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Earthquake: गुजरात के कच्छ में भूकंप के झटके, महीने में तीसरी बार महसूस हुए 3 से अधिक तीव्रता के झटके

Earthquake: गुजरात के कच्छ जिले में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रविवार सुबह 10:06 बजे कच्छ में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र भचाऊ के उत्तर-उत्तरपूर्व में 18 किलोमीटर दूर था। यह भूकंप, जो कच्छ में इस महीने का तीसरा भूकंप है, हालांकि कम तीव्रता का था, लेकिन फिर भी इसने लोगों में हलचल मचाई। इस भूकंप के कारण किसी भी प्रकार की जानमाल की हानि की खबर नहीं आई है।

भूकंप का केंद्र और तीव्रता

गांधी नगर स्थित भूकंपीय अनुसंधान संस्थान (Seismological Research Institute) के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिच्टर पैमाने पर 3.2 मापी गई। भचाऊ के उत्तर-उत्तरपूर्व में स्थित इसका केंद्र 18 किलोमीटर दूर था। यह भूकंप इस महीने का तीसरा भूकंप था, जिसकी तीव्रता 3 से अधिक रही। इससे पहले, 23 दिसंबर को कच्छ में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था, और 7 दिसंबर को भी 3.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था।

कच्छ में बार-बार भूकंप के झटके

कच्छ में लगातार भूकंप के झटके लोगों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। कच्छ एक भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है, जहां समय-समय पर भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं। 7 दिसंबर और 23 दिसंबर को महसूस किए गए भूकंप ने क्षेत्रवासियों को अलर्ट किया था, और अब 30 दिसंबर को फिर से एक भूकंप ने क्षेत्र में हलचल पैदा की। हालांकि, इन भूकंपों की तीव्रता बहुत अधिक नहीं रही है, फिर भी इनका प्रभाव जनता में भय का माहौल बना रहा है।

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भूकंप के प्रभाव का आकलन

कम तीव्रता वाले भूकंपों के बावजूद, इनका असर लोगों पर मानसिक रूप से होता है। कच्छ में पिछले एक महीने में तीन बार भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं, जो निश्चित रूप से लोगों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। विशेष रूप से, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भूकंप की चिंता बनी रहती है, क्योंकि भूकंप के बाद किसी प्रकार की संरचनात्मक क्षति का खतरा बना रहता है, हालांकि इस बार किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।

पड़ोसी क्षेत्रों में भी महसूस हुए भूकंप के झटके

न केवल कच्छ में, बल्कि जम्मू और कश्मीर और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी हाल के दिनों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले में 29 दिसंबर को भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप की तीव्रता रिच्टर पैमाने पर 4 मापी गई। भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर गहरे था और इसे रात 9:06 बजे महसूस किया गया। हालांकि, इस भूकंप के कारण भी किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई।

तेलंगाना में भी महसूस हुए थे भूकंप के झटके

तेलंगाना राज्य में भी 4 दिसंबर को एक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यह भूकंप मुलुगु में 5.3 तीव्रता का था और सुबह 7:27 बजे के आसपास आया था। भूकंप के झटके वारंगल जिले में भी महसूस किए गए, जहां के निवासियों ने बताया कि कुछ सेकेंड के लिए छत के पंखे हिलने लगे थे और अलमारियों से चीजें गिरने लगीं। हालांकि, इस भूकंप के कारण भी किसी प्रकार की जान-माल की हानि नहीं हुई।

भूकंप के वैज्ञानिक कारण

भूकंप पृथ्वी के आंतरिक दबाव के कारण होते हैं, जो मुख्यतः टेक्टोनिक प्लेटों के स्थानांतरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। जब दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है, तो यह पृथ्वी की सतह पर भूकंपीय तरंगों का रूप लेता है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं। कच्छ क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि अक्सर होती रहती है, क्योंकि यह क्षेत्र भारतीय और एशियाई प्लेटों के संगम पर स्थित है।

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भारत में भूकंप की संभावना

भारत एक भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है, खासकर उत्तर-पूर्वी राज्यों, कश्मीर घाटी, हिमालयी क्षेत्र और पश्चिमी भारत के कच्छ, गुजरात जैसे इलाकों में भूकंप की संभावना अधिक रहती है। हर साल भारत में कई छोटे और मध्यम आकार के भूकंप आते हैं। हालांकि, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (IGS) और अन्य संस्थाएं लगातार भूकंप की निगरानी करती हैं, जिससे भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्यों को तेजी से शुरू किया जा सकता है।

भूकंप से बचाव के उपाय

भूकंप से बचने के लिए कुछ सामान्य उपायों का पालन किया जा सकता है। भूकंप आने पर, सबसे पहले तो यह जरूरी है कि आप सुरक्षित स्थान पर जाएं। यदि आप घर के अंदर हैं, तो मजबूत दीवारों या ताजे निर्माण के पास छिपने की कोशिश करें और एक ठोस टेबल या फर्नीचर के नीचे शरण लें। यदि आप घर के बाहर हैं, तो किसी खुले मैदान में जाकर वहां रुकें। भूकंप के बाद गिरने वाले मलबे से बचने के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।

कच्छ और अन्य क्षेत्रों में हाल में आए भूकंपों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भूकंपीय गतिविधि एक अनिश्चित और अप्रत्याशित घटना है, जिसका सामना हम सभी को कभी न कभी करना पड़ सकता है। हालांकि, इन भूकंपों की तीव्रता कम थी और इनसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ, फिर भी यह हमें तैयार रहने का संदेश देते हैं। भारत में भूकंप की संभावना को देखते हुए हमें भूकंप से बचाव के उपायों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और भूकंप के प्रति जागरूकता को बढ़ाना चाहिए।

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