जाखल, सत्य खबर ,दिपक कुुमार
सर्व कर्मचारी संघ ब्लाक प्रधान मुरारी शर्मा ने कर्मचारियों के जो भत्ते काटे जा रहे हैं सरकार के इस कदम की निंदा की है उन्होंने कहा कि करोना काल में सभी कर्मचारियों की वेतनभत्तों में कटौती करना गलत है यह कहीं भी तर्कपूर्ण नहीं है सरकार इस भयंकर बीमारी के दौर में अपने योद्धाओं को जो इस संक्रमण के समय अपनी जान के साथ साथ अपने परिवार की जान भी दांव पर लगाए हुए हैं आज हर आम आदमी सरकारी कर्मचारी की प्रशंसा कर रहा है सभी विभागों के कर्मचारी अपने तन में मन धन से इस जंग को जीतने का प्रयास कर रहे हैं……
70 करोड़ रुपए से ऊपर कर्मचारियों ने हरियाणा सरकार को सहायता राशि प्रदान की है परंतु सरकार जंग लड़ने वाले योद्धाओं का मनोबल गिरा रही है परंतु फिर भी वे सरकार के साथ लगातार आमजन को सुविधाएं प्रदान करवा रहे हैं व उनकी जान बचा रहे हैं सरकारी कर्मचारी रक्षक बनकर लोगों की जान बचाने के लिए मैदान में लड़ रहे हैं परंतु सरकार कर्मचारियों का हीं वेतन व भत्तों में कटौती कर उनको मानसिक तनाव दे रही है क्योंकि यह वेतन और भत्तों की कटौती फोर्थ क्लास से लेकर सभी प्रकार के कर्मचारियों की है आज बहुत से कर्मचारी ठेकेदारी प्रथा व विभिन्न योजनाओं के तहत लगे हुए हैं आशा वर्कर ,हेल्पर को सिर्फ डेड सो रुपए प्रतिदिन भी नहीं मिलता लॉक डाउन से पहले परिवार के दोनों सदस्य थोड़ा-थोड़ा कमा कर अपना गुजारा कर लेते थे परंतु आज लॉक डाउन के कारण सिर्फ विभागीय कर्मचारी काम कर पा रहा है वह कर्मचारी जो लगातार सफाई कर रहे हैं…..
घरों में जाकर जांच कर रहे हैं बिजली आपूर्ति बिना रुकावट के प्रदान कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन सरकार के सभी आदेशों की अनुपालना करवा रहे हैं व स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार लोगों को इस संकट की घड़ी से निकालने के लिए प्रयासरत हैं उन सबके भत्तों को कम करना एक निंदनीय कदम है आज सरकार को सबसे पहले देश हित में अपने नेताओं की एक से अधिक जो पेंशन मिल रही हैं उसे खत्म कर देना चाहिए और उनके जो भत्ते निर्धारित किए गए हैं पहले उन्हें खत्म करना चाहिए सरकार द्वारा करोना बीमारी के दौरान नेताओं के भत्तों को दुगना किया गया था उसे वापस लेना चाहिए और जो कॉरपोरेट जगत है….
उस पर अधिक टैक्स लगाना चाहिए क्योंकि उनके उनके द्वारा जो पैसा कमाया गया है वह जनता का ही है भारत की प्राकृतिक संपदाओं दवारा ही कमाया गया धन है उसे टैक्स बढ़ाकर सरकार की आमदन को बढ़ाया जा सकता है आज करोना के समय कोई भी देश छोड़ कर भाग नहीं सकता जो उद्योगपति डिफाल्टर होने के कारण बैंकों में पैसा नहीं जमा करवाया है उनकी संपत्ति जप्त करके पैसा इकट्ठा किया जा सकता है परंतु सरकार इस प्रकार के कार्य ना करके सिर्फ जनता से ही वसूल रही है मैं पूंजीपति वर्ग के माफ कर रही है सर्व कर्मचारी संघ नेताओं से बातचीत किए बिना ही इस प्रकार के निर्णय लेना गलत है….
आज सरकार को कॉरपोरेट मोह छोड़कर कर्मचारियों की एनपीएस की जमा पूंजी को सरकारी क्षेत्र में विलय कर धन का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि एक कर्मचारी की तनख्वाह का लगभग चौथा हिस्सा इसमें जाता है इससे भी पर्याप्त मात्रा में धन एकत्रित हो सकता है और कर्मचारियों की पुरानी मांग को भी पूरा किया जा सकता है भविष्य में उनको पुरानी पेंशन के रूप में वापस करना चाहिए आज देश हित में यह बड़े फैसले लेने का समय है अन्यथा आने वाली पीढ़ियां इस प्रकार की नीतियों को जानकर इन्हें कभी माफ नहीं करेंगे
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