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Barnala Farmers Bus Accident: किसान महापंचायत जा रही बस हादसे का शिकार, कई किसान घायल होने की आशंका

Barnala Farmers Bus Accident: पंजाब के बरनाला जिले में एक बड़ी सड़क दुर्घटना ने हलचल मचा दी है। यह हादसा खनौरी बॉर्डर के पास हुआ, जहां किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए जा रहे थे। जानकारी के अनुसार, बस जिसमें किसान सवार थे, घने कोहरे के कारण ट्रक से टकरा गई। यह बस जगजीत सिंह डल्लेवाल के गांव से किसान महापंचायत में भाग लेने के लिए खनौरी बॉर्डर जा रही थी। दुर्घटना बरनाला-मोगा नेशनल हाईवे पर जेल के पास हुई, और शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, इस दुर्घटना में कई किसान घायल हो गए हैं।

घायलों को अस्पताल भेजा गया

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घायलों को बरनाला के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। फिलहाल, घायलों की संख्या और उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई सटीक जानकारी सामने नहीं आई है। पुलिस ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है और प्राथमिकता से जांच कर रही है कि घटना कैसे हुई।

घना कोहरा और दृश्यता का संकट

बरनाला में घने कोहरे के कारण दृश्यता बहुत कम हो गई थी, जिससे दुर्घटना का जोखिम बढ़ गया। पंजाब के कई अन्य शहरों में भी इस समय कोहरे का असर देखा जा रहा है। जालंधर, अमृतसर, फरीदकोट, पटियाला, मोगा और फगवाड़ा जैसे शहरों में कोहरा छाया हुआ था। अमृतसर में विमानों को भी कोहरे के कारण अपने शेड्यूल में बदलाव करना पड़ा। शाम के वक्त, पंजाब के कई शहरों में दृश्यता में और गिरावट आई, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना और बढ़ गई।

डल्लेवाल का अनशन और किसानों का आंदोलन

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यह हादसा उस समय हुआ है, जब किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 40 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं। वह किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रमुख है। डल्लेवाल की सेहत भी गिरती जा रही है, लेकिन वह अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। डल्लेवाल के अनशन को लेकर कई राजनीतिक नेताओं ने भी चिंता जताई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और डल्लेवाल से बातचीत करे, क्योंकि उनका जीवन अनमोल है।

बरनाला: किसान महापंचायत जा रही बस हादसे का शिकार, कई किसान घायल होने की आशंका

किसानों की निरंतर संघर्ष की कहानी

किसानों का संघर्ष पिछले एक साल से जारी है। शंभू बॉर्डर पर भी किसान एमएसपी और अन्य मांगों को लेकर डटे हुए हैं और वहां से हटने को तैयार नहीं हैं। इन किसानों के संघर्ष का उद्देश्य है कि उनकी आवाज को सुना जाए और उनकी मांगों को मान्यता दी जाए। इस संघर्ष में कई किसान घायल हो चुके हैं और उनके परिवारों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन वे अपने आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिए हुए हैं।

किसानों की महापंचायत का महत्व

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यह दुर्घटना उस समय हुई है जब पंजाब में किसान महापंचायत आयोजित की जा रही थी। यह महापंचायत किसानों के अधिकारों और उनके संघर्ष के महत्व को बढ़ाने के लिए आयोजित की गई थी। महापंचायत का उद्देश्य था कि सरकार के सामने किसानों की समस्याओं को उठाया जाए और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। किसानों के इस आंदोलन का असर न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में महसूस किया जा रहा है।

बरनाला में हुई इस दुखद दुर्घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पंजाब के किसानों के संघर्ष में कई मुश्किलें आ रही हैं। जहां एक तरफ वे अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें सड़क दुर्घटनाओं जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। इस दुर्घटना से यह साफ हो गया है कि राज्य और केंद्र सरकार को किसानों की सुरक्षा और उनके हितों को लेकर और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। किसानों की महापंचायत और उनके आंदोलन को लेकर अब यह देखना होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है और किसानों के साथ संवाद में सुधार करती है या नहीं।

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