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हरियाणा के बाबा बालकनाथ को राजस्थान का सीएम बनाए जाने की……….

सत्य खबर, चंडीगढ़ ।Baba Balaknath of Haryana should be made the CM of Rajasthan.

रोहतक स्थित मस्तनाथ मठ में सजावट चल रही है। इस मठ के महंत बाबा बालकनाथ के राजस्थान का सीएम बनने की चर्चाओं के बीच मठ में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। बाबा बालकनाथ हाल में राजस्थान की तिजारा विधानसभा सीट से BJP के विधायक चुने गए हैं। इसके बाद वह लोकसभा के सांसद पद से इस्तीफा दे चुके हैं। बाबा बालकनाथ राजस्थान में ही अलवर लोकसभा सीट से BJP के सांसद थे।

 

हफ्तेभर से संसद के शीतकालीन सत्र की वजह से नई दिल्ली में मौजूद बाबा बालकनाथ अगले एक-दो दिन में रोहतक आ सकते हैं। तिजारा से विधायक चुने जाने के बाद यह उनका पहला रोहतक दौरा होगा। ऐसे में मस्तनाथ मठ को सजाया जा रहा है। यहां लड्‌डू भी बनाए जा रहे हैं। बालकनाथ के समर्थकों को उम्मीद है कि अगले एक-दो दिन में उन्होंने राजस्थान का सीएम बनाए जाने की घोषणा हो सकती है। ऐसे में उनके समर्थकों ने एडवांस में ही खुशियां मनाने की तैयारी शुरू कर दी है।

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दरअसल तिजारा सीट से विधायक चुने जाने से पहले भी बालकनाथ के सीएम बनने की चर्चा चल रही थी। पिछले दिनों मस्तनाथ मठ में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने भी साधु-संतों ने बालकनाथ का नाम राजस्थान के भावी सीएम के रूप में घोषित करने की मांग रखी थी। हालांकि शाह ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसके बाद अगले दिन मठ में हुए कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत, बाबा रामदेव और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे।

 

सांसद पद से दे चुके इस्तीफा

कार्यक्रम में बड़े नेताओं को बुलाना भी बात इस ओर इशारा कर रहा है कि महंत बालकनाथ को सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है। वहीं संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है। अमित शाह भी बालकनाथ की जमकर सराहना करके गए थे। इधर, महंत बालक नाथ ने सांसद पद से भी इस्तीफा दे दिया है। जिसके कारण चर्चाएं और तेज हो गईं। उम्मीद है कि अब उन्हें राजस्थान सरकार में बड़ा पद मिलने जा रहा है।

 

मस्तनाथ मठ का राजनीति से नाता

बाबा मस्तनाथ मठ का राजनीति से पुराना नाता रहा है। मठ के महंत श्रयोनाथ ने 3 बार किलोई हलका से विधानसभा चुनाव लड़ा। 2009 से पहले गढ़ी-सांपला किलोई हलके का नाम किलोई रहा, जबकि हसनगढ़ अलग हलका बना हुआ था। परिसीमन के बाद हसनगढ़ को खत्म करके किलोई हलका में विलय कर दिया गया। साथ ही हलका का नया नाम गढ़ी-सांपला-किलोई रख दिया। क्योंकि गढ़ी सांपला दीनबंधु सर छोटूराम का पैतृक गांव रहा है।

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