सत्यखबर,कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र के गांव पिपली की महिलाओं ने घूंघट को अब अलविदा कह दिया है। सर्वखाप महिला पंचायत की पहल ने अब पूरे देश में असर दिखाना शुरू कर दिया है। जानिये किस तरह डा. संतोष दहिया ने महिलाओं को जागरूक किया, कैसी कैसी दिक्कतें आईं। कुरुक्षेत्र का गांव पीपली। घूंघट की ओट से ही एक-दूसरे को देखती और धीमी आवाज में बात करती चौपाल में बैठीं महिलाएं। तभी एक आवाज उठी, ताई। आप क्यों नहीं समझाती अपनी बहुओं ने। घूंघट निकालने की क्या जरूरत है। अब तो दुनिया बहुत तरक्की कर गई। कै बताऊं बेटी। हाम तो ऊंची आवाज में बोल भी न सके हैं, घूंघट तो काढ़ना पड़े है। (क्या बताऊं बेटी। हम तो ऊंची आवाज में बोल भी नहीं सकते, घूंघट तक निकालना पड़ता है।
एक बात बता ताई… थारी पोती कल नै कल्पना चावला बनना चाहेगी तो क्या घूंघट ओढ़कर चांद से धरती नै देखेगी। (एक बात बताओ ताई… तुम्हरी पोती यदि कल कल्पना चावला बनना चाहेगी तो क्या घूंघट ओढ़कर चांद से धरती को देखेगी।) इस बात पर महिलाएं ठहाका लगाकर हंसने लगीं…। बात गहरी थी। दिल में उतर गई। उस दिन की चौपाल ऐसा बदलाव लाई कि 31 महिलाओं ने घूंघट को त्याग दिया। हरियाणा के इस गांव की नई तस्वीर गढ़ी है सर्वखाप महिला महापंचायत ने। आप चौक गए होंगे। खाप महापंचायत। नाम सुनते ही जहन में आता होगा पुरुषों का ही वर्चस्व।
जाहिर है, महिलाओं के मुद्दे तो गौण रहते ही होंगे। श्रीमद्भगवद्गीता गीता की धरा कुरुक्षेत्र से हुई एक पहल देशभर में खाप पंचायतों की एक नई सुबह लेकर आई है। महिलाओं ने अपनी सर्वखाप महिला महापंचायत बना ली है। हरियाणा से आगे निकलकर उत्तराखंड और झारखंड में संगठन खड़ा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में जिलास्तरीय टीम बन गई है। जिस तरह पीपली को पर्दा से मुक्त कराया है, ठीक उसी तरह 20 और गांव आजाद हुए हैं। शराब बंद कराई जा रही है। बेटियों को शिक्षित कर रहे हैं। सर्वखाप महिला पंचायत का गठन वर्ष 2010 में डा. संतोष दहिया ने किया। शारीरिक शिक्षा की प्रोफेसर डा. संतोष कहती हैं कि म्हारा बाणा, पर्दा मुक्त हरियाणा यानी हमारा पहनावा घूंघट मुक्त हो।
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