सत्य खबर, कैथल
कैथल के गांव कमालपुर के किसान का बेटा साहिल न्यूक्लियर साइंटिस्ट बना है| भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में चयन हुआ है| पुरे इंडिया में साहिल ने चौथा रैंक हासिल किया है| पुरे गांव में खुशी की लहर दोड आई है| सभी लोग साहिल को बधाई दे रहे है |
प्रतिभा परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती कहते हैं कि कोयले से हीरा निकलता है ऐसा ही एक उदाहरण कैथल के कमालपुर गांव में देखने को मिला , एक साधारण से किसान के घर जन्मे साहिल का चयन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हुआ और वह बन गया न्यूक्लियर साइंटिस्ट| साहिल का पूरे भारत में चौथा रैंक आया है|
कैथल के गांव कमालपुर पाने पैतृक गांव पहुंचे साहिल ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि वह शुरू से सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे और उन्होंने पांचवी कक्षा पास करने के बाद नवोदय विद्यालय का टेस्ट दिया| जिसमें उनका नंबर पड़ गया उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी मेहनत के दम पर दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के रामजस कॉलेज में ग्रेजुएट ही नहीं की बल्कि बैच के टॉपर भी रहे। साइंस और रिसर्च में उनका शुरू से ही रुचि थी| साहिल की इच्छा थी कि वह एक साइंटिफिक ऑफिसर बने|आज उनका यह सपना पूरा होता दिख रहा है वह अपने इस प्रतिभा का श्रेय अपने अध्यापकों व अपने माता-पिता को देते हैं|जिन्होंने उन्हें पूरा सपोर्ट किया और अपने मनचाहे क्षेत्र में काम करने के लिए पूरी आजादी दी|आज गांव कमालपुर के लोग साहिल पर गर्व कर रहे हैं|हमें विश्वास हो गया है कि एक मामूली से किसान का बेटा भी ऊंचाइयों को छू सकता है|
16 जनवरी से साहिल का शुरू होगा प्रशिक्षण शुरू:
मार्च में प्रवेश परीक्षा लिए जाने के बाद जब साहिल ने उसमें सफलता हासिल की तो उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया| बीते दिसम्बर माह में साक्षात्कार के बाद ओवरऑल परिणाम जारी किया गया, जिसमें साहिल की ऑल इंडिया मेंं चौथा रैंक आई है| 5 जनवरी को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की ओर से नतीजे घोषित किए गए हैं|
साहिल ने बताया कि पूरे देश से करीब 30 छात्रों का चयन हुआ है, जिसमें उनका भी नाम है जो कि चौथे नम्बर पर है| साहिल के पिता शशिदेव शर्मा छोटे से किसान हैं जिनके पास केवल मात्र डेढ़ एकड़ जमीन है| इसी मामूली जमीन पर खेती बाड़ी कर अपने परिवार का जीवन चलाते हैं|
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