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Dr. Manmohan Singh के निधन पर राजकीय शोक, जाने प्रक्रिया और महत्व

पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के निधन के बाद पूरा देश शोकाकुल है। उनकी मृत्यु के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है और सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर देशभर में राजकीय शोक से जुड़े नियम और प्रक्रिया के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।

क्या है राजकीय शोक?

राजकीय शोक एक औपचारिक प्रक्रिया है, जो देश के किसी प्रमुख नेता, कलाकार, या ऐसे व्यक्ति के निधन पर घोषित की जाती है, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना विशेष योगदान दिया हो। यह शोक मृत व्यक्ति के प्रति राष्ट्र की संवेदना और आदर व्यक्त करने का एक प्रतीक है।

पहले राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास था। राष्ट्रपति, केंद्र सरकार की सलाह पर, इस शोक की घोषणा करते थे। लेकिन समय के साथ नियमों में बदलाव आया और अब यह अधिकार राज्यों के पास भी है। कई बार केंद्र और राज्य सरकारें एक ही घटना के लिए अलग-अलग राजकीय शोक घोषित कर सकती हैं।

Dr. Manmohan Singh के निधन पर राजकीय शोक, जाने प्रक्रिया और महत्व

राजकीय शोक के दौरान क्या होता है?

राजकीय शोक के दौरान कुछ विशेष प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं:

  1. राष्ट्रीय ध्वज आधा झुकाया जाता है
    फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार, सभी सरकारी कार्यालयों, विधानसभा और सचिवालय में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। यह मृतक के प्रति सम्मान व्यक्त करने का प्रतीक है।
  2. सरकारी और औपचारिक कार्यक्रम स्थगित होते हैं
    राजकीय शोक के दौरान किसी भी तरह के सरकारी या औपचारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते। पहले से निर्धारित कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया जाता है।
  3. मनोरंजन पर प्रतिबंध
    इस अवधि में आधिकारिक मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी प्रतिबंध रहता है। केवल आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है।
  4. सरकारी संस्थानों में काम जारी रहता है
    सरकारी स्कूल, कार्यालय और संस्थान सामान्य रूप से कार्य करते हैं। सरकारी छुट्टी केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही घोषित की जाती है।

राजकीय शोक में सरकारी छुट्टी का नियम

राजकीय शोक के दौरान सरकारी छुट्टी का प्रावधान नहीं है। केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के अनुसार, इस दौरान कोई सरकारी छुट्टी घोषित नहीं होती।

हालांकि, यदि किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन पद पर रहते हुए होता है, तो उस स्थिति में सरकारी छुट्टी घोषित की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, केंद्र और राज्य सरकारें अपने विवेक से छुट्टी का निर्णय ले सकती हैं।

राजकीय शोक की अवधि

राजकीय शोक की अवधि निर्धारित करने का कोई सख्त नियम नहीं है। यह अवधि सरकार की घोषणा पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए:

  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिनों का शोक घोषित किया गया था।
  • पूर्व रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिनों का शोक घोषित किया गया।

यह अवधि मृत व्यक्ति की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के आधार पर तय की जाती है।

डॉ. मनमोहन सिंह: एक दृष्टि

डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में 2004 से 2014 तक देश की सेवा की। एक प्रख्यात अर्थशास्त्री और राजनेता, डॉ. सिंह ने भारत को आर्थिक सुधारों की दिशा में एक नई राह दिखाई। उन्होंने 1991 के आर्थिक उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला।

उनके निधन से भारत ने एक महान नेता, विचारक और मार्गदर्शक खो दिया है। उनके योगदान को याद करते हुए सरकार ने उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्णय लिया है।

राजकीय शोक की प्रक्रिया में बदलाव

समय के साथ राजकीय शोक घोषित करने की प्रक्रिया में कई बदलाव हुए हैं। पहले यह अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास था। अब केंद्र और राज्य सरकारें स्वतंत्र रूप से यह निर्णय ले सकती हैं।

इससे राज्यों को अपने क्षेत्रीय नेताओं, कलाकारों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर मिला है। हालांकि, कई बार एक ही घटना के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग शोक घोषित करने पर आलोचना भी होती है।

राजकीय शोक का महत्व

राजकीय शोक एक सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो मृत व्यक्ति के प्रति आदर और संवेदना व्यक्त करती है। यह न केवल उस व्यक्ति के योगदान को स्वीकार करता है, बल्कि समाज को उनके कार्यों से प्रेरणा लेने का संदेश भी देता है।

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर में गहरा शोक है। उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए राजकीय शोक घोषित किया गया है। यह शोक न केवल एक औपचारिक प्रक्रिया है, बल्कि राष्ट्र की ओर से उनके प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका भी है।

डॉ. सिंह का योगदान हमेशा भारतीय समाज और राजनीति में याद किया जाएगा। उनके विचार और नेतृत्व आज भी देश के लिए प्रेरणा हैं।

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