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हरियाणा-पंजाब जल विवाद: बीबीएमबी ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने की सिफारिश, केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

हरियाणा और पंजाब के बीच वर्षों पुराना जल विवाद एक बार फिर तूल पकड़ता नजर आ रहा है। हाल के दिनों में हरियाणा द्वारा पानी की किल्लत की शिकायत के बाद यह मुद्दा दो राज्यों के बीच तीखी राजनीतिक बयानबाजी और प्रशासनिक हलचलों का कारण बन गया है। इस विवाद में अब केंद्र सरकार और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) भी सक्रिय हो गया है।

हरियाणा ने की पानी की मांग, BBMB ने दिए एक्शन प्लान

हरियाणा ने पंजाब पर आरोप लगाया कि वह भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति में कटौती कर रहा है, जिससे राज्य में पीने और सिंचाई के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीबीएमबी से तत्काल रिपोर्ट तलब की। इसके बाद बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने की सिफारिश की है।

बीबीएमबी की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा अपने कोटे से 103% पानी पहले ही उपयोग कर चुका है। इसके बावजूद, बोर्ड ने विवाद के समाधान के लिए 3-4 एक्शन प्लान तैयार किए हैं। इनमें से एक योजना यह है कि हरियाणा को फिलहाल अतिरिक्त पानी दे दिया जाए और वर्ष 2025 के सर्कल (20 मई 2025 से अगले वर्ष तक) में कटौती करके संतुलन बनाया जाए।

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पंजाब का इनकार, मान का तीखा जवाब

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 6 मार्च 2025 से पंजाब हरियाणा को प्रतिदिन 4000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दे रहा है। लेकिन हरियाणा अब 8500 क्यूसेक पानी की मांग कर रहा है, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है। मान ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी पानी देने का कोई वादा नहीं किया था, और यह दावा पूरी तरह झूठा है।

उन्होंने हरियाणा पर पानी के असमर्थ प्रबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के पास 1700 क्यूसेक पानी उनकी आबादी के हिसाब से पर्याप्त है। लेकिन जब सिंचाई की जरूरतें बढ़ जाती हैं, तो अतिरिक्त पानी की मांग की जाती है।

केंद्र सरकार के बढ़ते हस्तक्षेप से पंजाब नाराज़

मान ने पत्र में यह भी लिखा कि भाजपा शासित केंद्र सरकार अब हरियाणा के जरिए पंजाब पर दबाव बना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीबीएमबी लगातार ऐसे प्रस्ताव ला रहा है जो पंजाब के जल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पंजाब अपने पानी पर किसी भी तरह का “डाका” नहीं पड़ने देगा।

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सैनी की मान से अपील

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मान सरकार से मानवीय आधार पर पुनः विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पानी किसी राज्य की नहीं, बल्कि प्रकृति की देन है और इसे साझा करने की आवश्यकता है। सैनी ने कहा कि पानी रोकने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे हरियाणा के कई जिलों में जल संकट उत्पन्न हो गया है।

आगे क्या?

सूत्रों के अनुसार बीबीएमबी के वरिष्ठ अधिकारी एक बार फिर पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में कोई स्थायी समाधान निकल सकता है। हालांकि, पानी की राजनीति ने इस मसले को एक बार फिर संवेदनशील बना दिया है, और यह साफ है कि यह विवाद सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि सियासी रंग भी ले चुका है।

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