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iPhone निर्यात में भारत की बड़ी छलांग, अमेरिकी टैक्स से पहले जमकर हुई बिक्री

भारत बना iPhone का निर्यात हब: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का असर अब धीरे-धीरे ग्लोबल मार्केट में दिखने लगा है। इसी बीच भारत के लिए एक बड़ी और अच्छी खबर सामने आई है। भारतीय बाजार ने iPhone के निर्यात के मामले में जबरदस्त उछाल दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2025 में भारत से प्रीमियम Apple iPhone के निर्यात में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी देखी गई है। मार्च 2025 में भारत ने करीब 20,000 करोड़ रुपये के iPhone निर्यात किए, जबकि मार्च 2024 में यह आंकड़ा लगभग 11,000 करोड़ रुपये था।

टैरिफ लागू होने से पहले Apple ने बनाए भारी स्टॉक

जानकारों का मानना है कि अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को लागू किए गए नए रेसिप्रोकल टैरिफ से पहले Apple ने iPhones का भारी स्टॉक बना लिया था। कंपनी को आशंका थी कि टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिका को निर्यात में दिक्कतें आ सकती हैं या फिर रफ्तार कम हो सकती है। इसी वजह से भारत से बड़े पैमाने पर iPhone का निर्यात मार्च में ही कर लिया गया। यह रणनीति Apple के लिए कारगर साबित हुई और भारत के लिए यह मौका बड़ा लाभदायक रहा।

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iPhone निर्यात में भारत की बड़ी छलांग, अमेरिकी टैक्स से पहले जमकर हुई बिक्री

वित्त वर्ष 2025 में 1.5 लाख करोड़ के iPhone निर्यात

एक आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के iPhone निर्यात किए हैं। यह पिछले वर्ष 2024 की तुलना में काफी अधिक है, जब यह आंकड़ा करीब 85,000 करोड़ रुपये था। सिर्फ 2025 के पहले तीन महीनों में ही भारत ने लगभग 48,000 करोड़ रुपये के iPhone दुनिया भर में भेजे हैं। यह निर्यात न सिर्फ भारत के लिए आर्थिक मजबूती का संकेत है, बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका भी दर्शाता है।

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iPhone बना अमेरिका को निर्यात किया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा उत्पाद

इस साल के निर्यात आंकड़ों में फॉक्सकॉन ने सबसे बड़ी हिस्सेदारी ली है, जिसने कुल iPhone निर्यात का 51% हिस्सा संभाला। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स 30% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि टाटा की ही एक और सब्सिडियरी पेगाट्रॉन ने 19% iPhones का निर्यात किया। अमेरिका को ही अकेले भारत ने बीते साल करीब 46,200 करोड़ रुपये के iPhone भेजे थे। यह आंकड़ा इसलिए खास है क्योंकि यह अब पेट्रोलियम उत्पादों के बाद अमेरिका को भेजा जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा उत्पाद बन गया है।

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