सत्य खबर,नई दिल्ली । Banks have run out of liquidity
आखिर भारतीय रिजर्व आरबीआई के पास ऐसी कौन से जादू की छड़ी आ गई है कि जिसे वो घुमाए और झटके में बैंक डिफॉल्टर पाक साफ हो जाए. परिस्थिति यहीं खत्म नहीं होती. जिन डिफॉल्टर के साथ बैंक सेटलमेंट करता था और दोबारा लोन देने के लिए नाकों चने चबवा देता था, तुरंत लोन मिलने स्थिति आ जाए. जी हां, आरबीआई ऐसा ही नियम बना दिया है और बैंकों से साफ कह दिया है कि विलफुल डिफॉल्टर के साथ सेटलमेंट करिये और 12 महीनों में सेटल्ड अमाउंट लेकर लोन क्लोज करिये. अगर उसे दोबारा लोन की जरूरत तो उसे लोन भी दीजिये.
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आज से पहले भारतीय बैंकिंग इतिहास में ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं आई. उस वक्त भी नहीं जब 7 साल पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद कर दिया था और देश के बैंकों के पास लिक्विडिटी की बाढ़ आ गई थी. इस बार सरकार आरबीआई के जरिये देश के लोगों को बैंकिंग सेक्टर का नया पाठ पढ़ाने को तैयार है. पिछले महीने आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने का ऐलान किया और बैंकों में डिपॉजिट या एक्सचेंज कराने की बात कही. देश की जनता आज्ञाकारी छात्र की तरह बैंकों के बाहर लाइन में लग गई और कुछ ही दिनों में सिस्टम के बाहर फ्रीज पड़े 2000 रुपये के आधे से ज्यादा नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट आए.
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कम समय में पैसों की बरसात हुई और रुकने का नाम नहीं ले रही है. रेपो रेट फ्रीज हैं. जिसकी वजह से लोन डिमांड कम है. बैंकों ने डिपॉजिट रेट्स को घटाना शुरू कर दिया है. देश में छोटे-छोटे डिफॉल्टर्स की तादाद लाखों करोड़ों की संख्या में पहुंच चुकी है. जिन्हें बैंकों ने एक तरह से ब्लैक लिस्ट कर दिया है. खास बात तो ये है कि ये लोग डिफॉल्टर जानबूझकर नहीं बने हैं. वक्त और हालात ने उन्हें बैंकों का डिफॉल्टर बना दिया. अब आरबीआई ऐसे लोगों को डिफॉल्टर की कैटेगिरी से बाहर निकालेगी और जरुरत है तो उन्हें लोन भी देगी.
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बैंकों के पास लिक्विडिटी का अंबार लग गया है. 3.60 लाख करोड़ रुपये के 2000 रुपये के जो नोट फ्रीज थे, वो अब वापस आने शुरू हो गए हैं. आंकड़ों के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा नोटों की बैंकिंग सिस्टम में वापसी हो चुकी है. 30 सितंबर तक का समय है. बैंकिंग अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही ये भी वापस आ जाएंगे. सवाल यही है इन पैसों को खपाएंगे कैसे? क्योंकि जल्द बैंक लोन डिमांड में इजाफा पैदा करेंगे. इसी वजह से लोन डिफॉल्टर्स के साथ सेटलमेंट कर उन्हें क्लीन किया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोन बांटा जाएगा. जिससे बैंकों की समस्या कम होगी. Banks have run out of liquidity