Map controversy: बेलगावी कांग्रेस सत्र और विवाद, कर्नाटक के ऐतिहासिक सत्र पर एक नजर
Map controversy: कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस सत्र की शुरुआत से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक तैयार मुद्दा मिल गया है। दरअसल, बेलगावी में कांग्रेस सत्र के लिए लगाए गए पोस्टरों में भारत का मानचित्र था, लेकिन उसमें जम्मू-कश्मीर का हिस्सा गायब था। इस पोस्टर को देखकर भाजपा ने इसे मुद्दा बना दिया है। भाजपा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को भारत के मानचित्र से गायब करना देशद्रोह का संकेत है और इससे कांग्रेस का ‘देश विरोधी चेहरा’ सामने आ गया है। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा दोनों की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक, यह गलती एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक की ओर से हुई थी, और जैसे ही यह गलती सामने आई, पोस्टरों को तुरंत हटा लिया गया। बीजेपी के नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत के मानचित्र के साथ छेड़छाड़ को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह कांग्रेस के ‘देशविरोधी’ रवैये को उजागर करता है।
बेलगावी कांग्रेस सत्र का ऐतिहासिक महत्व
बेलगावी कांग्रेस सत्र की शुरुआत से पहले इस तरह का विवाद छिड़ने से इस ऐतिहासिक सत्र की महत्वता और बढ़ गई है। कर्नाटक का बेलगावी शहर वह स्थान है, जहां 1924 में महात्मा गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस का एक अहम सत्र हुआ था। यह सत्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद किया जाता है। इस सत्र में गांधीजी ने चरखा चलाने और असहमति का विरोध करने के लिए ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘नमक बंदी’ जैसी महत्वपूर्ण पहल की थीं। गांधीजी ने इस सत्र में भारतीयों से आह्वान किया कि वे खुद अपना कपड़ा बनाएं और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष को तेज करें।
इतिहास में यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इसने राष्ट्रीय आंदोलन को एक नया दिशा और बल दिया। इस सत्र के दौरान गांधीजी ने असहमति का विरोध और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करने की बात की थी। इस सत्र को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणादायक क्षण माना जाता है।
बेलगावी कांग्रेस सत्र का आयोजन
बेलगावी कांग्रेस सत्र का आयोजन 26 और 27 दिसंबर 1924 को हुआ था। इस सत्र की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी और इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई प्रमुख नेता शामिल हुए थे। इस सत्र में करीब 70,000 लोग उपस्थित हुए थे, जो उस समय के लिए ऐतिहासिक था। यह संख्या स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अहम मोड़ के रूप में देखी जाती है। इस सत्र का आयोजन बेलगावी के तिलकवाड़ी क्षेत्र में हुआ था। इस सत्र के बाद इस इलाके का नाम विजयनगर रखा गया, जो विजयनगर साम्राज्य के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
सत्र की प्रमुख बातें और कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति
बेलगावी कांग्रेस सत्र में कई प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, जिनमें मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू (जो बाद में भारत के पहले प्रधानमंत्री बने), सुभाष चंद्र बोस, सरोजिनी नायडू, एनी बेसेन्ट, शौकत अली, सैयद फुद्दीन किचलू और अन्य नेता शामिल थे। इन नेताओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बेलगावी सत्र ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर एक नया जोश और उत्साह पैदा किया, जिससे ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष तेज हुआ।
विजयनगर और पंपा सरोवर
बेलगावी कांग्रेस सत्र के आयोजन स्थल को विजयनगर नाम दिया गया था, जो विजयनगर साम्राज्य के इतिहास को याद करता है। यहां एक कुआं भी खुदवाया गया था, जिसका नाम पंपा सरोवर रखा गया, जो हंपी के ऐतिहासिक स्थल से लिया गया था। पंपा सरोवर एक ऐतिहासिक स्थल बन चुका है, और यह दर्शाता है कि कैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं को महत्व दिया गया।
कांग्रेस की योजनाएं और कार्यक्रम
कर्नाटक सरकार इस ऐतिहासिक सत्र की शताब्दी के अवसर पर बेलगावी शहर में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल होंगे। सरकार ने इस अवसर पर शहर को दीयों और लाइटों से सजाने की योजना बनाई है, जैसा कि माईसूर दशहरे के दौरान होता है। इस अवसर पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा कि स्वतंत्रता संग्राम के इस अहम मोड़ को एक नई दिशा देने वाले नेताओं के योगदान को याद किया जाए।
कर्नाटक में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन
बेलगावी कांग्रेस सत्र का आयोजन सिर्फ ऐतिहासिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह कर्नाटक में कांग्रेस की शक्ति का भी प्रतीक है। कांग्रेस इस कार्यक्रम को एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के रूप में देख रही है, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति और कर्नाटक के लोगों को एकजुट करने का संदेश दिया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से कांग्रेस अपनी मजबूत स्थिति को साबित करने की कोशिश करेगी, खासकर तब जब राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की आवाज़ तेज हो रही है।
बेलगावी कांग्रेस सत्र का ऐतिहासिक महत्व आज भी न केवल कर्नाटका बल्कि पूरे देश में महसूस किया जाता है। इस सत्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा दी और महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनमानस में एक नई उम्मीद जगाई। हालांकि, इस सत्र से पहले उठे विवाद ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक नया मोड़ लिया है, लेकिन यह ऐतिहासिक घटना अपनी ऐतिहासिकता में और भी प्रभावी साबित होगी। बेलगावी में आयोजित होने वाले इस सत्र की शताब्दी उत्सव की तैयारी कर्नाटका में कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा मौका है, जहां यह अपने ऐतिहासिक योगदान को याद करेगी और आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देने का प्रयास करेगी।