हरियाणा

Haryana news: सिरसा में चपरासी को बंधक बनाने के मामले में विधायक गोकुल सेतिया ने हाईकोर्ट से FIR रद्द करने की अपील की।

Haryana news: 11 जनवरी 2023 को सिरसा के नगर परिषद कार्यालय में रिश्वत के आरोप पर तीन घंटे तक भारी हंगामा हुआ। विधायक गोकुल सेतिया ने एक सेवक पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उन्होंने उसे रंगे हाथों पकड़ा।

FIR रद्द करने की याचिका
विधायक गोकुल सेतिया ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में FIR रद्द करने की याचिका दाखिल की। जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की। अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी।

क्या है मामला?
शहर थाने में नगर परिषद कर्मचारी को बंधक बनाने, सरकारी काम में बाधा डालने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में FIR दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता राजेश कुमार, नगर परिषद में चपरासी, ने आरोप लगाया कि गोकुल सेतिया ने जबरन उनकी जेब में पैसे डाले और काम न करने पर मारपीट की।

राजेश कुमार का बयान
राजेश कुमार ने अपनी शिकायत में कहा कि वह 11 जनवरी को कार्यालय में ड्यूटी पर थे। इस दौरान दो व्यक्ति आए और फाइल का काम करने को कहा। राजेश ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह चपरासी हैं और यह काम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके बाद गोकुल सेतिया अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और उन पर दबाव डाला।

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया और मारपीट की गई। शोर मचाने पर उनके सहकर्मियों ने उन्हें बचाया।

Haryana news: सिरसा में चपरासी को बंधक बनाने के मामले में विधायक गोकुल सेतिया ने हाईकोर्ट से FIR रद्द करने की अपील की।

तीन घंटे तक चला हंगामा
11 जनवरी को कार्यालय में तीन घंटे तक भारी हंगामा हुआ। गोकुल सेतिया ने सेवक पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। वहीं, नगर परिषद के EO ने आरोप लगाया कि गोकुल सेतिया ने कार्यालय में हंगामा किया और कर्मचारी को बंधक बनाया।

NOC के लिए रिश्वत का आरोप
हरि विष्णु कॉलोनी के मनोज कोचर ने आरोप लगाया कि वह पिछले तीन महीने से प्लॉट के NOC के लिए कार्यालय जा रहे थे। अधिकारियों ने NOC जारी नहीं की और सेवक ने इसके लिए 10 हजार रुपये की मांग की। सौदा 5 हजार रुपये में तय हुआ।

हाईकोर्ट में सुनवाई
गोकुल सेतिया ने FIR रद्द करने की याचिका में इसे झूठा मामला और राजनीतिक साजिश बताया। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है और अगली तारीख 30 जनवरी तय की गई है।

इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र और राजनीतिक हस्तक्षेप पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिश्वत और मारपीट के आरोपों की निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती है।

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