About 200 people committed suicide after listening to a song
सत्यखबर, नई दिल्ली।
आज की अनसुनी दास्तान कुछ अलग है। ना किसी फिल्म स्टार पर है, ना ही किसी फिल्म पर। आज हम कहानी बता रहे हैं दुनिया के सबसे मनहूस गाने की। गाने के बनने की कहानी दिलचस्प है। इसमें एक प्रेम कहानी है। हंगरी (यूरोप) के एक स्ट्रगलिंग सॉन्ग राइटर और उसकी गर्लफ्रेंड में ब्रेकअप हुआ। इस ब्रेकअप से परेशान प्रेमी ने 30 मिनट के भीतर एक दुःख भरा गाना लिख डाला।
अधूरी प्रेम कहानी से निकला ये गाना पूरी दुनिया के लिए जानलेवा साबित हुआ। इस गाने का टाइटल था ग्लूमी संडे, यानी उदास रविवार। ये गाना इतना डिप्रेसिंग था कि इसे सुनकर दुनियाभर में 200 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। कई लोगों के सुसाइड नोट में इस गाने की लाइनें लिखी होती थीं या उनके कमरे में उस गाने की रिकॉर्डिंग पाई जाती थी।
गाना बनाने वाले कलाकार ने खुद का गला बिजली के तार से घोंट लिया और जान दे दी। जिस गर्लफ्रेंड के लिए लिखा था, उसने भी इसे सुनकर सुसाइड कर ली। गाने को सुनकर जान देने के मामले बढ़ते देख इस पर बैन लगा दिया गया और पूरे 63 सालों तक ये बैन जारी रहा।
1933 में बना ये गाना जब रिलीज हुआ तो पूरे हंगरी में सुसाइड केस बढ़ गए। आत्महत्या के मामलों में हंगरी दुनियाभर में 11वें नंबर पर आ गया था। गाना डिप्रेसिंग था, बैन भी हुआ, फिर भी दुनियाभर में इस गाने को 100 से ज्यादा अलग-अलग सिंगर्स ने अपनी आवाज भी दी।
एक अधूरी प्रेम कहानी: ब्रेकअप और मनहूस रविवार
कहानी शुरू होती है हंगरी (यूरोप) से। ये दौर था 1933 का। दुनिया पहले विश्वयुद्ध से उपजी त्रासदी झेल रही थी और दूसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी थी। इसी दौर में हंगरी के एक स्ट्रगलिंग सॉन्ग राइटर थे रेज्सो सेरेस। ये पेरिस के एक रेस्टोरेंट में पियानो बजाते थे। उसी रेस्टोरेंट में एक महिला वेटर से इन्हें प्यार था। लड़की भी रेज्सो को चाहती थी, लेकिन उसकी इच्छा थी कि रेज्सो पियानो बजाने का काम छोड़कर कोई और अच्छी नौकरी कर ले। जिससे उनकी जिंदगी आसान हो।About 200 people committed suicide after listening to a song
दोनों में इसे लेकर कई बार बातें हुईं। रेज्सो अपना काम छोड़ने पर राजी नहीं हुए, क्योंकि वो पहले ही गरीबी की मार झेल रहे थे और उन दिनों बेरोजगारी भी ज्यादा थी। फिर एक दिन उस लड़की ने ही रेज्सो से रिश्ता तोड़ लिया। गर्लफ्रेंड का जाना उनकी बर्दाश्त से बाहर था। एक रविवार को तूफान और बरसात के बीच रेज्सो ने पेरिस के अपने छोटे से अपार्टमेंट में बैठकर लिखना शुरू किया। उन्होंने 30 मिनट में अपनी जिंदगी के सारे दर्दनाक भाव एक पन्ने में उतार दिए। उन्होंने एक मरी हुई गर्लफ्रेंड के लिए गाना लिखा, जिसमें वो मौत को गले लगाकर दूसरी दुनिया में अपनी गर्लफ्रेंड से दोबारा मिलना चाहते थे। उस गाने को नाम दिया ग्लूमी संडे।
अपना लिखा गाना दोस्त को दिया, उसने उसे री-राइट किया
रेज्सो ने गाना लिख तो लिया लेकिन उसके आगे इस गाने का क्या करना है उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने इस गाने को अपने एक दोस्त लास्लो जेवोर को दिया। लास्लो उस समय एक स्थापित गीतकार थे। उन्होंने इस गाने को थोड़ा री-राइट किया। कहानी यहां भी कुछ वैसी ही थी। कुछ समय पहले ही लास्लो की सगाई टूटी थी। वो अपनी मंगेतर के लिए अपने प्यार और दर्द को गाने में उतारना चाहता था, उसने इस गाने को थोड़ा और दर्दभरा बना दिया।
फिर दोनों दोस्तों ने इसे कंपोज करके रिलीज करने का प्लान बनाया। रेज्सो ने ही इस गाने को कंपोज किया। 1933 में ये गाना बनकर तैयार हो गया जिसे “Vége a világnak” नाम दिया गया। इसका इंग्लिश में अर्थ था ग्लूमी संडे या सैड संडे। गाना बना तो सॉन्ग राइटर्स को इसका पब्लिशर ही नहीं मिला। ज्यादातर पब्लिशर्स ने ये कहते हुए गाना नहीं खरीदा कि ये सुनने में बेहद डिप्रेसिंग है।
जिस पब्लिशर को गाना सुनाया उसने ही आत्महत्या कर ली
इस गाने के लिरिक्स सुनकर पहली मौत उस पब्लिशर की हुई जिसके पास ये गाना गया था। उस पब्लिशर ने गाना खरीदने से तो इनकार कर दिया, हालांकि कुछ समय बाद ही उसने आत्महत्या कर ली। वहीं एक पब्लिशर ने कहा, ऐसा नहीं है कि ये गाना बेहद उदासी और निराशाभरा है। मुझे नहीं लगता कि इस तरह का गाना किसी को भी सुनने में अच्छा लगेगा। लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार गाने को पब्लिशर मिल गया। 1933 में शीट म्यूजिक ने गाने की पहली रिकॉर्डिंग की कॉपी मार्केट में उतारी।
1936 में हुईं कई मौतों का कारण बना ये गाना
गाना आते ही सुसाइड के केसेस आने लगे थे। 30 मार्च 1936 को टाइम मैगजीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 1933 से 1935 के बीच 17-18 आत्महत्याओं के केस ही सामने आए थे। ज्यादा मामले सॉन्ग रिलीज के 3 साल बाद 1936 से शुरू हुए। जब ये दुनियाभर में कई भाषाओं में रिलीज हुआ।
सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले हंगरी से सामने आए, जहां एक साथ 1936 में 17 लोगों ने एक-एक कर जान दी। जैसे-जैसे गाना पॉपुलर होता चला गया सुसाइड के मामले 17 से 100 तक पहुंच गए। 24 फरवरी 1936 में पहली बार लॉस एंजिलिस टाइम्स ने इन सुसाइड्स के बारे में आर्टिकल पब्लिश किया था।
अमेरिका में इंग्लिश लिरिक्स के साथ रिलीज हुआ था गानागाने की पॉपुलैरिटी को देखते हुए इसे 1936 में इंग्लिश लिरिक्स के साथ बनाया गया। गाने की लिरिक्स सेम एम.लेविस ने लिखी जिसे आवाज दी थी हल केंप ने। पॉल रॉबसन जैसे दुनियाभर के कई नामी सिंगर्स ने लिरिक्स में बदलाव कर इस गाने को रिकॉर्ड किया था। इंग्लिश में गाना आते ही ये इंग्लिश देशों में तेजी से सुना जाने लगा, और सुसाइड के मामले कुछ और बढ़ गए।
जिस लड़की पर गाना लिखा गया था उसने भी कर ली आत्महत्याग्लूमी संडे कंपोज करने वाले रेज्सो सेरेस ने इसे अपनी एक्स गर्लफ्रेंड के लिए तैयार किया था। जब ये गाना पॉपुलर हुआ तो रेज्सो ने अपनी गर्लफ्रेंड से दोबारा रिश्ता सुधारने की कोशिश की। जब मिलने गए तो पता चला कि उस लड़की ने गाना रिलीज होने के बाद वही गाना सुनकर आत्महत्या कर ली। उस लड़की के पास उस गाने की रिकॉर्डिंग की एक कॉपी मिली थी। वहीं उसके शव के पास से बरामद किए गए एक नोट में ग्लूमी संडे गाने की ही लाइन्स लिखी गई थीं
गाना दुनिया में जहां पहुंचा, मौत का सिलसिला शुरू हो गया
6 अप्रैल 1936 में न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार के 9वें पन्ने में खबर छपी थी कि 13 साल के एक लड़के ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है, जो अपने तलाकशुदा पिता के साथ रहता था। जिस कमरे में उसने फांसी लगाई वहां ग्लूमी संडे गाने की कॉपी मिली थी।
विएना में एक टीनएजर लड़की ने गाना सुनते हुए पानी में डूबकर आत्महत्या कर ली थी।लंदन में एक महिला ने ये गाना कई बार सुना और फिर नींद की दवाओं का ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली।बुडापेस्ट में एक दुकानदार जोसेफ केलर ने गाना सुनने के बाद आत्महत्या कर ली। उसने एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें गाने की लाइन्स लिखी हुई थीं।About 200 people committed suicide after listening to a song
1936 में ही न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक आर्टिकल पब्लिश किया था, जिसमें लिखा गया था कि एक 13 साल के बच्चे ने आत्महत्या कर ली है, जिसकी जेब में मिले एक नोट में गाने की लिरिक्स लिखी हुई थी।
80 साल के बुजुर्ग ने 7वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी। जांच में उसके ग्रामोफोन पर ग्लूमी संडे बज रहा था।एक ग्रुप के कई लोगों ने एक साथ जर्मनी की डानूबी नदी में कूदकर जान दे दी, उनके पास ग्लूमी संडे की रिकॉर्डिंग मिली थी।
इटली के एक लड़के ने सड़क में भिखारी के पास बज रहे ग्लूमी संडे गाने को सुनने के बाद अपना सब कुछ उस भिखारी को दिया और फिर डूबकर आत्महत्या कर ली थी।About 200 people committed suicide after listening to a song
इन मौतों को गाने से इसलिए जोड़ा गया क्योंकि मरने वाले ज्यादातर लोगों के घर में ग्रामोफोन में ग्लूमी संडे ही बज रहा था। वहीं कई लोगों के सुसाइड नोट्स में गाने की लाइन्स लिखी गई थीं। कुछ ऐसे भी थे जो किसी कॉन्सर्ट में गाना सुनकर आए थे।
BBC ने 63 सालों तक बैन रखा था गानाअमेरिकन पॉपुलर सिंगर बिली हॉलिडे ने इस गाने को 1941 में रिकॉर्ड किया, लेकिन BBC ने इस पर तुंरत बैन लगा दिया। इस बैन को 63 साल बाद 2002 में हटाया गया था। बैन हटने के बाद 23 अक्टूबर 2003 में BBC रेडियो में इसे ब्रॉडकास्ट किया था। इसके एक साल बाद रेडियो ने 12 जून 2004 को दोबारा ये गाना दर्शकों को सुनाया था। BBC रेडियो की वेबसाइट में मिले वोट्स के मुताबिक ये आज भी दुनिया के सबसे उदास गानों में टॉप- 5 में है।
आखिर ऐसा क्या था जो लोगों ने गाना सुनकर सुसाइड किया?About 200 people committed suicide after listening to a song
दरअसल इस गाने को बेहद उदासी और निराशा भरे शब्दों में लिखा गया था। गाने के भाव मौत को बेहतर और जिंदगी को खराब बताते हैं। इस पूरे गाने में सिर्फ मरने के बारे में ही लिखा गया है। इसे गाया भी इतने दुःखभरे अंदाज में था कि सुनने वाले को जीने से बेहतर मरना लगने लगता था। ये गाना आत्महत्या के लिए उकसाने वाला इसलिए भी रहा क्योंकि 1933 के दौरान दुनियाभर के कई देश बर्बादी की कगार पर थे। जंग की माहौल था। पहले विश्वयुद्ध ने कई देशों की इकोनॉमी को खत्म कर दिया था और दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध की कगार पर आ रही थी। हर तरफ निराशा और डिप्रेशन का ही माहौल था। 1929- 1939 तक दुनियाभर को ग्रेट डिप्रेशन का सामना करना बड़ा। यूनाइटेड स्टेट के स्टॉक मार्केट क्रैश (ब्लैक फ्राइडे) से कई देश भुखमरी का सामना कर रहे थे। कई लोगों की जान जा रही थी, कई लोग अपने देश छोड़ रहे थे और पलायन करते हुए जान गंवा रहे थे। ऐसी दर्दनाक स्थिति के बीच इस उदास गाने का आना और भी अधिक जानलेवा साबित हुआ।
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