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अफगानिस्तान से लड़ाई के बाद अब इस मुल्क से नजदीकी क्यों बढ़ा रहा पाकिस्तान

सत्य खबर/नई दिल्ली:

तालिबान की वापसी के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सीमा विवाद के चलते पाकिस्तानी सरकार और तालिबान दोनों आमने-सामने हैं. हाल ही में पाकिस्तान ने अपने पड़ोसी देश में घुसकर दो प्रांतों में हवाई हमले किए थे. हालांकि, अब तालिबान से दूरी बना चुका पाकिस्तान उससे बात करने और उसके करीब आने के लिए अफगानिस्तान पहुंच गया है।

दरअसल, पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय का प्रतिनिधिमंडल सोमवार (25 मार्च) को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचा। अफगान वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल सलाम जवाद ने कहा है कि अफगान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अज़ीज़ी करेंगे। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने भी वाणिज्य सचिव खुर्रम आगा के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के काबुल दौरे की पुष्टि की है।

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पाकिस्तान अफगानिस्तान के करीब क्यों जाने लगा?

पाकिस्तान की हरकतों से दुनिया वाकिफ है. ऐसे में यह यूं ही अफगानिस्तान से सटा हुआ नहीं है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह अपने पड़ोसी देश के साथ व्यापार और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना चाहता है. पिछले कुछ सालों में रिश्ते जिस तरह से बिगड़े हैं, इस्लामाबाद अब उन्हें सुधारना चाहता है. वह नहीं चाहता कि दुनिया में उसकी छवि एक ऐसे देश के रूप में बने जो उसके पड़ोसियों के लिए सिरदर्द है।

अफगान वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जवाद ने बताया कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों और व्यापार पर चर्चा की जाएगी. हम कई वस्तुओं पर लगे प्रतिबंध का मुद्दा भी उठाने जा रहे हैं. पाकिस्तान ने पारगमन समझौते के तहत कुछ वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के कारण 50 प्रतिशत पारगमन व्यापार कम हो गया है या ईरान स्थानांतरित हो गया है। पाकिस्तान भी अफगानिस्तान के साथ सभी विवादों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहता है.

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पाकिस्तान के अफगानिस्तान के करीब जाने का कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तानी यानी टीटीपी भी है। टीटीपी को तालिबान से समर्थन मिलता रहा है और उसके आतंकी अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं. ऐसे में पाकिस्तान तालिबान सरकार को मनाने और टीटीपी आतंकियों को खत्म करने की उम्मीद कर रहा है. बलूचिस्तान में पहले से ही हमले झेल रहा पाकिस्तान टीटीपी से चुनौतियों का सामना नहीं करना चाहता.

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