भारत-पाक युद्ध हुआ, तो मोदी सरकार के सामने ये 5 सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी, यहाँ जाने डिटेल्स में

भारत और पाकिस्तान के बीच हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले की नाकाम कोशिश और फिर भारत का सख्त पलटवार, अब इस टकराव को संभावित युद्ध की ओर ले जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के सामने सिर्फ सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि घरेलू और वैश्विक स्तर पर भी कई अहम चुनौतियां होंगी। युद्ध का असर सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं होता, बल्कि देश के आम नागरिक, अर्थव्यवस्था और वैश्विक छवि पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
1. सप्लाई चेन को बनाए रखना बड़ी चुनौती
किसी भी युद्ध की स्थिति में देश के भीतर सप्लाई चेन का टूटना सबसे पहले असर दिखाता है। खाद्यान्न, ईंधन, दवाइयों और जरूरी सेवाओं की आपूर्ति बनी रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सभी प्रमुख मंत्रालयों और राज्यों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है। जरूरी सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्र के बीच मजबूत समन्वय की कोशिशें तेज कर दी गई हैं।
2. ग्लोबल नैरेटिव अपने पक्ष में रखना जरूरी
भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह स्पष्ट हो कि भारत किसी भी तरह की आक्रामकता नहीं, बल्कि आत्मरक्षा की नीति पर चल रहा है। यही वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारत ने कूटनीतिक स्तर पर 80 से ज्यादा देशों से संपर्क साधा और पाकिस्तान की भूमिका के खिलाफ पुख्ता सबूत साझा किए। भारत की रणनीति यही है कि वैश्विक समर्थन को मजबूत बनाए रखा जाए ताकि किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में कमजोरी न दिखाई दे।
3. आम नागरिकों के जीवन पर कम असर
सरकार की प्राथमिकता है कि युद्ध जैसी स्थिति में भी आम नागरिकों का जीवन न्यूनतम प्रभावित हो। महंगाई, ट्रांसपोर्ट, इंटरनेट या बैंकिंग सेवाओं में रुकावट न हो, इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। भारत की मजबूत आंतरिक स्थिति और पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था के चलते फिलहाल भारत के पास बढ़त है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।
4. ग्रोथ स्टोरी और निवेश पर असर न हो
टकराव के समय निवेश और ग्रोथ पर सीधा असर पड़ता है। लेकिन भारत ने पहले ही कई कूटनीतिक और आर्थिक कदम उठाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। इंग्लैंड के साथ FTA, अमेरिका की स्टारलिंक को मंजूरी, और अन्य निवेश प्रस्तावों को तेजी से निपटाना इसी रणनीति का हिस्सा है।
5. आंतरिक स्थिरता बनी रहे
युद्ध की स्थिति में देश के अंदर सामाजिक या राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। लेकिन हाल के दिनों में वक्फ बिल जैसे संवेदनशील मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हैंडल कर सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वो आंतरिक स्थिरता को लेकर सजग है। विपक्ष भी इस बार सरकार के साथ खड़ा दिख रहा है, जिससे एकजुटता का संदेश गया है।