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Arvind Kejriwal ने मोहन भागवत को लिखा पत्र, भाजपा को लेकर उठाए ये सवाल

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख Arvind Kejriwal ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने भाजपा और संघ से जुड़े कई अहम सवाल उठाए हैं। इस पत्र में केजरीवाल ने भाजपा की कई गतिविधियों पर सवाल खड़ा किया और यह पूछा कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) इन गतिविधियों को सही मानता है या नहीं।

अरविंद केजरीवाल का यह पत्र राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें भाजपा और संघ दोनों की नीतियों पर सीधे सवाल उठाए गए हैं। इस पत्र में केजरीवाल ने जो सवाल पूछे हैं, वे न केवल भाजपा की कार्यशैली को लेकर हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किस तरह से भाजपा के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

केजरीवाल ने मोहन भागवत से ये सवाल पूछे

अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में सबसे पहले यह सवाल किया कि भाजपा द्वारा अतीत में किए गए गलत कामों का क्या संघ समर्थन करता है? केजरीवाल ने भाजपा के नेताओं द्वारा खुलेआम पैसा बांटने और वोट खरीदने के आरोप लगाए। उन्होंने मोहन भागवत से पूछा कि क्या संघ इस प्रकार की गतिविधियों को सही मानता है? केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा वोट खरीदने के लिए पैसों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।

इसके अलावा, केजरीवाल ने दलित और पूर्वांचलियों के वोट काटे जाने की शिकायत भी की और पूछा कि क्या संघ इस प्रथा को सही मानता है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या संघ को नहीं लगता कि भाजपा लोकतंत्र को कमजोर कर रही है और देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है।

इस पत्र के माध्यम से अरविंद केजरीवाल ने भाजपा और संघ की कार्यशैली को चुनौती दी है और जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा ने देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है।

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अतीशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल को लिखा पत्र

इससे पहले दिल्ली सरकार की मंत्री अतीशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने दिल्ली में मंदिरों और बौद्ध धार्मिक स्थलों को ढहाए जाने के मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई थी। अतीशी का आरोप था कि उपराज्यपाल के आदेश पर दिल्ली में मंदिरों और बौद्ध धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने कहा कि दलित समुदाय का विश्वास बौद्ध धार्मिक स्थलों से जुड़ा हुआ है, और इन धार्मिक स्थलों को नष्ट करना उनके धार्मिक आस्थाओं के लिए चोट पहुंचाने जैसा होगा। अतीशी ने यह भी आरोप लगाया कि धार्मिक स्थलों को ढहाने की फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री को बिना दिखाए ही यह कार्रवाई की गई थी।

अतीशी का यह पत्र दिल्ली में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के महत्व को उजागर करता है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि किसी भी धार्मिक स्थल की अवैध रूप से ध्वस्तीकरण नहीं किया जाए और इससे जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।

अतीशी का वीके सक्सेना के टिप्पणी पर जवाब

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल के एक बयान पर चिंता जताई थी, जिसमें उन्होंने अतीशी को देखरेख मुख्यमंत्री कहा था। इस पर वीके सक्सेना ने कहा कि यह बयान संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों का स्पष्ट उल्लंघन है। उनका आरोप था कि इस प्रकार का बयान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान है, जिन्होंने अतीशी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। साथ ही यह उपराज्यपाल के पद का भी अपमान है, क्योंकि उपराज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होते हैं।

इस टिप्पणी पर अतीशी ने जवाब देते हुए कहा कि उपराज्यपाल का यह बयान पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह केवल राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का बयान पूरी तरह से संविधानिक था और इसे किसी भी तरह से अपमानजनक नहीं माना जा सकता।

अतीशी ने यह भी आरोप लगाया कि उपराज्यपाल के आदेश पर दिल्ली में कई धार्मिक स्थल अवैध रूप से ध्वस्त किए जा रहे हैं, जो कि दिल्ली के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने यह मांग की कि इन धार्मिक स्थलों को नष्ट करने की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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दिल्ली में राजनीतिक माहौल

दिल्ली में इन दोनों घटनाओं ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। जहां एक ओर केजरीवाल और अतीशी भाजपा और उपराज्यपाल के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा और संघ की ओर से इन मुद्दों पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। इन पत्रों के माध्यम से आम आदमी पार्टी की सरकार ने भाजपा और संघ को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए चुनौती दी है।

अतीशी का धार्मिक स्थलों को बचाने की मांग और केजरीवाल का भाजपा और संघ के खिलाफ सवाल उठाना यह दर्शाता है कि दिल्ली सरकार भाजपा और संघ से जुड़े मुद्दों पर अपनी भूमिका और दृष्टिकोण को लेकर बहुत गंभीर है। इन मुद्दों पर दिल्ली सरकार का रुख और पार्टी की रणनीति यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हर तरह से खड़ा होने का इरादा रखती है।

अरविंद केजरीवाल द्वारा मोहन भागवत को लिखे गए पत्र और अतीशी द्वारा उपराज्यपाल को भेजे गए पत्र ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां केजरीवाल ने भाजपा और संघ के खिलाफ सवाल उठाए हैं, वहीं अतीशी ने दिल्ली में धार्मिक स्थलों को बचाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इन दोनों घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि दिल्ली सरकार भाजपा और संघ के खिलाफ अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस पूरे घटनाक्रम से यह संदेश जाता है कि दिल्ली में आने वाले समय में भाजपा और संघ के खिलाफ और भी कई मुद्दों पर राजनीतिक चर्चा और बहस होने वाली है।

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