यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि इस विवाद का राजनीतिक परिणाम क्या होता है, और क्या यह स्थिति देश के राजनीति पर लंबे समय तक प्रभाव डालने वाली साबित होगी।

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