मलेरिया के लक्षण होने पर अवश्य लें डॉक्टर की सलाह : डा. भोला
जींद
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडेला में मलेरिया दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडेला के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश भोला ने की। डा. भोला ने बताया की मलेरिया एक ऐसा रोग है जो मादा एनाफलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं जो उड़ कर हम तक पहुंचते हैं। यह वर्षा ऋतू में फैलने वाला एक बेहद खतरनाक रोग है। डेंगू के मच्छर का काटने का समय जहां सूर्यास्त से पहले होता है वहीं मलेरिया फैलाने वाले मच्छर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। इन्हीं सब चीजों के प्रति सचेत रहने और खुद को इस रोग से बचाने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्वभर में मलेरिया दिवस मनाया जाता है। आमतौर पर मलेरिया का रोग अप्रैल से शुरू हो जाता है लेकिन जुलाई से नवंबर के बीच में यह रोग अपने चरम पर होता है। इसी दौरान लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं इसलिए अपने आसपास गंदा पानी इक_ा न होने दें। साफ -सफाई पर विशेष ध्यान दें। यदि आपके आसपास पानी इक_ा होता है तो उस स्थान को मिट्टी डाल कर भर दें। अगर ऐसा संभव न हो तो इक्कठे हुए पानी में मिट्टी का तेल व काला जला हुआ तेल इस्तेमाल करें और मच्छरों को पैदा होने से रोकें। मलेरिया से बचाव के बारे में बताते हुए डॉ. भोला ने कहा की रात को सोते समय छोटे बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों व गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिएं व मच्छर रोधी दवाई, रिफिल का इस्तेमाल करें या सोने से कुछ समय पहले नीम की पत्तियों का धुआं सोने वाली जगह पे करें। मलेरिया में सबसे अधिक खतरा जिन लोगों को होता है उनमें गर्भवती महिलाएं शामिल हैं इसलिए गर्भावस्था में इस रोग से बचने के लिए खून की जांच अवश्य करवानी चाहिए। डा. जतिंद्र ने बताया कि मलेरिया होने का मुख्य कारण परजीवी मादा मच्छर एनाफ्लीज ही है, जिसके जरिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश हो सकते हैं। इसके अलावा एक ही सिरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है। मलेरिया होने पर हर व्यक्ति में एक जैसे लक्षण नजर आते हैं क्योंकि यह काफी हद तक इस चीज पर निर्भर करता है कि आपको इंफेक्शन कितना हुआ है। किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है और अगर बीमारी गंभीर है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह पर कुछ जांच भी करवाई जाती है। मलेरिया के निम्न लक्षण होते हैं जैसे सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना या जी मचलना, कमजोरी और थकान महसूस होना, तेज बुखार सहित फ्लू जैसे कई लक्षण सामने आना मलेरिया के लिए जरूरी टेस्ट, मलेरिया की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट, कराने की सलाह देते हैं। मलेरिया परजीवी के कौन से कण रोगी में मौजूद हैं इसका पता भी मलेरिया सूक्ष्मदर्शी परीक्षण से लगता है। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. भोला ने सभी स्वास्थ्यकर्मियों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने कार्य क्षेत्र में मलेरिया रोग को लेकर लोगों में जागरूकता को फैलाएं ताकि भविष्य में इसे जड़ से ख़तम किया जा सके। इस मौके पर विजेंद्र सिंह, सुलतान सिंह, गुलाब कौर, सुनीता देवी, सरिता, राहुल, जयपाल, जोगिंद्र व खुशी नर्सिंग कॉलेज कागसर के नर्सिंग स्टूडेंट्स भी मौजूद रहे।