सत्यखबर, पलवल
कोविड-19 वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सुरक्षा चक्र को मजबूत बनाने में पलवल जिला की 50 महिलाओं ने उल्लेखनीय कार्य किया है। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े 13 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी यह महिलाएं इन दिनों कपड़े व डिस्पोजेबल फेस मास्क तैयार कर रही है। इतना ही नहीं इन महिलाओं के दो स्वयं सहायता समूहों ने तो पीपीई किट तक तैयार कर दी। उपायुक्त नरेश नरवाल ने इस कार्य के लिए इन महिलाओं की सराहना की और कोरोना से बचाव के सुरक्षा चक्र को मजबूत बनाने में स्वयं सहायता समूहों के योगदान को अनुकरणीय बताया।
*मांग के अनुरूप पीपीई किट की आपूर्ति में भी सक्षम*
पलवल जिला के पांच गांव नामत: गदपुरी, सारोली, मंडकोला, मंदौरी व रहराना में हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े 13 स्वयं सहायता समूहों की 50 सदस्याएं सोशल डिस्टेंस मेनटेन करते हुए दिन रात लोगों की सुरक्षा कवच के रूप में उपयोग होने वाले मास्क बना रही हैं। मंडोरी के हरि दर्शन व शिव दर्शन ग्रुप की सदस्याओं ने तो पीपीई किट भी तैयार की है। हालांकि अभी तक इन स्वयं सहायता समूहों द्वारा केवल फेस मास्क वितरित किए गए है अगर पीपीई किट की मांग आई तो यह समूह आपूर्ति करने के लिए तैयार है।
*स्वास्थ्य विभाग ने भी दिखाई रूचि*
वहीं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के इस प्रयास की स्वास्थ्य विभाग ने भी सराहना की है। सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप सिंह ने कहा कि अगर यह ग्रुप स्वास्थ्य विभाग से जुड़ कर पीपीई किट तैयार करें तो विभाग की ओर से इनको रॉ मैटिरियल उपलब्ध कराया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर पीपीई किट उपलब्ध होने से न केवल लागत में कमी आएगी बल्कि उपयोगी सामग्री के इस्तेमाल से लंबे समय तक चलने वाली किट भी तैयार की जा सकती है।
*महिलाओं के स्वावलंबन के लिए बने स्वयं सहायता समूह*
अतिरिक्त उपायुक्त एवं आजीविका मिशन के जिला मिशन निदेशक वत्सल वशिष्ठ ने बताया कि पलवल जिला में हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को स्थाई आजीविका के रास्ते सुगम करने हेतु कृषि व लघु उद्योग से संबंधित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का सफल संचालन किया जा रहा है जोकि मिशन का मुख्य उद्देश्य है। इसी क्रम में समूह सदस्यों को कौशल विकास एवं स्थाई आजीविका उपलब्ध कराते हुए खंड स्तर पर सिलाई केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। उक्त सिलाई केंद्रों का समूह की महिला सदस्यों द्वारा सामान्य कार्य को छोडक़र समय की आवश्यकता को मद्देनजर रखते हुए राष्ट्रहित में अब कोविड-19 से बचाव की दिशा में अपनी भागीदारी मास्क बनाकर सुनिश्चित कर रही हैं। ग्रामीण अंचल की महिलाओं की इस पहल को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
*मांग के अनुरूप बढ़ाया उत्पादन*
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गांव मंदौरी की कमलेश, मंडकोला की मीना देवी, सारोली की बबीता, गदपुरी की सविता ने बताया कि सिलाई केंद्रों पर 5 से 10 महिलाएं प्रत्येक केंद्र पर रोजाना कोविड-19 के तहत बचाव रखते हुए पूरी एक दूसरे से दूरी निर्धारित रख एवं स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखते हुए कपड़े व डिस्पोजेबल मास्क बनाने में जुटी हैं। शुरुआत में आस-पड़ोस में फेस मास्क नि:शुल्क वितरित किए गए थे लेकिन बाद में मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाया और निरंतर आपूॢत जारी है। जिसके चलते सदस्याओं की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
*मार्केटिंग बोर्ड व नूंह जिला से अधिक मांग*
मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नजमुश ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्क जैसीआवश्यक वस्तु का उपयोग आमजन तक पहुंचाने के लिए अब तक 64000 मास्क तैयार किए जा चुके हैं। मंडियों में फसल खरीद सीजन आरंभ होने पर मार्केटिंग बोर्ड को 11 हजार, नूंह जिला को 48 हजार तथा चार हजार फेस मास्क की स्थानीय बाजार में आपूर्ति की जा चुकी है। यह समूह डिस्पोजेबल व वाशेबल दोनों तरह के मास्क तैयार कर रहे हैं। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर इन महिलाओं को ऐसा प्लेटफार्म मिला है जहां एक ओर इन्हें अपना हुनर दिखाने का अवसर मिला वहीं दूसरी आर्थिक स्वावलंबन से उद्यमशीलता के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी हुई।
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