राष्‍ट्रीय

पीलीभीत सीट से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी पर टिकी है सबकी नजरें

 neAfter being denied ticket from Pilibhit seat on Varun Gandhi

सत्य खबर/नई दिल्ली: पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी का टिकट कटने के बाद वरुण गांधी ने चुप्पी साध ली है. इस लोकसभा क्षेत्र में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद, वरुण गांधी ने चार नामांकन सीटें खरीदीं, जबकि उस समय भाजपा के टिकट की घोषणा भी नहीं हुई थी। बाद में वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को बीजेपी से मैदान में उतारा गया. ऐसे में अब सबकी नजरें वरुण गांधी पर हैं. पहले चरण की लोकसभा सीटों में पीलीभीत सीट भी शामिल है और आज यहां नामांकन का आखिरी दिन है. ऐसे में आज इस सीट को लेकर वरुण गांधी का रुख साफ होने की उम्मीद है.

मेनका के टिकट के बाद रहस्य और गहरा गया है

पहले माना जा रहा था कि टिकट कटने की स्थिति में वरुण गांधी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. उनके निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने की चर्चा थी लेकिन बीजेपी ने उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है. इसके बाद ही वरुण गांधी के अगले कदम को लेकर रहस्य गहरा गया है.

वरुण गांधी के परिवार का पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से पुराना नाता है. इस लोकसभा क्षेत्र से उनकी मां मेनका गांधी ने पहली बार 1989 में चुनाव जीता था. ऐसे में अगर वरुण गांधी इस बार इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके परिवार से 35 साल पुराना राजनीतिक रिश्ता है. इस लोकसभा के साथ. निर्वाचन क्षेत्र ख़त्म हो जायेगा.

1989 से है पीलीभीत सीट से नाता

वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने पहली बार 1989 में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी. दो साल बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार परशुराम गंगवार से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 1996 के लोकसभा चुनाव में मेनका ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया. 1996 में उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की.

इसके बाद 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में मेनका ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यह सीट जीती. मेनका 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं और फिर बीजेपी उम्मीदवार के रूप में सीट जीतीं।

वरुण को पहली जीत 2009 में मिली

इसके बाद 2009 में वरुण गांधी ने इस सीट से जीत हासिल की. 2014 में मेनका गांधी ने फिर से पीलीभीत से जीत हासिल की जबकि वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद बने. 2019 में तस्वीर फिर बदली और वरुण ने पीलीभीत सीट से जीत हासिल की जबकि मेनका सुल्तानपुर से सांसद बनीं.
अब इस बार बीजेपी ने सुल्तानपुर से मेनका गांधी को टिकट दिया है, लेकिन पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है.

मेनका ने अटकलों को अफवाह बताया

हालांकि, राजनीतिक गलियारों में अभी भी चर्चा है कि वरुण गांधी को रायबरेली या किसी अन्य सीट से मैदान में उतारा जा सकता है. बीजेपी ने अभी तक राज्य की कई अहम सीटों पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वरुण गांधी को लेकर यह भी चर्चा है कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं या किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

हालांकि उनकी मां मेनका गांधी का कहना है कि वरुण को लेकर जो भी चर्चाएं सुनने को मिल रही हैं वो सब अफवाहें हैं. उनका कहना है कि वह पूरी ताकत के साथ सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि मैं एक अप्रैल को सुल्तानपुर जा रही हूं और फिर जनता के बीच रहूंगी. उन्होंने कहा कि मुझे सुल्तानपुर की जनता पर पूरा भरोसा है.

वहीं, वरुण गांधी को लेकर आज तस्वीर साफ होने की उम्मीद है क्योंकि आज पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में नामांकन का आखिरी दिन है. अब देखना यह है कि वरुण गांधी आज क्या फैसला लेते हैं.

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